देखें वीडियो,,,,,,,आप प्रेम पूर्ण है और परमात्मा के प्रेम दूत है इसलिए हर जगह प्रेम फैलाओ:सुधांशू जी महाराज, मन का विचार व भावना को शान्त करना ही ध्यान है -पूज्य महाराज, पन्द्रह दिवसीय अर्द्ध चंद्रायण तप शिविर का साधना धाम आश्रम मनाली में हुआ सपन्न

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तुफान मेल न्यूज, मनाली।

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विश्व जागृति मिशन द्वारा देवभूमि हिमाचल प्रदेश में स्थापित साधना धाम आश्रम मनाली में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 15 दिवसीय ‘अर्द्ध चांद्रायण तप साधना एवं पांच दिवसीय ध्यान साधना शिविर का आयोजन किया गया , जिसका शुभारम्भ मिशन के परमाध्यक्ष परम श्रद्धेय सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा पांच दिवस पहले दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया था।

इन पांच दिनों में साधना धाम मनाली में सैंकड़ों श्रद्धालुओं एवं भक्तों ने अपनी साधना को सफल करने के लिए गुरु चरण पादुका को प्रणाम करके आशीर्वाद लिए और ध्यान साधना में लीन रहे।

गुरुवार को ध्यान साधन के साथ ही इस पांच दिवसीय शिविर का विधिवत समापन्न हुआ।भगवान शिव और माता पार्वती का साधना स्थल मनाली भारत के सुरम्य वातावरण देवभूमि हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी के तट पर विराजित साधना धाम में समागत साधकों को पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज ने देश में शान्ति अमन और चैन के लिए परमात्मा से वन्दना के उपरान्त यह राष्ट्र सुरक्षित रहे कि कामना की।

परम पूज्य गुरुदेव ने कहा कि आप प्रेम पूर्ण है और परमात्मा के प्रेम दूत है इसलिए हर जगह प्रेम फैलाओ। जहां भी जाओ प्रेम को उजागर करो। उन्होंने कहा कि जिसने जीवन दिया है, समय का पहला भाग भगवान के लिए दें, आप सभी इस तपोभूमि में एकत्रित हुए हैं खुद को जानने के लिए।

यह जीवन चिंता, भय, निराश और दूसरों को दोष देने के लिए नहीं है। तिलती के पास एक महीने का जीवन होता है और कुछ भी सोचे बिना आनन्द और उल्लास से जीवन जीता है। पीड़ा समस्या और चुनौती सबके पास है, इन सबके बीच में जो जीवन को अच्छे से जी रहा है वही भाग्यशाली है, यही है जीवन जीने की कला।सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज ने आगे कहा कि अपनी चुनौतियों को कुछ समय के लिए भूलकर अपने कर्म और ध्यान साधना में संलग्न होकर खुद को नया बनाकर यहां से जाएं, मेरी यही प्रार्थना है। अपनी जीवात्मा और चैतन्य को जानने के लिए ध्यान में विचार का शून्य होना, भावातीत होना, इमोशन लैस होना, निर्भाव होना, शान्त होना, मन में कोई विचार न कोई सोच हो और मैं आनंदित हूं कि भावना से खुद को परमात्मा से जोड़े।

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