Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने बाली विभूतियों को मिले अवार्ड
पत्रकारिता के क्षेत्र में अरुण उनियाल व भवानी सिंह को वेदराम ठाकुर राष्टीय पुरस्कार
नीना गौतम ,भुट्टी कालोनी।
डाॅ. गुलाव सिंह आज़ाद
सहकारिता क्षेत्र के लिए अर्तराष्ट्रीय पुरस्कार
सहकारिता क्षेत्र के जाने माने विशेषज्ञ कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित डा. गुलाब सिंह आज़ाद का 40 वर्षो से अधिक का शोध एंव प्रशिक्षक के रूप में अनुभव है। आपकी ख्याति लब्ध प्रतिष्ठित प्रशिक्षक और प्रभावशाली वक्ता सहित सहकारिता पुरोधा के रूप में अंर्तराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी विद्यामान है। दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ल, हैदरावाद, गुजरात विद्यापीठ अहमदावाद, नई दिल्ली आर.सी. विश्वविधालय पालमू झारखण्ड जैसी संस्थाओं में क्रमशः वतौर शोध अधिकारी सहायक प्राध्यापक, उप प्राचार्य, प्राचार्य/निदेशक, कुल सचिव, उप कुलपति जैसे उच्च पदों पर कार्य करने का आपको अनुभव है। आप 20 से अधिक पी.एच.डी. छात्रों के मार्ग दर्शक रहे हैं या सूॅ कहें आपक मागदर्शन में 20 छात्रों ने पी.एच.डी. जैसी डिग्रीयों को हासिल किया है। तथा वर्तमान में आप भारतीय संस्कृति एंव भारतीय सांस्कृतिक विरास्त के संरक्षण प्रबर्धन एंव विकास के कार्यो में संलग्न हैं। आज़ आपके यश की कीर्ति न केवल देश में अपितु विदेशों में भी व्यापक है। मानव संसाधन विकास पर चर्चित एवं पाठकों में लोकप्रिय 9 पुस्तकों का लेखन आपके द्वारा किया गया है। सहकारिता के प्रति आपका लगाव और झुकाव इन पुस्तकों में विशेष रूप से देखा जा सकता है। इस क्षेत्र के लिए किये गये आपके उल्लेखनीय कार्यो और विशिष्ट उपलब्धियों के लिए आपको ठाकुर वेद राम अर्तराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
डा. राज कुमार शर्मा
सहकारिता क्षेत्र के लिए
सहकारिता के प्रति सज़ग, समर्पित और सदैव चिंतित रहने वाले सहकारी शिक्षक, सफल समन्वयक, और वर्तमान में क्षेत्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान चण्डीगढ़ में निदेशक पद पर आसीन डा0 राज कुमार शर्मा सहकारिता क्षेत्र के एक-2 पायदान को अपनी पैनी और सूक्ष्म दृष्टि से देखकर सहकारिता आंदोलन की ज्योति को प्रज्वलित कर रहे हैं। समाज़ के कमज़ोर वर्गो की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार की सहकारिता क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान की ओर से परिभाषित विभिन्न योजनाओं को अमलीज़ामा पहनाने के लिए आप आपी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन कर रहे हैं। भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय और कृषि मंत्रालय की ओर से किसानों के हित में सहकारिता आदोलन को मजबूत करने के जिए चलाई जा रही योजनाओं और नई नितियों के निर्धारण में आप प्रमुख रूप में सहयोग कर रहे हैं। भारतीय सेना के तीनों अंगो से सेवानिवृत होने वाले अधिकारियों के पुर्नस्थापन हेतु उन्हें प्रशिक्षित करके सहकारिता के साथ जोड़ने का कार्य आप अपने संस्थान में कर रहें हैं। आपके द्वारा नगर निगम चडीगढ़ के साथ ट्रांसजेंडरों को समाज़ की मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए चलाये जाने वाले विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम उल्लेखनीय रहें है। आपके उल्लेखनीय कार्यो और विशिष्ट उपलब्धियों के लिए आपको ठाकुर वेद राम अर्तराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
चन्द्र देव सिह
सहकारिता क्षेत्र के लिए
