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-हडिंबा माता को लेने आए रघुनाथपुर से सेवक
–जगह-जगह पर किया माता का भक्तों ने स्वागत
तूफान मेल न्यूज , कुल्लू
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मां हिडिंबा के राजमहल में प्रवेश करते ही शुरू हुआ दशहरा उत्सव
-हडिंबा माता को लेने आए रघुनाथपुर से सेवक
-जगह-जगह पर किया माता का भक्तों ने स्वागत
नीना गौतम तूफान मेल न्यूज
कुल्लू 13अक्तूबर। कुल्लू राजवंश की दादी मां व घाटी की आराध्य देवी माता हिडिंबा के कुल्लू पहुंचते ही विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ का आगाज हो गया है । गौर रहे कि कुल्लू के राजाओं को माता हिडिंबा ने राजपाठ दिया है और उसी समय से देवी हिडिंबा को रूपी राज घराने की दादी मां की संज्ञा मिली है। आज भी जब तक दादी मां राजमहल में प्रवेश नहीं करती तब तक दशहरा पर्व की शुरूआत नहीं होती है। रघुनाथ जी के सेवक माता हिडिंबा को लेने रामशिला हनुमान मंदिर पहुंचे। जहां से कुल्लवी वाद्य यंत्रों की थाप के साथ माता हिडिंबा रघुनाथपुर पहुंची। हनुमान मंदिर में देवविधि अनुसार पूजा-अर्चना करने के बाद सेवक सहित माता सुल्तानपुर पहुंची।
राज परिवार द्वारा माता हिडिंबा का रघुनाथपुर पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। राज परिवार ने माता का आशीर्वाद लेने से पहले पारंपरिक पूजा की तथा उसके बाद माता हिडिंबा का आशीर्वाद लिया। दादी मां कही जाने वाली माता हडिंबा व भगवान रघुनाथ के भव्य मिलन की हजारों आंखें गवाह बनी। इससे पूर्व माता के रथ को सजाया गया। माता के रघुनाथपुर पहुंचते ही सारा माहौल भक्तिमय हो उठा। माता हडिंबा सहित घाटी के दर्जनों देवी-देवताओं ने रघुनाथपुर में दस्तक दी तथा रघुनाथ जी की शोभा यात्रा में भाग लेने के लिए रघुनाथ पुर से प्रस्थान किया। शाम को लगभग चार बजे ढालपुर मैदान देव वाद्य यंत्रों से गूंज उठेगा । सैंकड़ों देवी-देवताओं ने रघुनाथ जी की शोभा यात्रा में भाग लेंगे गौर रहे कि माता हिडिंबा के आने पर ही दशहरे का शुभारंभ होता है। रथ यात्रा शुरू होने से पूर्व सभी देवी देवता जब रथ मैदान में एकत्रित होते हैं , गौर रहे कि माता हिंडिबा अगर दशहरा उत्सव में शामिल न हो तो दशहरा अधूरा माता जाता है।