खतरे की जद में हैं धार्मिक नगरी मणिकर्ण,तटीकरण की उठ रही है मांग,ब्रह्मगंगा से गुरुद्वारा तक पार्वती का खौफ,गांव को लग चुका है खारा

Spread the love


तूफान मेल न्यूज, मणिकर्ण। हिंदू-सिक्खों की संगम स्थली धार्मिक नगरी मणिकर्ण खतरे की जद में है। पार्वती नदी का रौद्र रूप कभी भी यहां बड़ी तबाही मचा सकता है। ब्रह्मगंगा से लेकर गुरुद्वारा तक पूरी तरह से खतरा बना हुआ है। पार्वती नदी के तट पर बसे मणिकर्ण गांव को जल की तेज धाराओं से खारा लग चुका है।

यदि पार्वती नदी में उफान आता है तो मणिकर्ण में तबाही मच सकती है। गौर रहे कि 1998 में भी नदी ने गांव की ओर रुख किया था और उस दौरान पर्यटन निगम के होटल पार्वती की जमीन बह गई थी और होटल का आधा हिस्सा भी बह गया था। इसके बाद वर्ष 2001 में जहां होटल पार्वती पूरी तरह से नदी की भेंट चढ़ा था वहीं साथ लगते ब्रह्मगंगा में भारी तबाही मची थी। यहां अर्धनारीश्वर का भव्य मंदिर सहित कई घराट व जमीन भी बाढ़ की भेंट चढ़ गई थी। सुंदर पर्यटन स्थल ब्रह्मगंगा खंडहर में तबदील हो गया था। इसके बाद लगातार बीच-बीच में नुकसान होता रहा।

मणिकर्ण गांव सदियों से पार्वती नदी की गोद में ही बसा हुआ है लेकिन अब यह गांव खतरे की जद में हैं। सनद रहे कि मणिकर्ण में जहां एक तरफ पार्वती नदी बहती है वहीं गांव के पूरे भूगर्भ में गर्म पानी है। यहां फूटने बाले गर्म पानी के चश्मों में 108 डिग्री तक उबलता गर्म पानी बहता है। यही नहीं यह गांव धार्मिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है। यहां प्राचीन राम मंदिर,शिव मंदिर, गुरुद्वारा साहिब, नैना माता मंदिर,प्राचीन शिवालय सहित कई अन्य छोटे-बड़े मंदिर गांव के अंदर ही बिराजमान है,लेकिन साथ ही गांव के साथ पार्वती नदी बहती है। पिछले कुछ वर्षों से पार्वती नदी के उफान में आने से यहां नुकसान होता रहा है और लोग भय में जीते रहे हैं।

इस बार जिला में मची तबाही के बाद यह भय और भी ज्यादा होने लगा है। इसलिए स्थानीय लोगों ने मांग उठाई है कि धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गांव मणिकर्ण को बचाने के प्रयास किए जाएं और ब्रह्मगंगा से लेकर गुरुद्वारा तक इसका तटीकरण किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!