बड़ी खबर:लाहुल-स्पीति के चिचम गांव में बनेगा शीशे का पुल,एशिया का सबसे ऊंचा ब्रिज है चिचम


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नीना गौतम,

तूफान मेल न्यूज काजा। शीत मरुस्थल काजा से बड़ी खबर है। यहां एशिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थापित चिचम ब्रिज की जगह अब शीशे का पुल बनने जा रहा है। लिहाजा यह ब्रिज देश-विदेश से आने बाले पर्यटकों के लिए रोहतांग दर्रा के बाद दूसरा बड़ा डेस्टिनेशन होगा और यहां पर्यटकों की खूब भीड़ उमड़ने बाली है। इस ब्रिज के बनने से राज्य में सैलानियों को जल्द मिलेगी ग्लास ब्रिज की सुविधा, प्रशासन ने शुरू की तैयारियां।

एशिया का सबसे ऊंचा ब्रिज है चिचम

प्राकृतिक नजारों के बीच यह पुल यहां के पर्यटन को पंख लगाने के साथ-साथ यहां के सौंदर्य को चार चांद लगाने बाला है। गौर रहे कि यहां घूमने के लिए एक से एक खूबसूरत जगह मौजूद हैं, जहां के नजारे यकीनन हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। लेकिन अगर हम बात करें पर्यटकों की तो उन्हें हमेशा ऐसी जगहों की तलाश रहती है, जहां उन्हें एक से एक नई जगह देखने को मिल जाएं। एक ऐसी जगह लाहुल- स्पीति में मौजूद है, जिसे चिचम गांव के नाम से जाना जाता है।

अब इस तरह बनेगा एशिया का सबसे ऊंचा ग्लास ब्रिज

लाहुल-स्पीति के चिचम गांव को एक पुल ने जोड़ा हुआ है। इस पुल को चिचम ब्रिज के नाम से जाना जाता है। ये पुल 14 हजार की ऊंचाई पर सांबा-लांबा नाले पर बना है। अब इस पर ग्लास ब्रिज बनाने की तैयारी स्थानीय प्रशासन करने जा रहा है। एडीसी काजा राहुल जैन इस बारे में लोक निर्माण विभाग के साथ मंथन कर रहे हैं। इसके बाद ही बताया जाएगा कि किस तरह से इसे तैयार किया जा सकता है। वाहन योग्य चिचम ब्रिज 120 मीटर लंबा और 150 मीटर ऊंचा है। इस पुल को बनाने में 16 साल का समय और साढ़े पांच करोड़ खर्चा आया था। वाहन योग्य पुल के बनने से गांव और काजा उपमंडल के बीच की दूरी 25 किलोमीटर कम हुई।

वर्तमान पुल:


एशिया का सबसे ऊंचा पुल है चिचम
चिचम ब्रिज पूरे एशिया में सबसे ऊंचाई पर बना रोड ब्रिज है। ये खिताब पहले चीन को मिला था, वहां सिंधु नदी के ऊपर पहले एशिया का सबसे ऊंचा पुल का निर्माण किया था। अब यहां ग्लास ब्रिज बनने से लोगों को काफी लाभ आने वाले समय में मिलेगा। ग्लास ब्रिज बनाने की प्लानिंग चल रही है और ब्रिज बनाने को लेकर खाका तैयार किया है।

एशिया में सबसे ऊंचाई पर बना रोड ब्रिज
चिचम ब्रिज पूरे एशिया में सबसे ऊंचाई पर बना रोड ब्रिज है। ये खिताब पहले चीन को मिला था, वहां सिंधु नदी के ऊपर पहले एशिया का सबसे ऊंचा पुल का निर्माण किया गया था। चिचम काजा बाई पास के बनने से मनाली आने वाले लोगों को रंगरिक पांग की तरफ से नहीं जाना पड़ता। मनाली आने वाले लोग किबर और चिचम होते हुए क्योटो निकल जाते हैं। इससे समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत हो रही होती है।

चंद्रताल झील भी जा सकते हैं
यात्री पुल को पार करने के बाद चंद्रताल झील की और भी जा सकते हैं। ये एक ऐसा लेक है, जो हिमालय की तलहटी में मौजूद है। आप आसपास की जगहों पर भी घूम सकते हैं, जिसमें काज़ा, कॉमिक, लंगज़ा, धनकर, ताबो और नाको शामिल है। अगर आप और जगहों को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आप मड गांव भी जा सकते हैं।

सैलानियों को जल्द मिलेगी ग्लास ब्रिज की सुविधा, प्रशासन ने शुरू की तैयारियां

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