नीना गौतम,कुल्लू, 14 अक्तूबर।
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देवी-देवताओं के महाकुंभ दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ जी का अस्थाई कैंप आकर्षण का केंद्र बना हुआ। रघुनाथ जी का श्रृंगार एक दिन में आठ बार किया जाता है। अधिष्ठाता रामचंद्र जी दशहरा उत्सव के अधिष्ठाता देव माने जाते है। रघुनाथ जी रोज सीता माता के साथ सज-धज कर अपने अस्थाई शिविर में अपने सिहासन पर विराजमान होते हैं। दशहरा पर्व में हर रोज रघुनाथ जी का श्रृंगार सुंदर वस्त्रों तथा कीमती आभूषणों से किया जाता है। यहीं नहीं ढालपुर मैदान के बीचों-बीच बने भगवान रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में सैंकड़ों देवी-देवता रोजाना हाजरी भरने आते हैं और रघुनाथ जी के साथ मिलन करे अपने अस्थाई कैंपों में वापस लौटते हैं।

गौर रहे कि अयोध्या से रघुनाथ जी मूर्ति लाने के बाद ही दशहरा उत्सव शुरू हुआ था। अपने आप में अनुठी देव संस्कृति के लिए प्रसिद्ध कुल्लू के दशहरा उत्सव में रघुनाथ जी विशेष महत्व है तथा दशहरा पर्व में रघुनाथ जी मुख्य देवता के रूप में पूजे जाते हैं। रघुनाथ जी के बिना दशहरा उत्सव का कोई अस्तित्व नहीं है। दशहरा उत्सव के पहले रघुनाथ जी सीता माता और हनुमान सहित अपने अस्थाई शिविर में विराजमान होते हैं। बहरहाल रघुनाथ जी प्रतिमा जो एक अंगुष्ठ मात्र है, का रोज शाही स्नान होता है और इनका कीमती आभूषणों और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है।

शाम को भगवान रघुनाथ जी की आरती के बाद रघुनाथ जी ,सीता माता और हनुमान जी के दर्शन सभी श्रद्धालुओं को करवाएं जाते हैं। भगवान जी की एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ लग रही है। रघुनाथ जी की दर्शन की यादों को अपने कैमरों में कैद करने के लिए देश-विदेश से आए पर्यटक भी बहुत उत्सुक देखे गए हैं।

