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कुल्लू में डीसी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया निर्णय
तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू।
समुद्रतल से 18570 फीट की ऊंचाई पर विराजमान विश्व की सबसे कठिनतम श्रीखंड महादेव की यात्रा इस साल सात जुलाई से शुरू होगी। बरसात के चलते यात्रा को पहले शुरू करने का निर्णय लिया गया है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने यात्रा को शुरू करने के लिए दो विकल्प रखे थे। पहला विकल्प एक जुलाई से 15 जुलाई और दूसरा विकल्प पांच से 20 जुलाई तक यात्रा करवाने का था। दोनों विकल्प आज कुल्लू में डीसी की अध्यक्षता में रखी श्रीखंड यात्रा ट्रस्ट की बैठक में रखे गए। बैठक के एजेंडे में श्रीखंड यात्रा शुरू करने की तिथि सबसे पहले स्थान पर रखी गई।
इसके बाद यात्रा के अन्य एजेंडों पर चर्चा हुई। श्रीखंड ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों का कहना है कि श्रीखंड यात्रा अमूमन 15 से 16 जुलाई से शुरू होती है। पिछले साल यह 11 जुलाई से हुई थी। इस दौरान हिमाचल में बरसात पूरे यौवन पर होती है और यात्रा भी प्रभावित होती है। सड़कें और पैदल रास्ते टूटने और जगह-जगह भूस्खलन होने से श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। पिछले पांच वर्षों के दौरान हुई यात्रा पर बरसात का बहुत खलल रहा है। इस दौरान न केवल धार्मिक यात्रा में रुकावट आई, बल्कि देशभर के कई श्रद्धालुओं को जान गंवानी पड़ी है। कई श्रद्धालु बिना दर्शन ही लौटने पर मजबूर रहे। ऐसे में उपरोक्त सभी समस्या का आंकलन कर ट्रस्ट इस बार ऐतिहासिक श्रीखंड यात्रा को समय से पहले शुरू करने का प्रस्ताव रखा। वहीं आज निर्णय लिया गया कि यह यात्रा सात से 20 जुलाई तक होगी।
श्रीखंड यात्रा श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित हों और देशभर से अधिक से अधिक संख्या में श्रद्घालु दर्शन करने आएं। ऐसे में श्रीखंड यात्रा को सात जुलाई से शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
आसान नहीं है 35 किलोमीटर का ट्रैक, इस तरह पहुंचे
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक छोटे वाहनों और बसों में पहुंचा जा सकता है। जहां से आगे करीब 35 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। शिमला से रामपुर- 130 किलोमीटर, रामपुर से निरमंड-17 किलोमीटर, निरमंड से बागीपुल 17 किलोमीटर, बागीपुल से जाओं करीब 12 किलोमीटर दूर है।