सहकारिता के संस्कारों को अपने दादा और पिता जी से प्राप्त करने वाले सहकार पुरूष चन्द्रदेव सिंह के पास इस क्षेत्र का सीधे रूप में प्रत्यक्ष अनुभव 46 वर्षो से अधिक का है या यूॅ कहें आप अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं जिन्होनें सहकारिता के ध्वज़ को वुलन्द किया हुआ है। वर्ष 1977 में आपने लाम्बड़ा कांगड़ी सहकारी सभा होशियारपुर में वतौर सचिव कार्य करना आरम्भ किया, उस समय इस सहकारी सभा का व्यवसाय सीमित क्षेत्र का था जिसे आपने आपनी व्यवाहारिक कुशलता, समाज़िक मेल जोल और सदस्यों में जागरूकता पैदा करके प्रशासन की मदद से यथा सम्भव विस्तार देकर उन्नति के नये आयाम स्थापित किये हैं। वर्ष 1999 में आपकी दूरदर्शी सोच को देखते हुए सहकारिता विभाग इस सहकारी सभा को गोद लेते हुए इसे वहुउदेशीय सहकारी सभा का दर्जा दिया गया। आपने किसानों के लिए सुगम ऋण व्यवस्था, नये कृषि उपकरणों व डीज़ल पम्पों आदि का प्रबंधन कर सीधा लाभ पहुचाने का कार्य अपनी सहकारी सभा के माध्यम से किया है। आपके इन्ही प्रयासों से आपकी सहकारी सभा को एन.सी.डी.सी. की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से वर्ष 2016 में सम्मानित किया जा चुका है। सहकारिता के प्रति आपके समर्पण को देखते हुए आप अपनी सभा की ओर से इफकों और कृभकों जैसी शीर्षस्थ संस्थाओं में प्रतिनिधित्व कर रहे है इसके साथ-2 पर्यावरण को संतुलित रखने की दिशा में आपने गोवर गैस प्लांट जैसे इको फ्रेडंली प्लाटों की स्थापना कर पूरे पंजाब में एक अलग पहचान स्थापित की है।
सहकारिता क्षेत्र के लिए आपके इन्ही प्रयासो और उपलब्धियों के लिए आपको सहकारिता क्षेत्र का ठाकुर वेदराम राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया।
प्रोफेसर विजय सिह कटियार
बुनकरों के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए
पिछले 34 वर्षो से अधिक समय से डिज़ाई और हथकरघा वस्त्र उद्योग से जुड़े रहे हैं। आप वस्त्र एंव फैशन उद्योग में वरिष्ठ डिज़ाईन सलाहकार के रूप में देश विदेश के कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ लगातार कार्य करते रहे है। भारत के कई राज्यों के हथकरघा बुनकरों और हस्तशिल्पियों के साथ उनका दशकों लम्बा सेवाकार्य और समर्पण रहा है। डिज़ाइन कार्य के साथ उन्होने राष्ट्रीय और अर्तराष्ट्रीय बाज़ारों के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व करके अनेक बेहतर उत्पादों की सरंचना और उनकी ब्रांडिग में योगदान दिया है। वस्त्र, हथकरघा एवं फैशन उद्योग से सम्बधित भारत व विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा गठित कई उच्च समितियों में भी उनका विशेष योगदान रहा है। प्रो0 कटियार राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान, अहमदाबाद में वरिष्ठ प्राध्यापक एवं प्रमुख संकाय के रूप में कार्यरत है, साथ-2 वे देश के कई अन्य प्रमुख संस्थानों व विश्वविद्यालयों में डिज़ाईन सलाहकार अथवा अतिथि संकाय के रूप में उच्चस्तरीय डिज़ाईन शिक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं राष्ट्रीय डिज़ाईन संस्थान, अहमदाबाद में उन्होनंे शिक्षा, अनुसंधान और प्रकाशन, उद्योग परामर्श और अंर्तराष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे कई विभागों का नेतृत्व व सफल संचालन किया है। वर्ष 2016 में उन्होनं भारत सरकार की मदद से भरतीय शिल्प से भारतीय शिल्प के अंर्तराष्ट्रीय केद्र की स्थापना भी की है।
