सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सीपीएस मामला,प्रदेश सरकार ने स्थानांतरण याचिका दायर की

Spread the love

तूफान मेल न्यूज,शिमला।
मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति को चुनौती देने के मामले में हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले में एक स्थानांतरण याचिका दायर की है। याचिका पर शुक्रवार को कोर्ट नंबर-तीन में सुनवाई होगी। इधर, इसी मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में 4 नवंबर को सुनवाई होनी है। सरकार ने ट्रांसफर पिटीशन सिविल भारत के संविधान के अनुच्छेद-139 ए के तहत दायर की है। याचिका के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि कल्पना देवी बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार एवं अन्य की सीडब्ल्यूपीआईएल नंबर 19/2023, सतपाल सिंह सत्ती बनाम हिमाचल सरकार व अन्य की सीडब्ल्यूपी 2507/2023 और पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस बनाम राज्य सरकार एवं अन्य की सीएमपी नंबर 2565/2023 सहित सीडब्ल्यूपी नंबर 3000/2016 को सुप्रीम कोर्ट के लिए स्थानांतरित किया जाए। यह भी दलील दी है कि सर्वोच्च न्यायालय में पहले से ही पश्चिम बंगाल राज्य बनाम विशाक भट्टाचार्य, पंजाब राज्य बनाम जगमोहन सिंह भट्टी और राकेश चौधरी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य याचिकाएं लंबित हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में कानूनी समानताएं हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उप मुख्यमंत्री, मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों के मामले में राज्य सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया था। सरकार ने याचिकाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। यह निर्णय न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बीसी नेगी ने सुनाया है। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि उप मुख्यमंत्री समेत सीपीएस की नियुक्तियों के मामले में कोई दोष नहीं है। यदि कोई दोष था तो उसे अतिरिक्त शपथपत्र दायर करके दूर किया गया है। अदालत ने कहा कि याचिका की अनियमितता को सुधारा जा सकता है। सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाएं अवैध नहीं हैं, जिसे खारिज किया जा सके।
अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। सभी याचिकाओं में आरोप है कि पंजाब में भी ऐसी नियुक्तियां की गई थीं, जिन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को असांविधानिक ठहराया था। असम और मणिपुर में भी मामले को लेकर पूर्व में फैसला सुनाया जा चुका है और सर्वोच्च न्यायालय मानता है कि उनकी नियुक्ति असांविधानिक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!