मानसून सत्र के पहले दिन ही BJP का हंगामा,काम रोको प्रस्ताव लाया और विपक्ष पर भड़के सीएम


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तूफान मेल न्यूज,शिमला।
हिमाचल विधान सभा के मानसून सत्र की शुरुआत के साथ ही BJP ने आपदा पर चर्चा की मांग को लेकर सोमवार को काम रोको प्रस्ताव लाया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि आपदा पर चर्चा पहले ही सदन की कार्यवाही में शामिल है। इसलिए इस पर चर्चा के लिए नया प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है।

स्पीकर की व्यवस्था के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया और विपक्ष ने सदन में ही उठकर जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ देर बाद विपक्ष ने सदन से वॉक आउट कर दिया। करीब आधे घंटे बाद विपक्ष सदन में लौट आया।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि आपदा से 9000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष और 12 हजार करोड़ से अधिक का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नुकसान हुआ है। 441 लोगों की मौत हुई है। आजीविका क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आपदा को लेकर गंभीर नहीं है और राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि नेशनल हाई‌वे को दुरुस्त करने के लिए केंद्र से एक पैसा नहीं मिला। स्टेट को 10 करोड़ रुपए अपने देने पड़े। PMGSY के तहत 2600 करोड़ रुपए केंद्र द्वारा तीन महीने लेट किए गए।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हम अपनी ओर से भी स्पेशल रिलीफ पैकेज लाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र राष्ट्रीय आपदा घोषित करती है तो हमें स्पेशल रिलीफ मिलेगा।

विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए CM ने कहा कि यदि किसी अधिकारी ने गलत किया होगा, तो उस अधिकारी पर सख्त कार्रवाई होगी।

CM ने कहा कि पहले सत्र बुलाने की मांग करते थे। जब सत्र बुलाया गया तो सदन से भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि चर्चा से भागकर प्रदेश का भला होने वाला नहीं है। आपदा के कारण बुनियादी संसाधन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। तबाही को देखते हुए उन्होंने इस त्रासदी को स्टेट डिजास्टर घोषित किया और केंद्र से भी राष्ट्रीय आपदा की मांग की।

आधे घंटे बाद सदन में लौटा विपक्ष

राष्ट्रीय आपदा की मांग को लेकर प्रस्तुत प्रस्ताव पर CM सुक्खू का वक्तव्य खत्म होते ही विपक्ष सदन में लौट आया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदा के कारण सड़क बंद हुई। इससे बागवान का सेब सड़ गया और उसे फेंकने पर सरकार ने एक लाख रुपए का नोटिस दे दिया। सरकार इसे नहीं करते।

नेता प्रतिपक्ष ने सत्ता पक्ष से पूछा कि राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से क्या होगा? केंद्र सरकार हिमाचल की मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 180 और 190 करोड़ रुपए कि दो किश्त पहले ही जारी कर दी है। हम भी चाहते हैं केंद्र हिमाचल को ओर मदद करें।

क्या बोले सीएम सुक्खू
सीएम सुक्खू ने कहा कि ये वो विपक्ष है जब मंत्री आपदा राहत में जुटे थे तो मॉनसून सत्र की मांग कर रहे थे और जब सत्र बुलाया तो राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए वाकआउट कर रहे हैं, जनता सब देख रही है

हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के शुरुआत में ही विपक्षी भाजपा सदन छोड़कर बाहर भाग गई।
हुआ यूं कि परदेश में आई आपदा को लेकर लगातार विपक्षी भाजपा नेता सत्र बुलाए जाने की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए सरकार ने मानसून सत्र बुलाया।
आज दोपहर 2 बजे सत्र शुरू हुआ तो नियमानुसार सर्वप्रथम आनी से पूर्व विधायक खूब राम के निधन पर शोकोदगार रखा गया। जैसे हो अगला विषय लाना था विपक्ष की ओर से नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने नियम 67 के तहत प्रदेश में आई आपदा और स्थगन प्रस्ताव लाया जबकि नियम 102 के तहत पहले से ही प्रश्नकाल के बाद चर्चा रखी गई थी।
ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने रूल बुक से पढ़ने के बाद समान विषय बताकर नियम 67 के तहत लाये प्रस्ताव को रद्द कर दिया और कहा कि नियम 102 में चर्चा की जा रही है इसे भी साथ मे चर्चा के लिए मर्ज किए जाए।

लेकिन विपक्ष कहाँ मानने वाला था। वो अड़ गए और सदन में हंगामा खड़ा कर दिया। नारेबाजी करने लगे।
इस पर उद्योग मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि जबकि सरकार खुद इस विषय को गंभीरता से लेते हुए खुद चर्चा करवाना चाहती है और प्रस्ताव पहले से तैयार है तो फिर विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंकने और अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए जबरन नियम 67 की चर्चा पर अड़ा है। इस पर विपक्ष और जोर से हो हल्ला करने लगा।

इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने विपक्ष ओर तीखा हमला करते हुए कहा कि आपको विधानसभा के नियमों के तहत सुनना होगा, या फिर आप खुद ही फैसला करना चाहते हैं। साथ ही पूरा बिज़नेस साइड कर सीधा 102 के तहत चर्चा के लिए मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया।
जैसे ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 102 पर प्रस्ताव पढ़ना शुरू किया तो विपक्षी भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर गए।
इस पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जिस विपक्ष को सरकार का साथ देना चाहिए था वह इस आपदा में भी राजनीति कर सदन से वाकआउट कर रहा है। केवल अखबरों में कैसे सुर्खियां बटोरनी है, उसमें जुटे हैं।

सुक्खू ने कहा कि ये वो दौर था जैसा बीते 50 वर्षों में कभी नहीं हुआ। हजारों प्रभावित हुए। पर्यटक फंसे और सैकड़ों भवन जमीदोज हो गए। कई लोगों की जानें गई। सरकार के मंत्री फील्ड में उतरकर राहत और बचाव कार्य मे जुटे थे।

लोगों ने अपनी जमा पूंजी आपदा राहत कोष में जमा कर प्रभावितों की मदद की लेकिन विपक्षी अलग राजनीति में लगे हैं और सहयोग के बजाय आरोप प्रत्यारोप में लगे रहे हैं।

सरकार के सभी मंत्री विधेयकों ने एक माह का वेतन राहत कोष में जमा किया लेकिन भाजपा के एक भी विधायक ने एक रुपया भी दान नहीं किया।
उन्होंने प्रदेश में आइए इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव सदन में पेश किया। इसी बीच करीब 20 मिनट बाहर रहने के बाद विपक्षी विधायक वापस सदन में लौट आये।
जिसके बाद नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने फिर से नियम 102 के तहत जारी चर्चा को फिर से नियम 67 के तहत चर्चा में शामिल करने का आग्रह किया।

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