नर्सिंग की छात्राओं ने रैली निकालकर किया जागरूक
तूफान मेल न्यूज, कुल्लू।
जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विश्व टीबी दिवस मनाया गया। तो वही नर्सिंग की छात्राओं ने रैली निकालकर जनता को भी टीबी की बीमारी के बारे में जागरूक किया। रैली को सीएमओ डॉ नागराज के द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। वहीं उन्होंने इस विश्व टीबी दिवस के आयोजन के बारे में छात्राओं को जागरूक किया। सीएमओ डॉ नागराज ने बताया कि अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रो बैक्टीरियल ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) बैक्टीरिया की खोज की थी। डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई। उनकी इस खोज की वजह से डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए 24 मार्च की तारीख को चुना गया और 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई। उन्होंने बताया कि विश्व तपेदिक दिवस को लेकर हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है। साल 2023 की थीम है- यस वी कैन एंड टीबी। इसका मतलब है कि हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं। इस थीम के जरिए लोगों को टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए मोटिवेट करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का संकल्प विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिजीज में से एक है।

डब्ल्यूएचओ की तरफ से साल 2030 तक दुनिया को पूरी तरह से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं भारत की ओर से 2024 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह से निजात दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हर साल विश्व क्षयरोग दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिला कुल्लू में 40% टीबी के मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं और 90 निश्चय मित्र भी बनाए गए हैं। जो आर्थिक रूप से भी टीबी के मरीजों की सहायता करते हैं।