आपने देश में पहली बार एन.आई.डी. अहमदावाद में नवाचार-आधारित पीएचडी कार्यक्रम को विकसित और कार्यन्वित किया। वह संस्थान की शाषी परिषद के सदस्य, नेशनल डिजाईन विजनेस इनक्यूबेटर के सलाहकार, डिज़ाइन शिक्षा के अध्यक्ष, और संस्थान के कार्यवाहक निदेशक भी रह चुके है। नए डिज़ाइन व शिल्प संस्थानों की स्थापना एंव विकास में उनका कार्य उल्लेखनी रहा है, इनमें उतर प्रदेश डिजाईन संस्थान, लखनऊ, केरल स्टेट इंस्टीटयूट आॅफ डिजाइन, कोल्लम, एनआईआईएफटी, जालधंर, डीआईए नोएडा, एस आई डी सी भुवनेश्वर आदि प्रमुख है।
प्रो0 कटियार ने डिजाई और हथकरघा क्षेत्र में कई राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलनों की संकल्पना और नेतृत्व किया है। उन्हें न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय, सिडनी द्वारा विजिटिंग रिसर्च फैलों उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। उनके प्रकाशनों में कई पेपर, प्रस्तुतियाॅ और दो प्रमुख पुस्तकें शामिल है: – डिजाइन शिक्षा, परपरा और आधुनिकता, और भारतीय साड़ियाः परपराएः- परिप्रेक्ष्य डिजाइन दोनो ही पुस्तकों ने भारत की डिज़ाईन और हथकरघा परम्परा को नया आयाम देकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रो0 कटियार की आने वाली पुस्तक हिमाचल प्रदेश की हथकरघा परम्परा और विकास से सम्बधित है। आपके उल्लेखनीय कार्यो और विशिष्ट उपलब्धियों के लिए आपको ठाकुर वेद राम अर्तराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
केवलू राम “बुनकर”
बुनकर क्षेत्र के लिए
60 वर्ष की आयु पार करने पर भी बुनाई विधा की पारंगतता को वरकरार रखने वाले कुशल बुनकर केवलू राम की अंगूलियाॅ किसी भी प्रकार के डिजाईन कोे हथकरधा उत्पादों पर उकेरने से पीछे नही हटती। वचपन से ही बुनाई कार्य से जुड़े केवलू राम ने वास्तव में इस कला का ज्ञान भुट्टि बुनकर सहकारी सभा से ही हासिल किया है। 45 वर्षो से अधिक का बुनाई अनुभव प्राप्त इस कुशल बुनकर की पारम्परिक पटटुओं को विभिन्न रूपों में तैयार करने में महारत है। इनके साथ-2 इनका पूरा परिवार भी बुनाई की इसी विधा में तल्लीन है और अपनी इस आज़ीविका से घर परिवार की आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। इनका सम्बध मौहल पंचायत के जौली गांव से है और वर्तमान में भुट्टि वीवर्ज आप्रेटिव सोसाईटी के लिए इनका बुनकर के रूप में कार्य वदस्तूर ज़ारी है। बुनाई विधा में इनके विशिष्ट कार्यो को देखते हुए ठाकुर वेदराम राष्ट्रीय पुरस्कार से अंलकृत किया गया।
नवांग फूचोग
पूर्वी लददाख में पशमीना वहूल क्षेत्र चांगथाग से लगभग 100 किलोमीटर छूर टेरी गाॅव से सम्बधित नवांग फूंचोग स्वंय अर्ध घुमन्तू संस्कारों से निकले हुए व्यक्तित्व के जुझारू और प्रगतिशील उद्यमी बुनकर हैं। घुमन्तू चरवाहों और उनके जानवरों के प्रति अथाह प्रेम से प्रभावित होकर ही आपने नोमैडिक वूलन मिल्ज की स्थापना कर शाल उत्पादन के कार्य को शुरू किया जिससे वहाॅ के स्थानीय समुदाय की आर्थिकी और सामाजिक दशा में सुधार हुआ है।
बुनकर क्षेत्र के लिए
आपके अथक प्रयासों से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यूजीलैंड और जापान से सहायता प्राप्त कर वहाॅ पर अति आधुनिक तकनीक के वीवींग स्टूडियों की स्थापना सम्भव हो पाई है। आपके द्वारा पिछले 15 बर्षो से अधिक समय में वहाू के स्थानीय समुदाय को स्वाबलम्बी बनाने के लिए अपने ब्रांड के मातहत प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। आपने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी देश के विभिन्न क्षेत्रों सहित विदेशों में भी लगाई है। आपने आई.टी. से परिपूर्ण हथकरघा को आयात करके अपने यहाॅ स्थापित किया है जो क् िआपकी विशेष उपलब्धि बुनकरों के लिए रही है। बुनकरों के लिए समर्पित ऐसे व्यक्तित्व को सम्मानित किया गया।
