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तुफान मेल न्यूज, कुल्लू। केंद्र सरकार द्वारा प्रसिद्ध पर्यावरण विद सोनम वांगचुक को गिरफ्तार करने के बाद कई संस्थाएं आक्रोश में आ गई है। हिमालयन क्लाइमेट वॉरियर संस्था के अध्यक्ष महिमन चंद्र शर्मा ने कहा कि यह तानाशाही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यह तानाशाही कर रही है और जो लोग शांतिपूर्ण तरीके से पद यात्रा कर रहे हैं उन्हें डिटेन किया जाता है। उन्होंने कहा कि तानाशाही ज्यादा दिन नहीं चलती।
विस्तृत समचार
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी दुर्भाग्यपूर्ण : बीएस राणा,
हिमालयन क्लाइमेट वॉरियर्सज तथा सेव लाहौल स्पीति संगठन ने की गिरफ्तारी की निंदा
कुल्लू, 1 अक्तूबर।
प्रख्यात पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता जो लगभग 150 से ज्यादा लद्दाख के निवासियों के साथ साथ पर्यावरण सुरक्षा, लद्दाख को 6th शेड्यूल की मानी गई मांग को लागू करवाने हेतु शांतिपूर्ण आप यात्रा करते हुए 2 मार्च को दिल्ली राजघाट पर पहुंचने वाले थे, उन्हें साथियों सहित सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली व हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बात सेव लाहुल-स्पिति के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस राणा ने
हिमालयन क्लाइमेट वॉरियर्सज, तथा सेव लाहौल स्पीति संगठन हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही।
सेव लाहुल-स्पिति के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा है कि पर्यावरण की चिंता मात्र सोनम वांगचुक की नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक चिंता है, इसलिए वह नेक उद्देश्य के साथ अपनी मुहीम के साथ केंद्र सरकार के समक्ष महत्त्वपूर्ण मुद्दों को रखना चाह रहे हैं। अचानक उनकी गिरफ्तारी से यह स्पष्ट है कि सरकार पर्यावरण व संबद्ध विषयों को लेकर गंभीर नहीं है।
हिमालयन क्लाइमेट वॉरियर्स के अध्यक्ष महीमन चंद्र ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जिस प्रकार महात्मा गांधी ने विश्व को अहिंसा का रास्ता दिखाकर शांति का पाठ सिखाया, उसी प्रकार सोनम वांगचुक भी शांतिपूर्ण तरीके से गांधी जयंति के सुभ-अवसर पर सरकार के समक्ष लद्दाख तथा हिमालय की समस्याओं को लेकर अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन हरियणा में अचानक उनकी गिरफ्तारी का सम्पूर्ण बुद्धिजीवी वर्ग निंदा करता है। उन्होंने संस्था की और से सरकार से निवेदन किया है कि सोनम वांगचुक के सभी मसलों को लेकर सार्थक बातचीत की की और हाथ बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुक और अन्य पदयात्रियों की गिरफ्तारी अवैध और असंवैधानिक है, जो उनके अधिकारों के Article 19 के स्पष्ट उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। वे न केवल लद्दाख अपितु संपूर्ण हिमालय की जलवायु की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं , जो प्रकारांतर से पूरे देश के इको सिस्टम को बचाने की लड़ाई है। इस दौरान संस्था की ओर से कुलदीप कपूर, अजेय तथा किशन श्रीमान भी मौजूद रहे।
काबिलेजिक्र है कि लद्दाख के लोग छठी अनुसूची के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी भूमि, वन, खनिज, संसाधनों, रीति-रिवाज और संस्कृति से संबंधित निर्णय लेने के लिए क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों और स्वदेशी समुदायों की मंजूरी आवश्यक होगी। क्योंकि अपने हज़ारों सालों से अर्जित लोकाचार और इंडिजिनस विवेक के माध्यम से केवल स्थानीय लोग ही यहाँ की कुदरती संसाधनों का प्रबंधन बखूबी कर सकते हैं न कि बाहरी लोग।
इस आंदोलन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) कर रहे हैं, जो लद्दाख के लिए पूर्ण राज्यत्व की मांग कर रहे हैं और इसके अलावा :
- लद्दाख के लिए अलग पब्लिक सर्विस कमीशन की स्थापना
- लद्दाख के लिए दो संसदीय सीटें
- छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करना
लद्दाख के लोग अपने भविष्य को आकार देने और अपनी भूमि की रक्षा के लिए छठी अनुसूची के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं। यह क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों और स्वदेशी समुदायों की मंजूरी के बिना भूमि, वन, खनिज, संसाधन, रीति-रिवाज और संस्कृति से संबंधित निर्णय लेने हक स्थानीय जनता के हाथ में सुरक्षित करना चाहती है जो कि किसी भी तरह गैर कानूनी नहीं।