तूफान मेल न्यूज,भुंतर।
भुंतर के समीपवर्ती गांव बागीचा में बैसाखी पर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया गया। माता गुजरी के मंदिर में न सिर्फ कुल्लू बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आई संगत ने हिस्सा लिया। माता गुजरी मंदिर में आनंदपुर साहब से आए रागी जत्थे द्वारा कीर्तन दरबार सजाया गया।उन्होंने गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह और उनके चारों साहबजादों के हिंदू धर्म की रक्षा के लिए दिए गए बलिदान को याद किया।

इस अवसर पर माता गुजरी को भी याद किया गया। रागी जत्थे ने बताया कि 13 अप्रैल 1699 को बैसाखी के दिन ही सिख सजे थे। जिसकी नींव सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रखी गई थी। उन्होंने बताया कि उस समय हिंदुओं पर मुगलों द्वारा बड़े जुर्म किए जाते थे। छोटे छोटे बच्चों को मां की गोद से छीन कर सूली पर लटका दिया जाता था। हर घर से एक पुत्र सिक्ख सजा करता था जो कि हिंदुओं की रक्षा के लिए अपने जीवन की आहुति देने के लिए तत्पर रहा करते थे। उन्होंने कहा सिक्ख फोज चाहे सैंकड़ों की हुआ करती थी लेकिन सामने लाखों की सेना होने पर भी होंसले नहीं हारती थी बल्कि लाखों की सेना पर भारी पड़ती थी। कीर्तन दरबार की समाप्ति के बाद दूर दूर से आई संगत के बीच गुरु का अटूट लंगर बरताया गया। संगत ने गुरु का लंगर प्राप्त करके गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया।