पर्यावरण मसले को लेकर राजनीतिक पार्टियां गंभीर नहीं:गुमान ठाकुर


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

बोले, किसी भी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में एजेंडा नहीं बनाया
पार्टियों और सरकार से मांग, नीतियों का निर्माण करें तुफान मेल न्यूज,क़ुल्लू।
हिमालय नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह ने अपने सहयोगियों अजित राठौर, एडवोकेट एडवोकेट रजनीश, शोभा राम आदि के साथ सयुंक्त पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि लोकसभा चुनावों में भाजपा-कांग्रेस के साथ साथ अन्य राजनीतिक दल के उम्मीदवार मैदान में है लेकिन किसी भी पार्टी ने पर्यावरण सरंक्षण के मसले को एजेंडा नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इस मसले को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को इस मसले को अपने एजेंडे में शामिल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जन सहभागिता के साथ पर्यावरण संरक्षण, टिकाऊ विकास, सम्मान जनक रोजगार तथा यहां की भौगोलिक, भुगर्भीय पारिस्थितिकी को ध्यान में रख कर हिमाचल के विकास की नीति अपनाई जानी चाहिए।
सभी तरह के ढांचागत निर्माण के लिए स्थानीय स्तर पर भौगोलिक व भूगर्भीय अध्यन के अनुरूप नीति बनाई जाए। साथ में सभी बड़े निर्माण कार्यों व परियोजनाओं और बहु मंजिला इमारतों व विनाशकारी ढांचागत निर्माण पर पूर्ण रोक लगाई जानी चाहिए।


जल संरक्षण तथा लोक मित्र मिश्रित वनों के उपार्जन के लिए जन सहभागिता आधारित नीति बनाई जाए व प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्यागों पर पूर्ण रोक लगे।
प्लास्टिक व कचरा प्रबंधन पर ठोस नीति अपनाई जाए। राजस्व कानून की धारा 118 को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। वन अधिकार कानून को लागू किया जाए।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिगृहण कानून के मुताविक परियोजनाओं से प्रभावितों को 4 गुना मुआवजा को दिया जाए।
–ट्रांसमिशन लाइनों के लिए कानून की जरूरत
सरकारी व प्राइवेट कंपनियों द्वारा बिछाई गई बिजली की ट्रांसमिशन लाइनों के नीचे खतरे में आने वाली प्रभावित भूमि, रिहायशी घरों, मवेशी खानों का कानूनन अधिग्रहण किया जाना चाहिए और प्रभावितों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार को बिजली ट्रांसमिशन के लिए नया कानून लाने की जरूरत है।
–ऐसी हो राष्ट्रीय विकास नीति
हिमालयी पर्यावरण संरक्षण, टिकाऊ विकास व राष्ट्रीय हित को ध्यान में रख कर जन-सहभागिता से हिमालयी विकास नीति बनाई जाए। पहाड़ के परंपरागत निवासियों व जैव विविधता का संरक्षण हो गेर हिमालय अवादियों को यहाँ न बसाया जाए। पलायन को रोकने के लिए यहां सम्मान जनक रोजगार के साधन खड़े किये जाएं।
–केंद्र सरकार ने बदले कानून उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वन भूमि हस्तांतरण के प्रावधानों को भी बदलने की कोशिश की हैं, तथा देश के सीमा क्षत्रों में बड़ी परियोजनाओं को 100 किलोमीटर तक वन संरक्षण अधिनियम में छूट दी गई। इन बदलावों को निरस्त किया जाए।
पर्यावरण संरक्षण के कानूनो को सख्त किया जाए और देश में आज उपलब्ध सभी पर्यावरणीय कानूनों का उचित पालन किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!