डाॅ. कृष्ण लाल सहगल
(चाॅद कुल्लवी लाल चन्द प्रार्थी पहाड़ी कला संस्कृति सभ्यता राष्ट्रीय पुरस्कार)
कंठ संगीत के “महारथी” हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िला से सम्बधित डाॅ. कृष्ण लाल सहगल को गीत और संगीत का सिरमौर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। हिमाचल प्रदेश काॅलेज काॅडर से एसोसिएट प्रोफैसर (कंठ संगीत) सेवानिवृत हुए डा. सहगल 74 वर्ष की इस वय में भी गीत और संगीत के प्रति पूर्वभाव से समर्पित हैं। गाॅयन व वादन में प्राचीन कला केन्द्र चण्डीगढ़ से ”संगीत विशारद“ तथा प्रयाग संगीत “इलाहवाद“ से कंठ सगीत में ”संगीत प्रवीण“ सरीखी व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त डा. सहगल के भीतर हर प्रकार के गीत व सगीत की प्रगाढ़ योग्यता और सक्ष्मता है परन्तु पहाड़ी भाषा, कला संस्कृति के लिए इनका योगदान अनूठा अनुकरणीय और उल्लेखनीय है। हिमाचली लोकगीत भाग-1, भाग-2, मेरी आवाज़, लोकमाधुरी, लोकरंजनी नाटी रा फेरा, मेरी जानी रा वसेरा, शिरगुल महिमा, जैकारे माॅ रे दवारें जैसी गीत एलबमें इनके लोकगीतों के प्रति लगाव, प्रेम तथा समर्पण का ही परिणाम है। वर्ष 2020 में प्रकाशित आपकी पुस्तक “गीत मेरी माटी रे” नई पीढ़ी के गायकों और संगीत प्रेमियों के लिए किसी संजीवनी से कम नही हैं।
हिमाचल प्रदेश के लोक संगीत की समृद्ध परम्परा का संरक्षण सवंर्द्धन और प्रचार-प्रसार आपका मुख्य लक्ष्य है तथा नई पीढ़ी के मार्गदर्शन हेतु आप कृत संकल्प है। आपके इन्ही भावों और लक्ष्य साधना के लिए आपको चाॅद कुल्लवी लाल चन्द प्रार्थी पहाड़ी कला संस्कृति सभ्यता राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अरूण उनियाल
पत्रकारिता के क्षेत्र के लिए ( इलैक्ट्रानिक मीडिया)
सोलह वर्षो से अधिक का टेलीविज़न पत्रकारिता में अनुभव प्राप्त अरूण उनियाल के पास हिमाचल प्रदेश, उतराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों के अतिहास, राजनीति, समाजिक और सांस्कृतिक विषयों बारे गहरी जानकारी औश्र अथाह ज्ञान का भण्डार है। राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय सामयिक विषयों में आपकी विशेष रूचि और अनुभव के चलते आपकी अलग पहचान है। किसी भी विषय को अपनी वाणी के प्रभाव से श्रोताओं तक पहुचने की आप में अदभुत महारत है। आज़ तक, स्टार न्यूज, ए.बी.पी. न्यूज, जी. हिमाचल, दूरदर्शन शिमला, पी.टी.सी. न्यूज़ जैसे चैनलों के साथ स्ट्रींगर, विशेषज्ञ, चैनल हैड, व्यूरों प्रमुख के रूप में कार्य करने का आपके पास व्यापक अनुभव है। आपने दूरदर्शन केन्द्र शिमला के लिए 30 से अधिक डाक्यूमैंट्री का सफल निर्देषन, लेखन, उदघोषणा और कृषि, स्वास्थ और संस्कृति पर आधारित किया है। इसके साथ-2 आपने हि.प्र. के कई ज्वलंत मुद्दों पर आधारित साक्षात्कारों को कवर करते हुए उनका प्रसारण करवा कर अपनी योग्यता की प्रमाणिकता को सिद्ध किया है।वर्तमान में आप सूर्या समाचार में ब्यूरों प्रमुख है, दूरदर्शन के लिए खबरें खेती की बुलेटिन की शुरूआत आप ही ने की है। इलैक्ट्रानिक मीडिया क्षेत्र के लिए आपकी ऐसी उल्लेखनीय उपलब्धियों को देखते हुए स्व0 सुभाष शर्मा की स्ृति में इलैक्ट्रानिक मीडिया क्षेत्र का ठाकुर वेद राम राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
भवानी नेगी
टी़डी.एस. आलोक की स्मृति में प्रिण्ट मीडिया क्षेत्र के लिए ठाकुर वेदराम राष्ट्रीय पुरस्कार
