तुफान मेल न्यूज, भुंतर ।
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दो वर्ष पहले आई बाढ़ के जख्म जिया वालों के लिए आज भी हरे हैं । जिया निवासी राजू, निक्कू राम, पुने राम, दीपु, कांता, कृष्णा देवी आदि ने कहा कि 2023 की 9 व 10 जुलाई की वह दो भयानक रातें जिया के बाशिंदों को याद है जो हमने अपने घरों से बाहर बिताई थी। ब्यास व पार्वती नदी का रौद्र देख सभी ने घर से भाग कर अपनी जान बचाई और रितेदारों के पास शरण ली थी।

वह दो दिन व रातें बहुत ही डरावनी थी आज भी उस मंजर को याद कर हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं । यहीं नहीं जिया वालों के लिए 2024 में भी मुसीबतों का पहाड़ टूटा मलाणा डैम फटने से फिर त्रासदी हुई पार्वती नदी का उग्र रूप देख ग्रामीणों को फिर घर छोड़ कर भागना पड़ा।

ग्रामीणों का कहना है कि बड़े दुःख की बात है इतनी बढ़ी त्रासदी की घटना के बाद भी जिया गांव के बाढ़ संभावित क्षेत्र में सुरक्षा दीवार तक नहीं लगी। जबकि हमने प्रशासन व सरकार से कई बार सुरक्षा दीवार लगाने की गुहार लगाई । लेकिन दो साल बीत जाने पर भी न सरकार का दिल पसीजा न ही प्रशासन का । जिया वालों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा हैं जबकि जिया पोलिंग बूथ से विस चुनावों में कांग्रेस को ही लीड मिली हैं । अब फिर से बरसात आने वाली है लोगों को वही मंजर याद आता हैं । बाढ़ से लोगों का भारी नुकसान भी हुआ था। अब जब भी बारिश शुरू होती है लोग भयभीत हो जाते हैं । रात को जागकर नदी की ओर झांकते हैं कहीं नदी फिर से तबाही न मचा दे। क्योंकि बाढ़ ने नदी के किनारे कमजोर कर दिए हैं जलस्तर बढ़ते ही अब तबाही होने में देरी नहीं लगेगी। जनता सरकार व प्रशासन से पुनः आग्रह करती हैं कि जिया गांव के डेंजर जोन में शीघ्र कंक्रीट की दीवार लगाई जाए। वहीं जिया का फुट ब्रिज भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया था जिसे भी शासन व प्रशासन नहीं लगा पाया। किसानों बागवानों व स्कूली बच्चों को पुल के बिना भी बड़ी मुसीबत हैं। वहीं एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला का कहना है कि वन विभाग व अन्य संवंधित विभागों से बात कर मलबा हटाने की कारवाई शीघ्र शुरू करवाते हैं।