नकली रॉ मैटीरियल मामले के छीटें सरकार और विभाग के दामन परभाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने स्वास्थ्य सचिव, ड्रग विभाग और मुख्यमंत्री पर जड़े हैं आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

तूफान मेल न्यूज,बीबीएन।
प्रदेश में घटित संवेदनशील और बहुचर्चित नकली रॉ मैटीरियल मामले की छीटें कहीं न कहीं अब सरकार और संबंधित विभाग के दामन पर लगते दिखाई दे रहे हैं। जिस तरह से विपक्ष ने इस मामले में पर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और स्वास्थ्य सचिव पर आरोपियों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप जड़े हैं उससे इस मामले में सरकार घिरती नजर आ रही है। मामले में संलिप्त मुख्य आरोपी फर्म केसी ओवरसीज का लाईसेंस रद्द होने के बाबजूद दोबारा लाईसेंस को बहाल करना और कोर्ट से तीन महीने पहले जमानत याचिका रद्द होने के बावजूद मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी न होना कहीं न कहीं प्रदेश सरकार, स्वास्थ्य सचिव और ड्रग विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है वहीं विपक्ष के आरोपों को भी पुख्ता करता है। 28000 से किलो से अधिक नकली रॉ मैटीरियल की खरीद फरोख्त के इस मामले से प्रदेश से केंद्रीय ड्रग आथॉरिटीयिां जहां हिली हुई हैं वहीं जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण में ऐसी चूक सीधे सीधे मानव जीवन से एक बड़ा खिलवाड़ है। वहीं पिछले कुछ समय से प्रदेश में बनी दवाओं के सर्व स्टैंर्ड होना और बार बार सैंपल फेल होने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि अगर रॉ मैटीरियल की गुणवत्ता ही सही नहीं थी तो उससे बनी दवाईयों की गुणवत्ता कैसे सही बेगी।
बाक्स : –

केसी ओवरसीज के अपील पर क्यों कर दिया गया रद्द लाईसेंस फिर से बहाल
नकली रॉ मैटीरियल का मामला सामने आने के बाद ड्रग विभाग ने मुख्य आरोपी फर्म केसी ओवरसीज और सहयोगी फर्म अलाईड फार्मा का लाईसेंस रद्द कर दिया था। लेकिन जांच के कुछ समय बाद ही केसी ओवरसीज की अपील पर प्रदेश स्वास्थ्य सचिव ने कंपनी के एक अन्य मालिक को एड ऑन करके लाईसेंस को फिर से बहाल कर दिया।

अब सवाल यह उठता है कि अभी जांच पूरी नहीं हुई, न ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई, आरोपी खुले घूम रहे हैं तो कैसे प्रदेश स्वास्थ्य सचिव ने इनका रद्द लाईसेंस बहाल कर दिया। भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने जारी अपने प्रैस नोट में कहा कि मिली भगत के तहत लाईसेंस बहाल करके आरोपियों को बचा मैटीरियल इधर उधर करने का मौका दिया गया। वहीं जांच के दौरान ही लाईसेंस बहाल कर दिया जाना अपने आप में सरकार की मंशा और आरोपियों को संरक्षण देने के विपक्ष के आरोपों को भी पुख्ता करता है।

बड़ा सवाल :

मामले में संलिप्त सहयोगी फर्म को मालिक अंदर तो मुख्य आरोपी कैसे बाहर
केसी ओवरसीज के लिए विदेशी फर्म जेआरएस का नकली रॉ मैटीरियल बनाने और पैक करने वाली कंपनी अलाईड फार्मा पर कार्रवाई के दौरान उसका लाईसेंस रद्द कर दिया गया था। वहीं अलाईज फार्मा के लाईसेंस होल्डर को भी गिरफ्तार कर लिया गया था जो कि अभी भी सलाखों के पीछे है। लेकिन इस सारे स्कैम के मास्टर माईंड अभी भी बाहर खुले घूम रहे हैं। आरोपियों ने कोर्ट में जमानत याचिका भी लगाई थी और 3 महीने पहले कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका रद्दी कर दी थी। लेकिन तीन महीने बाद भी अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी न हो पाना कई सवाल खड़े करता है। आखिर किस की शह पर अभी तक इस सपूरियस ड्रग मामले के मुख्य आरोपी बाहर खुले घूम रहे हैं। ऐसे कौन से आकाश या पाताल में आरोपियों की शरण ली हुई है कि उनकी गिरफ्तारी संभव नहीं हो पाई। इस पूरे मामले में विपक्ष और भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने जो आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप सरकार और संबधित विभाग पर जड़े हैं कहीं न कहीं पुख्ता होते नजर आते हैं।
बाक्स : –

