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तूफान मेल न्यूज,भोपाल।
मध्य प्रदेश के उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे। शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री में रह चुके मोहन यादव को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाकर हर किसी को चौका दिया है। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि बीजेपी की इस रणनीति के पीछे का राज क्या है? आखिर सीएम रेस में दूर-दूर तक नहीं रहने वाले मोहन यादव अचानक बीजेपी की पहली पंसद कैसे बन गए? मोहन यादव ही क्यों? तीन बार के विधायक मोहन यादव संघ के करीबी भी माने जाते हैं। राज्य में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी के करीब है। ऐसे में बीजेपी ने इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए मोहन यादव को मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है। इसके अलावा राज्य में यादव वोट बैंक भी अधिक है। वे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी करीबी माने जाते हैं। खबर हैं कि सीएम पद के लिए मोहन यादव का नाम शिवराज सिंह चौहान ने आगे रखा था। सीएम के रेस में ओबीसी समाज के नेता शिवराज सिंह चौहान और प्रहलाद सिंह पटेल का नाम आगे चल रहा था। लेकिन, पार्टी ने ओबीसी समीकरण साधने के लिए एक साफ छवि के नेता को रूप में मोहन यादव के नाम पर मुख्यमंत्री की मुहर लगा दी। मोहन यादव का राजनीतिक करियर 58 वर्षीय मोहन यादव को साल 2020 में शिवराज सरकार की वापसी के के दौरान उन्हें बतौर उच्च शिक्षा विभाग का मंत्री बनाया गया था। विधायक दल की बैठक में पीछे बैठे रहे मोहन यादव 1982 में ABVP से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। वे ABVP के प्रदेश सह-मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री और RSS के सह-खंड कार्यवाह और नगर कार्यवाह भी बने। इसके अलावा वे ‘उज्जैन विकास प्राधिकरण’ के अध्यक्ष और ‘मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम’ के अध्यक्ष भी रहे हैं। यादव छवि और हिंदुवादी नेता के रूप में अपने क्षेत्र में जाने-जाने वाले मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को उज्जैन में हुआ था। वे विक्रम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई किए हैं। उज्जैन संभाग में मोहन यादव की पकड़ उज्जैन रीजन में मोहन यादव की गिनती बड़े नेताओं में होती है। उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट, जो मालवा उत्तर क्षेत्र का हिस्सा है और उज्जैन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह सीट 2003 से ही बीजेपी का गढ़ माना जाता है। क्योंकि, यहां से बीजेपी विधायक मोहन यादव विधायक रहे हैं। 1982 में पहली बार छात्र संघ के सह सचिव बने मोहन यादव साल 1984 में छात्र संघ के अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री चुने गए थे। इसके बाद साल 1989 में उन्हें प्रदेश इकाई की परिषद के मंत्री पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 1991 में राष्ट्रीय परिषद का मंत्री बनाया गया और साल 2002 में वे विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यकारी परिषद का सदस्य चुने गए थे। ऐसे में समझा जा सकता है कि वे उज्जैन संभाग से छात्र राजनीति मे काफी ज्यादा सक्रिय थे। मोहन यादव ने पहली बार 2013 में उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद साल 2018 में वे इसी सीट से दूसरी बार विधायक बने। इसके साल 2020 में शिवराज सरकार की वापसी के दौरान उन्हें कैबिनेट में मंत्री पद सौपा गया। छत्तीसगढ़ का फॉर्मूला MP में भी छत्तीसगढ़ के ही तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी 2 डिप्टी सीएम भी चुने गए हैं। राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को पार्टी ने डिप्टी सीएम के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया है। रीवा से ताल्लुक रखने वाले राजेंद्र शुक्ला पांच बार के विधायक हैं। वहीं, मल्हारगढ़ से विधायक जगदीश देवड़ा 8 बार विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं। वे शिवराज सरकार के कैबिनेट में कमर्शियल टैक्सेज, प्लानिंग, इकोनॉमिक्स एंड स्टेटिस्टिक्स मंत्री थे। ये दोनों नेता भी शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। शुक्ला ब्राह्मण जाति और देवड़ा दलित जाति से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में पार्टी ने यहां जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए इन दोनों नेताओं को मौका दिया है। वहीं, भारत के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
साभार:भास्कर