स्पेशल: प्रलय ऐसी कि 1100 आटे का बैग 1900 में पहुंच रहा गांव, सड़क बहाल न होने से बढ़ी लोगों की मुश्किल घोड़ो-खच्चर पर ढोना पड़ रहा राशन


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तूफान मेल न्यूज, कुल्लू।
जिला कुल्लू में बाढ़ से प्रभावित सड़कों के बहाल होने का कार्य जहां लगातार किया जा रहा है। तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में सड़के बहाल न होने से लोगों को खासी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शुरुआती दौर में प्रशासन के द्वारा हेलीकॉप्टर के माध्यम से गांव-गांव में राशन पहुंचाया गया। लेकिन अब गांव में राशन खत्म हो गया है। तो वही सड़के ठीक ना होने के चलते किराना की दुकान में भी सामान नहीं पहुंच रहा है। ऐसे में अब लोगों को 25 से लेकर 35 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ रहा है। वहीं अपने घर के लिए राशन लाने के लिए लोगों को घोड़े खच्चर का सहारा लेना पड़ रहा है। जिस पर उन्हें अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी खराब हो रही है।
मणिकर्ण से बरशेनी 20 किलोमीटर पैदल सफर
जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी की बात करें तो मणिकर्ण से बरषेनी सड़क मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। 20 किलोमीटर का यह सड़क मार्ग हालांकि छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए शुरू कर दिया गया है। लेकिन बड़े वाहनों के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा। बरशेनी पंचायत व आस-पास के रहने वाले लोगों को राशन लेने के लिए मणिकर्ण का रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को या तो छोटे वाहनों में सामान ढोना पड़ रहा है या फिर उन्हें घोड़े खच्चर की मदद लेनी पड़ रही है। जिससे उन्हें अतिरिक्त किराया भी देना पड़ रहा है।
घर पहुंचते-पहुंचे दुगने दाम में पहुंच रहा समान
मिली जानकारी के अनुसार चावल की एक बोरी अगर बाजार में ₹1000 की मिल रही है तो उसे घर तक पहुंचाने के लिए ₹800 अतिरिक्त किराया देना पड़ रहा है। ऐसे में घर तक पहुंचते-पहुंचते सामान महंगा हो रहा है। वही गैस सिलेंडर की सप्लाई भी 1 महीने से बरशेनी में नहीं हो पाई है। गैस सिलेंडर के लिए ₹600 अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। पानी की एक ₹20 की मिल रही है लेकिन ढुलाई का कारण उसका दाम भी 35 रुपए तक हो रहा है। आटे की बोरी अगर 1000 रुपए की मिल रही है म। तो उस पर भी ₹600 अतिरिक्त दाम ग्रामीणों को देने पड़ रहे हैं।
सैंज घाटी के हाल बेहाल
सैंज घाटी के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में भी यही हाल है। स्थानीय ग्रामीण हरी राम, रोशन लाल, महेंद्र सिंह, निर्मल ठाकुर का कहना है कि यहां पर भी कई पुल बह गए हैं। हालांकि लोक निर्माण विभाग के द्वारा झूला पुल तो लगाए जा रहे हैं। लेकिन उसके बाद भी लोगों को या तो सैंज से पैदल सामान ढोना पड़ रहा है या फिर घोड़े खच्चर की मदद लेनी पड़ रही है। अगर प्रशासन के द्वारा जल्द से जल्द झूला पुल स्थापित किए जाएं। तो यहां पर लोगों को सुविधा मिलेगी और घर द्वार पर राशन ले जाने में भी काफी सुविधा होगी।
धीमी गति से चल रहा है झूला पुल का काम

देहुरी धार पंचायत के प्रधान भगतराम और पूर्व प्रधान निर्मला देवी का कहना है कि यहां पर झूला पुल लगाने का काम शुरू कर दिया गया है लेकिन वह काफी धीमी गति से हो रहा है। खेतों में फल सब्जियां भी तैयार है। लेकिन सड़क ना होने के चलते वह मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है। बीमार होने पर भी लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या बोले लोनिवि के अधिकारी
वहीं लोक निर्माण विभाग के मैकेनिकल विंग के अधिशासी अभियंता जीएल ठाकुर ने बताया कि रोपा में झूला पुल लगाने का काम शुरू कर दिया गया है और जल्द ही बाकी पुल का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।
तेज गति से बने झूला पुल:डीसी आशुतोष गर्ग
डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने कहा कि झूला पुल लगाने का काम तेज गति से पूरा करने के बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा सड़कों की बहाली का काम भी किया जा रहा है। जल्द ही मणिकर्ण से बरशेनी सड़क को बड़े वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा।

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