तूफान मेल न्यूज शिमला।
आखिर PM मोदी ने प्रदेश सरकार को झटका दे ही दिया है और कर्ज लेने की सीमा घटा दी है। लिहाजा
हिमाचल सरकार को केंद्र की मोदी सरकार ने जोर का झटका दिया है। केंद्र ने सत्ता परिवर्तन के मात्र 6 महीने के भीतर ही हिमाचल की कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया है। बीते साल जब राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब हिमाचल को 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी।

हिमाचल में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और कांग्रेस के काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने लोन लेने की सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती की है। यानी 2023-24 में सुक्खू सरकार 9000 करोड़ रुपए का ही कर्ज ले पाएगी। इससे 76 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा के कर्ज में डूब चुकी हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत बिगड़ना तय है। इसको लेकर कैग भी हिमाचल को पहले ही चेता चुका है।
इस फैसले
आने वाले कुछ महीनों बाद कर्मचारियों व पेंशनर को सैलरी और पेंशन का भुगतान तक करना चुनौती भरा हो जाएगा, क्योंकि राज्य के पास अपनी आय के सीमित साधन हैं। वहीं, केंद्र सरकार एक के बाद एक झटके दे रही है।
हिमाचल सरकार को 2020 तक जीपीएस का तीन फीसदी लोन लेने की छूट दी। कोरोना काल में मई 2020 में इसे बढ़ाकर 5 फीसदी किया गया। अब केंद्र ने इस छूट को खत्म कर दिया है। इस निर्णय को राज्य में ओल्ड पेंशन बहाल बहाल करने की सजा के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार बार-बार कह रही थी कि OPS को बहाल नहीं किया जाए। यह राज्य के हित में नहीं है।