जिला कुल्लू में 29 हजार 287 बच्चों पर नजर रखेगा स्वास्थ्य विभाग


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4 दिसंबर तक मनाया जाएगा सघन दस्त एवं निमोनिया नियंत्रण पखवाड़ा
डायरिया से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग करेगा लोगो को जागरूक
तूफान मेल न्यूज,कुल्लू।

जिला कुल्लू में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जहां 20 नवंबर से 4 दिसंबर तक सघन दस्त एवं निमोनिया नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा। तो वही घर-घर जाकर आशा वर्कर के द्वारा ऐसे बच्चों की पहचान की जाएगी। जो दस्त एवं निमोनिया जैसी बीमारी के शिकार है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी उन बच्चों के इलाज के लिए विशेष रूप से काउंटर स्थापित किया जाएगा। ढालपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में आशा वर्कर व स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को जानकारी देते हुए सीएमओ को को डॉक्टर नागराज पवार ने बताया कि जिला कुल्लू में स्वास्थ्य विभाग के 6 खंड है जहां पर जीरो से लेकर 5 साल तक के बच्चों की संख्या 29287 है। ऐसे में सभी स्वास्थ्य खंड में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिंक और ओआरएस की गोलियां भेज दी गई है और आशा वर्कर के माध्यम से यह सभी बच्चों तक पहुंचाई जाएगी। इसके अलावा भी आशा वर्कर के द्वारा घर-घर जाकर सभी बच्चों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी कि आखिर कोई बच्चा निमोनिया या फिर दस्त से ग्रसित तो नहीं है। सीएमओ को लोग डॉक्टर नागराज ने बताया कि देश में पांच साल के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने और इस आयु वर्ग में लगभग 10 प्रतिशत मृत्यु दस्त व उसकी जटिलताओं की वजह से होती है। इसका लक्ष्य दस्त के सबसे सस्ते और प्रभावकारी उपचार मौखिक पुनर्जलीकरण साल्ट के मिश्रण ओआरएस घोल और जिंक टेबलेट का प्रयोग करने की जन जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने बताया कि पखवाड़े के दौरान गांव, जिला स्तर पर स्वच्छता के लिए गहन समुदाय जागरूकता अभियान और ओआरएस व जींक थेरेपी का प्रचार किया जाएगा। आशा कार्यकर्ता अपने गांवों में पांच वर्षों से कम आयु के बच्चों वाले घरों में ओआरएस के पैकेट वितरण करेगी। प्रथम पंक्ति की कार्यकर्ता एएनएम आशा वर्कर ओआरएस घोल तैयार करने की विधि प्रदर्शन के साथ-साथ, खान-पान और स्वच्छता संबंधी परामर्श देगी, स्वास्थ्य संस्थाओं और ओआरएस-जिंक कार्नर स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दस्त के कारण होने वाली लगभग सभी मृत्यु को मौखिक पुनर्जलीकरण साल्ट के मिश्रण ओआरएस और जिंक गोलियों के प्रयोग द्वारा शरीर में जल की कमी के उपचार के साथ-साथ बच्चों को भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व देकर रोका जा सकता है और शुद्ध पेयजल, स्वच्छता, स्तनपान, समुचित पोषण और हाथ धोकर दस्त से बचाव किया जा सकता है

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