क्रशर बंद की मार प्रवासी मजदूरों पर छाया रोजी रोटी का संकट


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रेत बजरी न मिलने से हजारों मजदूर बेरोजगार बोले भूखे रहने के आइए दिन अब घर की और करेगें प्लायन

तूफान मेल न्यूज,कुल्लू

क्रशर बंद होने की मार प्रवासी मजदूरों को भी झेलनी पड़ रही है। कुल्लू जिला के विभन्न जगहों पर काम कर रहे मजदूर रेत, बजरी आदि मैटीरियल न मिलने से बेरोजगार घूम रहे हैं। जबकि वर्षों से यूपी, बिहार व नेपाल से आए कारीगर व मजदूर हिमाचल में कमाने आते हैं और यहां की कमाई से परिवार का पालन पोषण करते हैं। जब यह प्रवासी मजदूर तीन-चार सालों के बाद अपने घर जाते हैं तो अच्छी खासी कमाई करके हिमाचल से जाते हैं । उनके परिवार में भी एक खुशी की लहर होती है कि हमारा आदमी हिमाचल से कुछ पैसे कमा कर लाया है। जिससे हमारे परिवार की रोजी-रोटी और बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा चलेगा लेकिन अब क्रेशर बंद होने के कारण रेत बजरी न मिलने से ठेकेदार ने अपने बहुत से कार्य बंद कर दिए है। जिससे यह प्रवासी मजदूर अब बेरोजगार हो गए । भुंतर एरिया में काम करने वाले बिहार व नेपाल के प्रवासी मजदूर जयानंदन, देव कृष्ण यादव, मंटू कुमार, विकास कुमार, उमेश यादव, विहार, प्रेम बूढ़ा, रतन बोहरा, उमेहद, माया बूढ़ा, सुना रठायत, उजीला, मथुरा आदि का कहना है कि रेत बजरी न आने से अब हम बेरोजगार घूम रहे हैं। मैटीरियल न मिलने से ठेकेदार के काम ठप पड़ गए और अब हमारे परिवार के साथ छोटे छोटे बच्चों को रोटी कौन खिलाएगा। बेरोजगार नहीं मिला तो हमें मजबूर होकर घर लौटना पड़ेगा सरकार हम पर सहानुभूति की नजर डालते हुए बंद पड़े क्रशर को खोल दें। वहीं सरकारी ठेकेदार के पास काम करने वाले मुंशी अनील कुमार ने बताया कि हमारी बहुत सी साइटों जैसे मणिकर्ण, लगवैली, मनाली आदि में रेत व बजरी के बिना कार्य रुक गया है। भुंतर में प्रोटेक्शन बाल का कार्य ही बड़ी मुश्किल से धीरे – धीरे निकल रहा हैं। रेट बजरी के बिना हमारे काफ़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। अगर इन्हें काम नहीं मिला तो यह घर बापिस चले जाएंगे। उसके बाद क्रशर खोले तो कोई फायदा नहीं। इस लिए सरकार को उचित निर्णय लेते हुऐ क्रशर बंद की पाबंदी चाहिए ।

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