अहोई अष्टमी पर गन्नों और मूलियों की हुई जमकर खरीदारी


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अहोई अष्टमी पूजा के लिए माताओं के पास है सिर्फ 1 घंटा 18 मिनट का समय

तूफान मेल न्यूज,नाहन।

अहोई अष्टमी के पर्व पर देश-प्रदेश सहित जिला सिरमौर की महिलाओं ने भी अपनी संतान की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखा है। माताओं ने एक दिन पहले जहां अहोई माता की पूजा के लिए बच्चों के गले में डाले जाने वाले चांदी के मोतियों की खरीद करी तो वहीं सुख और समृद्धि के प्रतीक माने जाने वाले मीठे गन्ने और हरियाली युक्त स्वस्थ मूलियों को पूजन के लिए खरीदा।
बता दें कि अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है। इसे अहोई अष्टमी आठें के नाम से भी जाना जाता है। माताएं इस दिन बिना कुछ खाए पिए बिल्कुल निर्जल रहकर इस व्रत को रखती है और अपनी संतान के लिए लंबी उम्र की कामना भी करती है। हालांकि इस व्रत में संध्या के समय तारों को अर्ध्य देकर व्रत खोलने की परंपरा है। मगर कुछ माताएं चांद को देखकर भी व्रत खोलती है।

ज्योतिष आचार्य पंडित नितेश भारद्वाज का कहना है कि अहोई अष्टमी की शुरुआत 4 नवंबर 2023 की रात को 12:57 से हुई है जिसका समापन 5 नवंबर को सुबह 3:18 तक रहेगा। वहीं नितेश भारद्वाज ने बताया कि पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 5 नवंबर की शाम 5:35 से 6:50 तक होगा। बताना जरूरी है कि मां भगवती पार्वती मैया को अहोई माता के रूप में पूजा जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज अहोई अष्टमी के दिन दो शुभ योग है।

जिसमें पहले रवि पुश्य योग और दूसरा स्वार्थ सिद्धि योग बताया गया है। ऐसे में माता के द्वारा रखी गई व्रत का लाभ दो गुना बढ़ जाता है। गन्ना और मूली हरियाली के साथ होने पर इस घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जिला सिरमौर के नाहन में इस दिन सुबह ही गन्नो और मूलियों की जमकर खरीदारी हुई। जबकि एक दिन पहले सुनारों की दुकान में माता के द्वारा चांदी के मोती खरीदे गए। नाहन में अधिकतर हरियाली युक्त गन्ना साथ लगते हरियाणा राज्य से मनाया जाता है।

नाहन में एक गन्ना 50 रुपए प्रति पीस के रूप से बिका तो वही मूली 20 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकी। माता-पिता इस दिन बच्चों की फरमाइश के अनुसार उनके लिए उपहार और खाने पीने की चीज खरीदते हैं। माता व्रत खोलने के दौरान पूजन के समय मिट्टी के पात्र में जिसे झकरी के नाम से जाना जाता है, उसे पात्र में खाने पीने की समस्त सामग्री डालकर बच्चों की गोद में रखा जाता है और उनके उत्तम सौभाग्य, लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए कामना करते हैं। नाहन और हरियाणा में इस त्यौहार को झकरी के नाम से भी जाना जाता है।

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