पूजा-अर्चना से भक्तिमय हो उठा है ढालपुर मैदान


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देवी-देवताओं के महाकुंभ उत्सव में भगवान रघुनाथ जी का अस्थायी कैंप आकर्षण का केंद्र

भगवान रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में सुबह से शाम तक घाटी के देवी-देवता भर रहे है हाजरी

हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान के भजनों व जयकारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान

तूफान मेल न्यूज,कुल्लू।
देवी-देवताओं के महाकुंभ उत्सव में भगवान रघुनाथ जी का अस्थायी कैंप आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। रघुनाथ जी का श्रृंगार एक दिन में आठ बार किया जाता है। अधिष्ठाता रामचंद्र जी दशहरा उत्सव के अधिष्ठाता देव माने जाते है। देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का मुख्य आकर्षण रहने वाले अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ का शिविर भक्तिमय हो उठा है। देवता के अस्थाई शिविर में सुबह से शाम तक घाटी के देवी-देवता रोजाना अपनी हाजरी भरने आते हैं। प्रात: के समय ही भगवान रघुनाथ जी की षोडशोपचार के बाद भव्य श्रृंगार किया गया तथा राम सीता, हनुमान व नरसिंह भगवान ही विधिवत तरीके से पूजा की गई।

यह ऐतिहासिक व पुराण संगत पूजा भगवान राम जी के कारदार अठाहर करड़ू के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह तथा रघुनाथ जी के मंदिर के पुजारियों द्वारा वेद मंत्रों के माध्यम से की गई, उस समय हजारों की संख्या में ऐतिहासिक मैदान के अस्थायी शिविर में श्रद्धालुओं ने भगवान रघुनाथ के भव्य दर्शन किए। यह ऐतिहासिक व पुराणसंगत पूजा भगवान राम जी के कारदार अठाहर करड़ू के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह तथा रघुनाथ जी के मंदिर के पुजारियों द्वारा वेद मंत्रों के माध्यम से की गई, उस समय हजारों की संख्या में ऐतिहासिक मैदान के अस्थायी शिविर में श्रद्धालुओं ने भगवान रघुनाथ के भव्य दर्शन किए। प्रात: कालीन पूजा के साथ मंदिर में दर्शनों के लिए आए हुए हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान के भजनों व जयकारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। अस्थायी शिविर में रघुनाथ जी के समक्ष यह सिलसिला शाम तक चलता रहा। पूरे दिन भगवान की सात आरतियां उतारी गईं, जो कि दशहरे के सात दिन तक रोजाना उतारी जाएगी। दिन में नरसिंह भगवान द्वारा राजा के अस्थायी शिविर में भोजन किया जाता है तथा रात को भगवान के शिविर में चंद्राउली नृत्य कुछ विशेष लोगों द्वारा किया जाता है।

यह सभी कार्यक्रम या रस्में दशहरे के अंतिम दिन तक इसी प्रकार चलती रहेंगी। रघुनाथ के शिविर में दिनभर दशहरा देखने आए देश-विदेश के पर्यटकों का आना जारी रहा। पुरातन भारतीय संस्कृति को देखने के लिए अमरीका, लंदन व कनाडा इत्यादि देशों के पर्यटकों में खासा उत्साह नजर आ रहा था। दशहरे में पहुंचे सैंकड़ों देवी देवता भगवान रघुनाथ के शिविर में पहुंच कर शीश नवाज रहे हैं। हर रोज जैसे ही दर्जनों देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी कि शिविर में शीश नवाने को पहुंच रहे हैं। भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह तथा पुजारियों द्वारा वेद मंत्रों के साथ की जा रही पूजा में ढालपुर के ऐतिहासिक मैदान में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे है। शाम को भगवान रघुनाथ जी की आरती के बाद रघुनाथ जी, सीता माता और हनुमान जी के दर्शन सभी श्रद्धालुओं को करवाएं जाते हैं। पूरा ढालपुर मैदान देव वाद्य यंत्रों से थाप से गूंज उठता है। बहरहाल, सैंकड़ों देवी-देवताओं की उपस्थिति में भगवान रघुनाथ का शिविर भक्तिमय हो उठा है। वहीं शाम के समय महिलाएं रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में भजन कीर्तन कर रही है।

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छह दिनों तक प्रतिदिन आठ बार होगा रघुनाथ जी का श्रृंगार
देवी-देवताओं के महाकुंभ दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ जी का अस्थाई कैंप जहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है वहीं, रघुनाथ जी का श्रृंगार एक दिन में आठ बार किया जा रहा है। रघुनाथ जी दशहरा उत्सव के अधिष्ठाता देव माने जाते हैं। रघुनाथ जी रोज सीता माता के साथ सज-धज कर अपने अस्थाई शिविर में अपने सिंहासन पर विराजमान होते हैं। दशहरा पर्व में हर रोज रघुनाथ जी का श्रृंगार सुंदर वस्त्रों तथा कीमती आभूषणों से किया जाता है।

यहीं नहीं ढालपुर मैदान के बीचों-बीच बने भगवान रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में सैंकड़ों देवी-देवता रोजाना हाजरी भरने आते हैं और रघुनाथ जी के साथ मिलन करे अपने अस्थाई कैंपों में वापस लौटते हैं। यह देव मिलन का क्षण लोगों के लिए एक आकर्षण का कें द्र बनता है। दशहरा में रघुनाथ जी का शाही स्नान श्रद्धालुओं सहित देश-विदेश से आए लोगों के लिए भी आषर्कण का केंद बनता हुआ है। संध्या के समय रघुनाथ की आरती से पहले अस्थाई शिविर में चंद्राउली नृत्य दशहरा देव समागम की शोभा को दो गुणा बढ़ा देता है। गौर रहे कि अयोध्या से रघुनाथ जी मूर्ति लाने के बाद ही दशहरा उत्सव शुरू हुआ था।

अपने आप में अनुठी देव संस्कृति के लिए प्रसिद्ध कुल्लूू के दशहरा उत्सव में रघुनाथ जी विशेष महत्व है तथा दशहरा उत्सव में रघुनाथ जी को मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है। रघुनाथ जी के बिना दशहरा उत्सव का कोई अस्तित्व नहीं है। दशहरा उत्सव के पहले रघुनाथ जी सीता माता और हनुमान सहित अपने अस्थाई शिविर में विराजमान होते हैं। बहरहाल रघुनाथ जी प्रतिमा जो एक अंगुष्ठ मात्र है, का रोज शाही स्नान होता है और इनका कीमती आभूषणों और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। शाम को भगवान रघुनाथ जी की आरती के बाद रघुनाथ जी ,सीता माता और हनुमान जी के दर्शन सभी श्रद्धालुओं को करवाएं जाते हैं। भगवान जी की एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ लग रही है।

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