डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह आयोजित


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

राज्यपाल ने मेधावी छात्रों को प्रदान की डिग्रियां
मुख्यमंत्री ने 23 मेधावियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए
प्रत्येक स्वर्ण पदक विजेता को 10 हजार रुपये देने की घोषणा
किसानों की आय में वृद्धि के लिए सरकार करेगी नए प्रावधान: मुख्यमंत्री

तूफान मेल न्यूज,सोलन

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए।
राज्यपाल ने 773 विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये। इसके अलावा 1305 विद्यार्थियों को बी.एस.सी. औद्यानिकी और बी.एससी. वानिकी, बी.टेक बायो-टेक्नोलॉजी, एम.बी.ए./ए.बी.एम.,एम.एससी. और पीएच.डी. औद्यानिकी एवं वानिकी में डिग्रियां प्रदान कीं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मेधावी विद्यार्थियों को 23 स्वर्ण पदक प्रदान किये, जिनमें से 20 स्वर्ण पदक छात्राओं को प्रदान किये गये।
राज्यपाल ने सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक शिक्षा राकेश चंद अग्रवाल को मानद उपाधि भी प्रदान की।


राज्यपाल ने युवाओं से केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्टार्ट-अप योजनाओं का लाभ उठा कर समाज के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें स्वरोजगार की ओर अग्रसर होना चाहिए और रोजगार प्रदाता बन कर अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना चाहिए।
स्वर्ण पदक विजेताओं और डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने उनसे राष्ट्र निर्माण में योगदान का आह्वान किया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि छात्राओं को सर्वाधिक डिग्रियां एवं स्वर्ण पदक मिले हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने शोध कार्य को खेतों तक ले जाएं ताकि किसान इससे लाभान्वित हो सकें। वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध प्रयोगशालाओं और किताबों से निकलकर व्यवहारिक रूप से खेतों तक पहुंचना आवश्यक है। युवा वैज्ञानिकों का कर्त्तव्य है कि वे किसानों की समस्याओं का उनके खेतों में जाकर समय पर इसका समाधान सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि युवा ही समाज में बदलाव ला सकते हैं। डिग्री प्राप्त करने का अर्थ केवल रोजगार अर्जित करना नहीं बल्कि समाज कल्याण की दिशा में इसका उपयोग करना है। उन्होंने कहा कि डिग्रीधारकों को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में कार्य करना चाहिए।


उन्होंने विभिन्न रासायनिक कीटनाशकों पर किसानों की निर्भरता कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह तभी संभव है जब किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक कृषि प्रणाली अपनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
राज्यपाल ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रैंकिंग में नौणी विश्वविद्यालय के प्रदर्शन में और सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक प्रबंधन प्रणाली शुरू करना सराहनीय है। यह प्रणाली विश्वविद्यालय को शिक्षा और डिजिटलीकरण में सर्वोत्तम शैक्षणिक पद्धतियों को अपनाने और अकादमिक रिकॉर्ड का डेटा बैंक तैयार करने में मदद करेगी।
उन्होंने अंतः विषय अध्ययन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर भी बल दिया और कहा कि अनुसंधान और नवोन्मेष का उपयोग करके ही देश तथा विश्व के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में अनुसंधान समय की मांग है। उन्होंने बदलते परिप्रेक्ष्य में कार्यों में गति एवं गुणवत्ता लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए ई-शिक्षा और तकनीक के उपयोग पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।


मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस अवसर पर मेधावी छात्रों को बधाई दी और प्रत्येक स्वर्ण पदक विजेता को 10,000 रुपये की सम्मान राशि देने की घोषणा की। उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि चुनौतियां जीवन का एक हिस्सा हैं और सकारात्मक सोच से चुनौतियों पर विजय हासिल कर सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने युवाओं को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पहचानने और संरक्षित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा कि लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और 23 स्वर्ण पदक विजेताओं में से 20 लड़कियां हैं। राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और कई जिलों में उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाएगा।

समाज के विकास में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रदेश सरकार  लड़कियों की विवाह योग्य आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है और इस विषय पर परामर्श के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
अपने छात्र जीवन से जुड़ी यादों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन के बेहतर साल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में बिताए और उसके बाद सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि युवा हिमाचल प्रदेश का भविष्य हैं।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने प्रति व्यक्ति पर एक लाख रुपये से अधिक के ऋण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उधार लेने की सीमा घटाकर 6600 करोड़ रुपये करने के बावजूद राज्य सरकार भावी पीढ़ियों के लाभ सुनिश्चित करने के लिए कठोर निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है। सीमित संसाधनों के बावजूद सरकार का लक्ष्य अगले दशक में राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना है और सरकार व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने 4000 अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया है और सरकार ने कानून बनाकर 27 वर्ष की आयु तक उनकी देखभाल की जिम्मेदारी ली है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत उनकी देखभाल, उच्च शिक्षा, छात्रावास खर्च और पॉकेट मनी के रूप में सरकार द्वारा 4000 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। अनाथ बच्चों को स्टार्ट-अप स्थापित करने के लिए 2 लाख रुपये, घर बनाने के लिए तीन बिस्वा जमीन, 3 लाख रुपये गृह निर्माण के लिए और शादी के लिए 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
मुख्यमंत्री ने युवाओं को स्वरोजगार अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हिमाचल  की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए आगामी बजट में प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता और प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश के राजस्व में निरंतरता सुनिश्चित करना है, जिसके दृष्टिगत किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आगामी बजट में नए प्रावधान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ना सरकार की योजना में शामिल है। सरकार प्राकृतिक उत्पादों की खरीददारी और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से उत्पादित फसलों के लिए आकर्षक दरें प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।


ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना का पहला चरण शुरू किया है, जिसमें राज्य के युवाओं को ई-टैक्सी के लिए 500 परमिट प्रदान किए जाएंगे। ई-टैक्सी की खरीद पर 50 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सरकार सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने, वित्तीय सहायता और उत्पादित बिजली को 25 वर्षों तक खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अतिरिक्त कृषि और बागवानी के क्षेत्र में अनेक अभिनव पहल कर कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने सतलुज जल विद्युत निगम के मुख्य महाप्रबंधक नंद लाल शर्मा और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक आर.सी.अग्रवाल को मानद उपाधि के लिए बधाई भी दी।
इस अवसर पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने 1.16 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित कौशल विकास छात्रावास और 40 लाख रुपये की लागत से निर्मित विवेकानंद योगा और मेडीटेशन सेंटर का लोकार्पण किया।
डॉ.यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश्वर चंदेल ने विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों और अन्य गतिविधियों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष कार्य किया है। उन्होंने प्राकृतिक खेती और विकास में अनुसंधान के लिए चार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अगले शैक्षणिक सत्र से प्राकृतिक खेती में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरम्भ किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय में अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 2.50 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं और यह राशि 41 परियोजनाओं के माध्यम से विभिन्न विभागों को आवंटित की जाएगी।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सुरेंद्र ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, विधायक विनोद सुल्तानपुरी, विश्वविद्यालय सीनेट, प्रबंधन बोर्ड और अकादमिक परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!