तूफान मेल न्यूज,शिमला। चेले सुखबिंद्र सिंह सुख्खू ने कांगड़ा संसदीय इलाके की राजनीतिक शतरंत पर ऐसी गोटियां बिछाई कि गुरू आनंद शर्मा की साख दाव पर लग गई। यह पक्तियां बरिष्ठ पत्रकार विजय पूरी ने अपने अपने सोशल मीडिया एकाउंट में पोस्ट की हैं। उन्होंने लिखा है कहते हैं कि गुरू आनंद शर्मा कभी नहीं चाहते थेे कि वह अपनी राजनीति के अंतिम दौर में वह लोकसभा चुनाव लड़े।

वह भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से जहां कि राजनीति से उनका दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है। बावजूद इसके चेले गुरू पर भारी पड़े ओर आलाकमान से मिल कर गुरू को चुनावी मैदान में ला खड़ा कर दिया। अब आनंद शर्मा की हालत कंगना जैसी हो गई है। कहने को दोनों हिमाचली भी हैं, पर बाहरी भी हैं। आनंद शर्मा की स्थिति ऐसी है कि उनके दोस्त भी है पर भीतरद्यातियों की कमीं भी नहीं है। वर्तमान हालातों में तो भीतरद्यााती अधिक दिखते हैं। इस सब के बीच यह तय है कि मुकाबला रोचक होगा।

1982 के बाद आनंद शर्मा एकबार फिर चुनावी मैदान में हैं। 1982 में उन्होंने शिमला विधानसभा से पहला ओर आखरी चुनाव लड़ा था जिसमें वह हार गए थे। दिल्ली रहते हुए वह समय समय पर सीएम की दौड़ में भी रहे लेकिन वह हमेशा कहते रहे कि वह राष्ट्रीय राजनीति से ही संतुष्ट है। हिमाचल की चुनावी राजनीति से चाहे आनंद शर्मा का कोई सरोकार ना रहा हो,वह कमजोर प्रत्याशी नहीं है। उनकी उम्मीदवारी ने कािंग्रेस को टक्कर की स्थिति में ला दिया है। यहां दो ब्राहम्णों के बीच होने वाले संग्राम में रोचक नजारे देखने को मिल सकते हैं।