प्रदेश में बनी दवाईयों के सैंपल फेल होने के बावजूद भी क्यों गंभीर नहीं सरकार
पिछले लंबे समय से प्रदेश का सबसे बड़ा फार्मा हब दवाईयों के लगातार हो रहे सैंपल फेल को लेकर चर्चा में है। लेकिन इस मामले में सरकार गंभीर नहीं दिख रही। वहीं सैंपल फेल होने का एक कारण नकली रॉ मैटीरियल भी माना जा रहा है। अगर रॉ मैटीरियल की गुणवत्ता ही सही नहीं होगी तो फिर उससे बनने वाली जीवन रक्षक दवाईयों के सैंपल फेल होना तो लाजमी है। सैंपल फेल होने का मामला केंद्रीय ड्रग ऑथारिटी और केंद्र सरकार के भी ध्यानार्थ है और कई जांच एजेंसियां इसके कारणों की जांच कर रही हैं। लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस मामले में गंभीर न होकर उल्टा प्रदेश की साख पर बट्टा लगाने वालों को संरक्षण देती नजर आ रही है। भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने आरोपों की फेरहिस्त में मुख्य स्वास्थ्य सचिव पर कार्रवाई की मांग तक उठाई है।
बाक्स :

हमेशा विवादों में रहने वाले स्टेट ड्रग कंट्रोलर की रिटायरमेंट के बावजूद सेवा विस्तार के प्रयास क्यों
प्रदेश में सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की हमेशा विवादों और शिकायतों के घेरे में रहने वाले स्टेट ड्रग कंट्रोलर सरकारों के चेहते रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने जारी प्रेस नोट में यह भी आरोप जड़ा है कि रिटायरमेंट के बावजूद भी स्टेट ड्रग कंट्रोलर को सेवा विस्तार दिलाने के प्रयास प्रदेश सरकार के कुछ सीपीएस, विधायक व कांग्रेस नेता कर रहे हैं। जबकि भाजपा के कार्यकाल में भी बद्दी से शिमला तबादला होने के चलते कुछ माह बाद ही नवनीत मारवाहा को वापिस बद्दी भेज दिया गया था। स्टेट ड्रग कंट्रोलर पर इससे पहले भी कई आरोप लग चुके हैं और एक बाहर तो वीजिलेंस की कार्रवाई की गाज भी उन पर गिर चुकी है। फार्मा विजनेसमैन एमसी जैन ने शिकायत का एक लंबा चौड़ा चिट्ठा प्रदेश व केंद्र सरकार के साथ साथ जांच एंजेसियों को भेजा था। लेकिन वह शिकायतें स्टेट ड्रग कंट्रोलर के वर्र्चस्व के आगे दबकर रह गई। ऐसे में विवादों के घिरे अधिकारी को रिटायमेंट के बावजूद सेवा विस्तार देने के प्रयास सरकार तथा कां्रग्रेस पार्टी के नेताओं की मंशा पर सवाल खड़े करते हैं। विपक्ष ने भी इस सेवा विस्तार पर सवाल खड़े किए हैं और अगर यह सेवा विस्तार होता है तो आने वाले समय में यह केसी ओवरसीज का नकली रॉ मैटीरियल मामला, आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप और विवादित अधिकारी को सेवा विस्तार का मुद्दा विधानसभा में गूंजेगा और सरकार से जबाबदेही मांगी जाएगी। बहरहाल यह नकली रॉ मैटीरियल मामला, विपक्ष के आरोपियों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप, हिमाचल में बनी दवाईयों के सैंपल फेल होने का मामला कहीं न कहीं सुक्खू सरकार के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। इतने गंभीर मामले पर दी गई ढील, लाईसेंस बहाली, आरोपियों का खुला घूमना सरकार, ड्रग विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय के दामन पर दाग लगाता नजर आ रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इन दागों को कैसे धोती है और इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!