तुफान मेल न्यूज, कुल्लू। जिला कुल्लू के ट्राउट किसान संघ की बैठक कुल्लू में आयोजित की गई।जिसकी अध्यक्षता ट्राउट किसान संघ जिला कुल्लू के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने की। जबकि गवरिंग बॉडी के सदस्य एवं जिला कुल्लू की विभिन्न घाटियों और अपनी-अपनी नदियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ट्राउट किसानों के साथ-साथ शासन-प्रशासन भी उपस्थित रहा।

इस बैठक के दौरान संघ के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि राज्य में ट्राउट खेती को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा कदम उठाए गए हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है ताकि निराश किसानों को राहत मिल सके। बाढ़ आपदा/प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के कारण किसान अपनी मत्स्य इकाइयों के लिए आपदा राहत कोष में अपना हिस्सा चाहते हैं क्योंकि सरकार अपने अन्य सरकारी विभागों और सार्वजनिक संपत्तियों को राहत प्रदान करती है, ट्राउट किसान भी अपना हिस्सा चाहते हैं।

क्योंकि उन्हें अपने व्यवसाय के लिए भारी ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है और इस आपदा राहत में सरकारी सहायता के बिना वे ट्राउट फार्मिंग क्षेत्र में अपनी उम्मीद खो देंगे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि विभाग बाजार में ट्राउट और ट्राउट फिंगरलिंग्स बेचने में किसानों के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा में है।

चूंकि ट्राउट किसानों की यह पुरानी मांग थी कि विभाग को इस समस्या के संबंध में विपणन क्षेत्र में किसानों के साथ प्रतिस्पर्धा बंद करनी चाहिए, इसलिए किसान संघ इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि चूंकि किसानों के खेत दूरदराज के क्षेत्रों में हैं और उनके लिए अपने उत्पाद को आसानी से बाजार में बेचना मुश्किल है। बैठक में निर्णय लिया गया कि विभाग को किसानों की उपज को राजमार्गों के किनारे स्थित अपने बिक्री काउंटरों पर बेचने की पहल करनी चाहिए, जहां से मत्स्य विभाग पहले से ही अपने उत्पाद बेच रहा है तथा विभाग के उत्पादों के बजाय किसानों के उत्पादों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसा करने से किसान अपने ट्राउट उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे तथा उन्हें अपने उत्पाद को बेचने का तनाव कम होगा। ऐसा करने से हिमाचल प्रदेश में भविष्य में ट्राउट का रिकॉर्ड उत्पादन होगा।बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्तमान में पशुधन की बीमा पॉलिसी किसानों का समर्थन नहीं कर रही है, क्योंकि बीमा कंपनी द्वारा आज तक किसानों के पशुधन के नुकसान का कोई दावा नहीं किया गया है तथा जब तक इसमें संशोधन नहीं किया जाता है, तब तक किसानों की इस पॉलिसी में कोई रुचि नहीं है। इसके अलावा यह भी मांग उठी कि जो रेसवे बह गए हैं उनके स्थान पर नए रेसवे बनाए जाने चाहिए। किसानों की मांग है कि उनके पशुधन को मृत्यु के सभी कारणों से पूरी तरह से कवर किया जाना चाहिए, साथ ही फार्म के बुनियादी ढांचे को बाढ़/प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के तहत कवर किया जाना चाहिए तथा ट्राउट फार्म इकाई को सितंबर माह में बीमा किया जाता है जो उचित नहीं जबकि बीमा उस समय होना चाहिए जब फार्मर ट्राउट का बीज फार्म में डालते हैं।