तीर्थन नदी की निर्मल जलधारा में माता गाड़ा दुर्गा ने किया शाही स्नान


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

घाटी के केन्द्र बिन्दु गुशैनी में रही हुम मेले की धूम, उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा ने तीर्थन नदी में हारियानों समेत लगाई डुबकी

तूफान मेल न्यूज,बंजार

देखें वीडियो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में तीर्थन घाटी की देव संस्कृति और सभ्यता बहुत ही प्राचीन और समृद्ध है। यहाँ पूरे साल भर अनगिनत मेलों, त्यौहारों और धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता रहता है जो यहां की समृद्ध पहाड़ी संस्कृति को वखूबी दर्शाता है। ये सांस्कृतिक मेले और त्यौहार यहाँ के लोगों के हर्ष, उल्लास, श्रद्धा और खुशी का प्रतीक है।

आज तीर्थन घाटी के केन्द्र बिन्दु गुशैनी में हर वर्ष की भान्ति तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा का प्राचीनतम हुम उत्सव बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। इस मेले में हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों के इलावा कुछ बाहरी राज्यों के पर्यटकों ने भी हिस्सा लिया और माता का आशिर्वाद लिया।

तीर्थन घाटी का यह हुम मेला हर साल भादों माह की अमावस्या के दौरान गुशैनी में प्राचीन समय से लेकर बड़े हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता रहा है। इस पर्व के दौरान तीन कोठी की आराध्य देवी माता गाड़ा दुर्गा की पालकी को सुंदर लाव लश्कर व वाद्य यंत्रों की थाप पर इसके निवास स्थान बंदल शर्ची से प्राचीन मन्दिर गुशैनी लाया गया जहां पर मन्दिर प्रांगण में विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना, हवन पाठ और यज्ञ करने के बाद अन्य प्राचीनतम देव परम्पराओं का निर्वहन किया गया है।

इसके पश्चात यहां से माता की पालकी को बड़े लाव लश्कर के साथ तीर्थन नदी के दाहिने छोर पर शाही स्नान के लिए लाया तथा तीर्थन नदी की पवित्र जलधारा में शाही स्नान करवाया गया।

स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्राचीन काल में माता एक कन्या रूप में अवतरित हुई थी और आज के दिन इसी स्थान पर तीर्थन नदी में छलांग लगाकर लुप्त हो गई और इसके पश्चात शलवाड़ नामक स्थान पर एक मूर्ति के रुप में प्रकट हुईं थी। उस दौरान आकाशवाणी हुई थी कि मैं दुर्गा के रुप में अवतरित हुई हूं और गुशैनी में मेरा मंदिर बनाया जाए। तब उस समय लोगों ने गुशैनी में मन्दिर का निमार्ण करके इसके अंदर माता की परस्त प्रतिमा को स्थापित किया है।

तीर्थन नदी को स्थानीय भाषा में गाड़ कहते है। नदी यानी गाड़ से उत्पन्न और अवतरित होने के कारण ही माता को गाड़ा दुर्गा के नाम से पुजा जाने लगा और गुशैनी नामक स्थान पर यह हुम पर्व हर साल मनाया जाता है।

साल भर में एक बार मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान तीन कोठी के स्थानीय बाशिंदों के आलावा बाहरी राज्यों के सैलानियों ने भी शिरकत की है। कर्नाटका राज्य बेंगलुरु से दिल्ली होकर आए पर्यटक प्रणय गोराई ने बताया कि इस अनोखे उत्सव को देखकर इन्हें बहुत ही अच्छा लगा। इन्होनें बताया कि यह करीब चार दिनों से तीर्थन घाटी में रुके है, यहां पर सब सामान्य चला है। हालांकि भारी बारिश के कारण यहां बहुत नुकसान हुआ है लेकिन अब यहां पर आने जाने में कोई भी दिक्कत नहीं है। जो भी पर्ययक यहां आना चाहे वो आसानी से पहुंच सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!