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तूफान मेल न्यूज,डेस्क। बागी विधायकों पर भाजपा बड़ी गेम खेलना चाहती है। छह बागी विधायक यदि कोर्ट से बहाल होते हैं तो भी गेम को भाजपा अपने स्तर पर खेलना चाहती है। यदि बागी विधायक बहाल नहीं होते है तो फिर से चुनाव होना तय हैं। ऐसी स्थिति में क्या बागियों को भाजपा टिकट देती है या फिर कुछ और। अभी तक जो राजनीतिक विश्लेषक निचोड़ निकाल रहे हैं उससे यही सिद्ध हो रहा है कि दोनों स्थिति में सरकार को अस्थिर करने का प्रयास हो रहा है। विधायक बहाल हुए तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में कैसे आएगी इसको लेकर रणनीति तय हो रही है।
बहुमत साबित करने के लिए दोनों-पार्टियों के पास 34-34 का आंकड़ा होगा लेकिन ऐसी स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष मतदान नहीं कर पाएंगे और कांग्रेस के पास 33 व भाजपा के पास 34 विधायक होंगें। जिसमें कांग्रेस के छह,3 निर्दलीय और 25 भाजपा के।
इस तरह 34 का आंकड़ा पूरा करके कांग्रेस सरकार के पास 33 का आंकड़ा रह जाएगा और सरकार खतरे में होगी। दूसरा फार्मूला यह है कि केंद्र छह सीटों के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ करवाकर छह की छह जितने का मादा रखेगी और फिर से इसी आंकड़े को छूने का प्रयास होगा। ऐसी स्थिति में भाजपा क्या छह के छह बागियों को टिकट देती है या फिर कुछ और फार्मूला लागू करती है। छह के छह बागियों को टिकट देकर सिटिंग भाजपा नेता रूष्ट हो सकते हैं और ऐसी स्थिति में विद्रोह भी हो सकता है और भाजपा अपने मिशन से चूक सकती है।
अब देखना यह है कि भाजपा हिमाचल की सियासत में क्या नया खेल खेलने जा रही है। लेकिन कोर्ट के फैसले से पहले यदि आचार संहिता लगती है तो मामला लटक सकता है और ऐसी स्थिति में केंद्र की भाजपा छह सीटों पर फिर से चुनाव करवा सकती है। अब सबकी नीगाहें हिमाचल पर टिकी है।