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िला से सम्बधित श्रीमती भवानी नेगी पत्रकारिता क्षेत्र के अपने 20 वर्षो से अधिक का अनुभव लेकर अपनी लेखनी को धारदार वनाये हुए हैं। प्रदेश के प्रतिष्ठित सेंट वीडस काॅलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के पशचात आपने हि.प्र. विश्वविद्यालय से पत्रकारिता विषय में स्नतोकतर की डिग्री प्राप्त की है जिसके उपराॅत इंडियन एक्सप्रैस राष्ट्रीय अंग्रेजी समाचार पत्र से आपने अपने पत्रकारिता को प्रारम्भ किया, तत्पशचात आपने हिन्दुस्तान टाईम्स शिमला तथा स्टाफ सम्पाददाता चण्डीगढ़ में कार्य किया। वर्ष 2016 से आप स्टेटसमैन उतरी क्षेत्र शिमला में वरिष्ठ सम्वादाता के रूप में कार्य कर रही है। आपके भीतर किसी भी विषय को समझने और उसे पाठकों के सम्मुख उन्ही के भावों अनूरूप समाचार पत्र में उजागर करने की भरपूर दक्षता है। इस क्षेत्र के लिए किये गये आपके उल्लेखनीय कार्यो और विशिष्ट उपलब्धियों के लिए आपको ठाकुर वेद राम राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डाॅ. जनमेजय गुलेरिया
(स्व. पुरोहित चन्दशेखर वेवस लोक साहित्य राष्ट्रीय पुरस्कार)
पंजाब विश्वविद्यालय से संगीत की डाक्टरेट डिग्री प्राप्त करने वाले डा. जनमेजय गुलेरिया हिमाचल प्रदेश के अग्रणी श्रेणी के संगीतज्ञयों और लोक साहित्यकारों में से एक है। लोकगीतों में विशेष रूप से कांगड़ा क्षेत्र के संस्कार व जन्म गीतों की गायन शैली पर किये गये संगीत अध्ययन का शोधपत्र लोक संगीत के प्रति इनके अदभुत समर्पण भाव का ही प्रतिफल है, जिसके लिए आपको भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से वरिष्ठ फैलोशिप आवार्ड प्राप्त हुआ है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए 40 से अधिक शोध पत्रों का आलेख और उनका प्रकाशन करना कांगड़ा जनपद के नाटी केन्द्रीय लोकगीतों का संगीत के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषणात्मक अध्ययन, लोकभाव स्वरांजलि भाग-1 व भाग-2, कांगड़ा के जन्म संस्कार गीत संगीतात्मक विश्लेषण एवं मुल्यांकन इत्यादि रचनाए लोक कला और साहित्य प्रेम को प्रजव्लित करती हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा वोर्ड के लिए कुल गीत व समसामयिक विषयों पर पाॅच रचनाओं का गायन व संगीतवद्ध करने का आपको गौरव प्राप्त हुआ है।
राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड, प्रदेश शिक्षक अवार्ड सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित हुए डा. जनमेजय गुलेरिया नई पीढ़ी के लिए हर कदम पर एक प्रेरक और प्रशिक्षक का अनवरत कार्य रहे है। लोक साहित्य, संगीत के प्रति आपके इन्ही उल्लेखनीय योगदान के लिए आपको ठाकुर वेद राम अर्तराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आशा शैली
(साहित्य क्षेत्र के लिए)
देश में वर्तमान साहित्यकारों की अग्रणी क्षेणी की प्रख्यात साहित्यकार, कहानीकार और काव्यकार लेखिका आशा शैली का साहित्य प्रेम इनकी रचनाओं और पुस्तकों के संग्रह में साफ दिखाई देता है। अभी तक 33 से अधिक विभिन्न पुस्तकों का लेखन और प्रकाशन इनकी साहित्यिकी विद्युता का ही परिणाम है। साहित्य लेखन और पाढ़न में आपकी रूचि वचपन से ही रही है मात्र 11 वर्ष की आयु में ही जव आप कक्षा छः में अध्ययनरत थी, आपकी पहली रचना पढ़ने को प्राप्त हुई है। वर्ष 1960 में आपकी प्रथम रचना गज़ल हिन्दी मिलाप दिल्ली से प्रकाशित हुई थी। उतराखण्ड, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, हरियाणा, राजस्थान