नीना गौतम,तूफान मेल न्यूज,कुल्लू। राज्यसभा सांसद की पोलिंग के बाद हिमाचल में ऑपरेशन लोटस की स्थिति तय हो जाएगी। राज्यसभा के लिए भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन ने कहीं कांग्रेस में विस्फोटक स्थिति लाई तो यह सरकार के लिए सबसे बड़ा झटका होगा। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हर्ष महाजन को राज्यसभा के मैदान में उतार कर ऑपरेशन लोटस का पहला तीर दागा है। यदि यह तीर निशाने पर लग गया तो मानो कि हिमाचल में सरकार संकट पर है। लिहाजा राज्यसभा चुनाव सत्तापक्ष के लिए गले की फांस बन चुके हैं। हिमाचल को दरकिनार करके बाहरी नेता को हिमाचल का राज्यसभा सांसद भेजने की कांग्रेस की यह कोशिश पहले ही किसी को हजम नहीं हो रही है। विपक्ष जहां कांग्रेस को पहले ही इस मामले में कटघरे में खड़ा कर चुकी है वहीं अंदर खाते कांग्रेस के लोगों को भी यह बात हजम नहीं हो रही है। कांग्रेस के अंदर-अंदर ही सुगबुगाहट चली हुई है कि आखिर हिमाचल के नेताओं को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा जा रहा है और उनके ऊपर बाहरी उम्मीदवार क्यों थोपा जा रहा है। क्या हिमाचल में कांग्रेस के पास नेताओं की कमी है कि वह राज्यसभा नहीं जा सकते हैं। बहुत सारे वरिष्ठ कांग्रेसी यह आस लगाए बैठे थे कि उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस हाईकमान ने ऊपर से ऐसे उम्मीदवार को कांग्रेस के सर थोप दिया जो प्रदेश कांग्रेस के खिलाफ ही उच्चतम न्यायलय में केस लड़ रहा है। कांग्रेस की इस कमजोरी को भांपते हुए जयराम ने ऐसा खेला खेल दिया है कि सरकार के रूष्ट विधायकों ने कहीं पलटी मार दी तो हर्ष की गुली चढ़ सकती है और प्रदेश सरकार चारों खाने चित हो जाएगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि भाजपा ने हर्ष महाजन की जीत के लिए जाल विछाना शुरू कर दिया है। हालांकि यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्तापक्ष के विधायक ऐसा नहीं करेंगें और क्रॉस वोटिंग नहीं होगी,लेकिन इस बात से भी मुकरा नहीं जा सकता है कि यदि कांग्रेस के पांच विधायकों ने भी पलटी मारी या अपने वोट रिजेक्ट कर दिए तो पांसा भाजपा के हाथ में होगा। गौर रहे कि हिमाचल में सत्तापक्ष के पास 40 विधायक है और विपक्ष के पास 25 । वहीं 3 विधायक निर्दलीय हैं। ऐसे में भाजपा के पास निर्दलीय को जोड़कर 28 का आंकड़ा पहुंच सकता है और ऐसी स्थिति में भाजपा को जीत के लिए छह से सात विधायकों की ही आवश्यकता है। अब यह छह या सात विधायक कौन हो सकते हैं इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। यदि सच में जयराम का फार्मूला कामयाब हो गया तो हिमाचल की राजनीति बहुत बड़ा विस्फोट होगा। वहीं हर्ष महाजन की जड़े भी कांग्रेस में मजबूत रही है यह भी किसी से छिपा नहीं है। बहरहाल देखना यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री राज्यसभा चुनाव में अपनी साख बचा पाते हैं या नहीं,या फिर जयराम ठाकुर के बुने जाल में कांग्रेस फंस जाएगी। अब सबको इंतजार है तो राज्यसभा चुनाव का।

