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तूफान मेल न्यूज,डेस्क।
श्राद्ध पक्ष इस साल 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक चलेगा। पितरों को भोजन और अपनी श्रद्धा पहुंचाने का एकमात्र साधन श्राद्ध है। मृतक के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिंड तथा दान ही श्राद्ध कहा जाता है।
हमारे पितर हर साल इस तिथि पर अपने जीवित परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं। पितृपक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध कई तरह के होते हैं। भविष्य पुराण में श्राद्ध के 12 प्रकार के बारे में बताया गया है।
नित्य श्राद्ध
कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा, पुष्प व फल से प्रतिदिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकता है।
नैमित्तक श्राद्ध
यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है। जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है। इसमें विश्वदेवा की पूजा नहीं की जाती है, केवल मात्र एक पिण्डदान दिया जाता है।
काम्य श्राद्ध
किसी कामना विशेष के लिए यह श्राद्ध किया जाता है। जैसे- पुत्र की प्राप्ति आदि।
वृद्धि श्राद्ध
यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है।
सपिंडन श्राद्ध
मृत व्यक्ति के 12 वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इसे स्त्रियां भी कर सकती हैं।
पार्वण श्राद्ध
पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, व सपत्नीक के निमित्त किया जाता है। इसमें दो विश्वदेवा की पूजा होती है।
गोष्ठी श्राद्ध
यह परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है।
कर्मागं श्राद्ध
यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है।
शुद्धयर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।
तीर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है।
यात्रार्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है।
पुष्टयर्थ श्राद्ध
शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है