आदि सम्पूर्ण उतर भारत ही नही दक्षिण भारत और अण्डमान निकोवार आदि से भी काव्य लेखन मंचो, आकाशवाणी एंव दूरदर्शन के ,द्वारा भी आपकी रचनाओं का प्रसारण हुआ है। इसके साथ-2 देश के हर भाग की पत्रिकाआंे में आपकी रचनाएं देखी जा सकती हैं। आपकी कुछ कहानियों का अनुवाद पंजाबी, डोगरी, उर्दू, कन्नड और गुजराती भाषा में भी हुआ है। साहित्य उपासना के लिए किये जा रहे आपके उल्लेखनीय योगदान के लिए स्व. विद्या चन्द ठाकुर की समृति में ठाकुर वेदराम राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
चंचल कुमार सरोलवी
(ठाकुर मौलू राम पहाड़ी भाषा साहित्य राष्ट्रीष्य पुरस्कार)
भाषायी सांस्कृतिक लेखन में अपनी गहन रूचि रखने वाले विविध आयामी व्यक्तित्व के पुरोधा चंचल कुमार सरालवी को स्व. डा. विद्या चन्द ठाकुर जब चम्बा ज़िला में ज़िला भाषा अधिकारी के पद पर वर्ष 1980 में नियुक्त हुए थे, उन्ही की प्ररेणा से आपको चम्वा क्षेत्र की लोक संस्कृति के विविध आयामों पर प्रलेखन का अवसर प्राप्त हुआ था। लेखन के साथ-2 आप गयन और संगीत वादन विधा में भी पारंगत हैं। वांसुरी पर लोकधुनें वजाना आपने ढोलक वादन जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण है। इन विधाओं का प्रर्दशन आपने देश व विदेशों के कई महत्वपूर्ण मंचों पर करके अपनी अलग पहचान को स्थापित किया है।
आपके भाषायी सांस्कृतिक लेख, कहानी और कविताएं कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में पाठकों को पढ़ने के लिए प्राप्त हुए है। भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण के अंतर्गत “हिमाचल प्रदेश की भाषाए” पुस्तक में आपका शोध लेख उल्लेखनीय है। लोक साहित्य लेखन और लोक संगीत की विरासत को जिंदा रखने तथा इसके प्रचार-प्रसार के लिए आज़ भी आप बड़ी शिद्वत से कार्य कर रहे हैं। पहाड़ी भाषा साहित्य व लोक संगीत के लिए आपकी अनवरत् साधना के लिए भुट्टि वीवर्ज को.सोसाईटी की ओर से स्व.ठाकुर मौलू राम पहाड़ी भाषा साहित्य राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
ओम प्रकाश आड़
लाईफ टाईम अचींवमैंट अवार्ड
समाज़ के प्रत्येक वर्ग के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले 65 वर्षीय सुल्तानपुर कुल्लू निवासी ओम प्रकाश आड की माताश्री जब वर्ष 1983 में ब्लड़ कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से चण्डीगढ़ पी.जी.आई में उपचाराधीन थी तो अस्पताल में रक्त की बहुत कमी रहती थी। मरीज़ों के लिए तीमारदारों को रक्त का प्रबंध करना काफी मुशकिल भरा कार्य होता था। उस समय इन्हें रक्त दान के महत्व का एहसास हुआ और पहली बार रक्त दान किया। तब से इनके द्वारा रक्तदान का सिलसिला वदस्तुर ज़ारी है और अब तक 105 बार रक्तदान कर चुके हैं जो एक रिकार्ड है। इनसे प्रेरित होकर अन्य युवाओं में भी रक्तदान की धारणा और इसका महत्व घर कर गया है। इन्होनें लोअर ढ़ालपुर कुल्लू में वाकायदा एक ब्लड डोनर प्वाईट खोला है तथा 200 वालटियरों को अपने साथ जोड़ रखा है जो जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध करवाते हैं। रक्तदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य के साथ-2 आपके द्वारा नशा निवारण जैसे कार्यो में भी शाशन और प्रशासन का समय-2 पर भरपूर सहयोग किया जा रहा है जिसकी समाज़ में भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। ऐसे व्यक्तित्व को भुट्टि वीवर्ज को0 आपेटिव सोसाईटी की ओर से ठाकुर वेद राम जयन्ती समारोह के अवसर पर जीवन पर्यन्त सम्मान लाईफ टाईम अचीवमैंट अवार्ड प्रदान किया गया।