देखें वीडियो:निराहार व्रत रखकर निभाई अपने आराध्या एवं कुल देवता की सैकड़ो वर्ष फागली उत्सव की परंपरा


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बंजार घाटी में चार दिनों तक रही फागली उत्सव की धूम

भगवान विष्णु नारायण पेडचा ने तीर्थ यात्रा के देव आदेश गुरु के माध्यम से दिए
तूफान मेल न्यूज, बंजार।

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बंजार घाटी की बहुचर्चित तीन कोठी सराज की 2 ग्राम पंचायतों सराज और मोहनी के गांव पेडचा और अल्वाह के सैकड़ों वाशिंदों ने चार दिनों तक देव नियम का पालन करते हुए अपने कुल देवता भगवान विष्णु नारायण पेड़चा की सैकड़ो वर्ष पुरानी देव परंपरा का निष्ठा पूर्वक निर्वहन किया। भगवान विष्णु नारायण पेडचा के कारदार टीसी महंत ने जानकारी देते हुए बताया कि 12 फरवरी को विष्णु नारायण पेडचा के मंदिर नरायण में नए साल के प्रथम देव पर्व तुआर उत्सव मनाया गया। इस दौरान भगवान विष्णु नारायण के गूर ने उपस्थित हरियानो को बूढ़ा केदार तीर्थ स्थल की देव यात्रा के देव आदेश दिए तथा वर्ष भर की साल फसल मौसम व्याधि आदि का भी वृतांत सुनाया।

वीठ फैकने की एतिहासिक देव परम्परा को नृत्य करके निभाते हुए विष्णु नारायण मंदिर पेंडचा में

गोरतलव है कि इस उत्सव को मनाने के लिए भगवान विष्णु नारायण के कारदार कारकून गूर पुजारी तीन दिन तक निराहार व्रत करके इस परंपरा को निभाते हैं। फाल्गुन संक्रांति के शुभ अवसर पर विष्णु नारायण पेडचा के सम्मान में तीन दिवसीय ऐतिहासिक फागली उत्सव का शुभारंभ नारायण मंदिर से परम्परागत वाद्य यंत्रों की मधुर धुन और सैकड़ो मुखोटे को पहनकर ग्रामीणों ने घर-घर जाकर विष्णु नारायण की महिमा का व्याख्यान किया घर घर जाकर विष्णु नारायण की तरफ से मुखोटे की टोली ने घर के मुखिया को जूव दे कर परिवार में सुख समृद्धि पुत्र प्राप्ति तथा शादी के इंतजार में नौजवान युवक और युवतियां की शीघ्र शादी होने की शुभकामनाएं दी। जो क्रम पूरे गांव में दो दिनों तक चला तीसरे दिन भगवान विष्णु नारायण स्वरूप प्रतिमा रूप वीठ की मंदिर में साज सजावट के पश्चात पूजारी ने विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई। तत्पश्चात सैकड़ो हरियानो श्रद्धालुओं देवता कारकूनों ने ढोल नगाड़ों के साथ गांव में देव परिक्रमा की परंपरा को निभाया इस दौरान भगवान विष्णु स्वरूप प्रतिमा रूपी बीठ का महर्षि मार्कंडेय पेडचा के देवालय स्थित मरकेहड में भव्य देव मिलन हुआ। देव मिलन के पश्चात महर्षि मार्कंडेय एवं भगवान विष्णु नारायण की भव्य शोभायात्रा फगली उत्सव स्थल स्थित फागली थाच तक निकाली गई, जहां दिन भर फागली उत्सव का आयोजन बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ चलता रहा शाम 4:00 बजे भगवान विष्णु नारायण और महर्षि मार्कंडेय की विदाई के पश्चात फागली उत्सव की अंतिम रस्म के लिए आसपास की। चार-पांच पंचायतों के सैकड़ो ग्रामीण एवं श्रद्धालु भगवान विष्णु नारायण के मंदिर पहुंचे जहां देव परंपरा निभाने के पश्चात भगवान विष्णु रूपी वीठ को जनता के उमडे हुजूम में फेंकने की प्रक्रिया जैसे ही शुरू हुई। वैसे ही मंदिर परिसर का वातावरण एकाएक विष्णुमय हो गया।

तकरीबन आधे घंटे तक भगवान विष्णु रूपी महिमा का गुणगान स्थानीय बोली में किया गया तत्पश्चात नरगिस एवं विशेष घास से निर्मित गुलदस्ता रूपी वीठ को नाचते गाते युवाओं के बीच में फेंका गया जिसमें युवाओं में वीठ को पकड़ने की स्पर्धा में गांव संरडी के दिनेश कुमार को सफलता मिली तत्पश्चात भगवान विष्णु नारायण के कारदार ने वीठ के गुलदस्ते को दिनेश कुमार को भेंट कर उन्हें देव लोई से सम्मानित किया। देर शाम फागली उत्सव की अंतिम कडी शंका काल की रस्म निभाई गई तथा दिनेश कुमार ने स्थानीय गांव एवं भगवान विष्णु नारायण की संपूर्ण हरियानो को अपने घर प्रतिभोज के लिए आमंत्रित किया इस दौरान भगवान विष्णु नारायण के एक वर्ष के आय और व्यय को हरियानो की जानकारी के लिए उनके समक्ष पेश किया गया। जिसे हरियानो ने मंजूरी दी।

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