तुफान मेल न्यूज, कुल्लू.
प्रदेश में सरकार के विकास व अन्य निर्माण कार्यों को धरातल पर उतारने वाले ठेकेदारों का तबका सरकार द्वारा उनके बिलों की अदायगी ना होने के कारण हताश चला रहा है। लोक निर्माण मंडल बंजार के अधीन वितीय देनदारी का आंकड़ा करोड़ों में जा पहुंचा है और ठेकेदार दो वर्षों से अपने बिलों की अदायगी की प्रतीक्षा में हैं। कुछ दिन पूर्व ही बंजार लोक निर्माण मंडल के अंतर्गत कार्य कर रहे ठेकेदारों के प्रतिनिधिमंडल ने अपने लंबित बिलों की अदायगी को लेकर मुख्यमंत्री के लिए ज्ञापन सौंपा दिया है।

ज्ञापन के माध्यम से ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ठाकुर से दो वर्ष पूर्व की बिल अदायगी चुकता करने का आग्रह किया है। कांग्रेस विचारधारा व मानसिक तनाव का हवाला देकर ठेकेदारों ने सरकार से इस परिस्थिति पर संज्ञान लेने का निवेदन किया है।

वहीं बंजार विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुरेंद्र शौरी ने इस पर तंज कसते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार ने अपनी विचारधार के ठेकेदारों व कार्यकर्ताओं को भी प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ठेकेदारों ने मानसिक तनाव का हवाला तक दिया है परंतु अपनी ही सरकार से ठेकेदारों को कोई विशेष आश्वासन नहीं मिला है।

ऐसी परिस्थितियों में वर्तमान सरकार सभी जन मानस का विश्वास खो चुकी है व अपने पतन की ओर अग्रसर है। कांग्रेस सरकार में कांग्रेस का उच्च पदस्थ वर्ग स्वयं तो सत्ता के मद व भोग में रमा हुआ है। जबकि अन्य सभी प्रताड़ना झेल रहे हैं। विधायक शौरी ने कहा है कि वे भी ठेकेदारों के बिलों की अदायगी के लिए मुख्यमंत्री से माँग रखेंगे ताकि विधानसभा क्षेत्र में विकास व अन्य संबंधित कार्य अनवरत चलते रहें।विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि राज्य लोक निर्माण विभाग व जल शक्ति विभाग में कई ठेकेदारों के लंबित भुगतान नहीं हो रहे हैं। करोड़ों की देनदारियां ठेकेदारों की लंबित है। यह मुदा सदन मे उठाया जायगा। यदि 38 ठेकेदारों ने लिखित रूप से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपा यह बहुत ही दुर्भायापूर्ण है।उन्होंने ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि यह कैसी विवास्था परिवर्तन है। ठेकेदारों को दो साल से बिल की पेमेंट नहीं हो पा रही है। अगर ठेकेदारों की अदायगी न होने से मानसिक तनाव मे आ गए है उसके जिम्मेबार प्रदेश सरकार होंगी।विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 का सरकार ने लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग का बजट रोका था। दोनों विभाग ठेकेदारों की पेमेंट नहीं दे पाई थी। इससे ठेकेदार भी अपने मजदूरों की दिहाड़ी तक नहीं दे पाये थे।