स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी की स्मृति में भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा भाषण व निबन्ध लेखन प्रतियोगिता आयोजित


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स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी के व्यक्तित्व एवं कृतत्व पर रखे विचार

भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आज यहां देव सदन में स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी के 66 वे जन्मदिवस पर निबंध लेखन व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

  प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों ने लाल चंद प्रार्थी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये व निबन्ध लेखन किया।

प्रतियोगिताओं में जिले 12 स्कूलों के 120 बच्चों ने भाग लिया

तूफान मेल न्यूज़ कुल्लू।

जिला लोक संपर्क अधिकारी कुल्लू नरेंद्र शर्मा ने मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत करते हुए कहा कि स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी का प्रदेश की समृद्ध संस्कृति, लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में अहम भूमिका रही है ।उन्होंने कहा कि अनेक भाषाओं के बिद्वान , साहित्यकार  व राजनेता श्री प्रार्थी हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी,फ़ारसी, सहित उर्दू भाषा के प्रकांड विद्वान थे। उन्हें चांद कुलवी के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने कहा कि प्रदेश की समृद्ध परंपराओं, रीति रिवाजो , बोलियों व लोक संस्कृति को संरक्षण करने के उद्देश्य से  भाषा एवं संस्कृति विभाग  व भाषा अकादमी की स्थापना में उनका  महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान कुलवी नाटी व  कुल्लू दशहरे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। यही नहीं वर्ष 1952 में पहली बार हिमाचल के कुल्लू जिले के सांस्कृतिक दल द्वारा गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के पीछे भी लाल चंद प्रार्थी के लिए प्रयास रहे हैं

युवाओं को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित करने वाला उनका गीत हे “भगवान दो वरदान, काम देश के आऊं मैं”  बहुत ही लोकप्रिय था जो उस समय युवाओं तथा आम जनों की मुख पर रहता था। इसी गीत पर उन्होंने बाद में ग्राम सुधार नामक पुस्तक भी प्रकाशित की गई। अनेक विधाओं के धनी प्रार्थी ने लाहौर में रखते हुए डोगरा संदेश तथा कांगड़ा समाचार के लिए नियमित रूप से लेखन कार्य किया उन्होंने नृत्य और संगीत में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

  लाहौर में निर्मित फिल्म कारवां में भी उन्होंने अपने अभिनय किया।

प्रदेश की संस्कृति में के उत्थान में उनका उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही एक समय ऐसा भी था जब हिमाचल के लोग अपनी भाषा बोली व संस्कृति के प्रति  हीनता के भाव से रखते थे उन्होंने लोगों में अपनी संस्कृति को आदर देने व अपनाने की भावना पैदा की ।उनका मानना था कि हिमाचल की पहचान उसकी समृद्ध संस्कृति से ही है उन्हीं के प्रयासों से कुल्लू में मुक्ताकाश कला केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसे आज भी लाल चंद प्रार्थी कला केंद्र के नाम से जाना जाता है ।उन्होंने लगभग एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लिखी, जिनमें कुलूत देश की कहानी एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो आज भी शोधार्थी के बहुत काम आती है।

मुख्य अतिथि ने कहा कि साहित्य प्रेमियों के लिए

लाल चंद प्रार्थी एक पथ प्रदर्शक की तरह हैं जिनके लिखे लोकगीत ,शायरी एवं अन्य कृतियां आज भी कई शोधार्थियों के मार्ग को प्रशस्त कर रही हैं।

मुख्य अतिथि ने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया तथा निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता में विजेता रहे प्रतिभागियों को पुरस्कार भी वितरित किए

 इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने मुख्य अतिथि तथा निर्णायक मंडल का अभिनंदन किया तथा विभाग की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दें।

भाषण प्रतियोगिता में लो मोंटेसरी स्कूल कुल्लू की रिधिमा ठाकुर ,कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल मौहल के सृष्टि ठाकुर तथा डीएवी स्कूल मौहल की केसंग बोध ने क्रमशः प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किए। इनके साथ ही एल एम एस कलेहली की रिदम सूद तथा भारत भारती स्कूल की मन्नत भारद्वाज ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किए।

 निबंध लेखन प्रतियोगिता में भारत भारती स्कूल की वंशिका शर्मा ,कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल मौहल की धरा गॉड,व कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल मौहल की शिवांगी डडवाल ने क्रमशः प्रथम ,द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त किए। इसके अतिरिक्त कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल मौहल की प्रज्ञा तलवार व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भुंतर की सिया ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किए

 निर्णायक मंडल की भूमिका में डॉ खेमचंद ठाकुर, डॉ दयानंद गौतम, जोगिंदर कुमार तथा जय प्रकाश शर्मा उपस्थित रहे।

स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी की याद में आज ढालपुर में भी भाषा एवं संस्कृति विभाग व ब्राह्मण सभा कुल्लू के सयुंक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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