बागबानी विशेष: अब आधुनिक बागबानी के लिए कमर कस चुके हैं कुल्लू के बागबान,देखिए किस तरह हो रही आधुनिक खेती


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू।

सेब राज्य के नाम से विश्व प्रसिद्ध हमारे प्रदेश में
सेब साल में एक बार होने वाली प्रमुख नगदी फसल है। आर्थिक रूप से सेब पर निर्भर लोग अपने साल भर का खर्च यहीं से उठाते हैं। इसीलिए अच्छी फसल होना बेहद जरूरी है, लेकिन मौसम परिवर्तन बागबानों की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। बे-मौसम बरसात और घटते चिलिंग आवर ने सेब बागबानों की चिंता बढ़ा दी है। मौसम परिवर्तन की वजह से पारंपरिक खेती करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में एचडीपी यानी सघन खेती की दिशा में बढ़ना एक उपाय नजर आता है।

सेब उत्पादन में परंपरागत सेब बागवानी से हटकर अब नई तकनीकों पर आधारित बागवानी की ओर बागबानों का रुझान बढ़ रहा हैं, वहीं ज़िला कुल्लू के प्रगतिशील किसान भी सरकार के बाग़वानी विभाग के बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत अब आधुनिक बाग़वानी के लिए कमर कस चुके हैं।

ग्राम पंचायत मौहल के रहने वाले प्रगतिशील किसान यादवेंद्र सिंह का कहना है कि बाग़वानी हमारा पुश्तैनी व्यवसाय रहा है, पहले हम पारंपरिक सेब किस्मों के उत्पादन करते थे परन्तु अब वातावरण में हो रहे बदलावों के कारण अब हमें सेब की नई किस्मों को नए तकनीकी साथ उत्पादन करने की आवश्यकता है।


यादवेंद्र बताते हैं कि उन्होंने सघन सेव बागवानी का कार्य उद्यान विभाग के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से आरंभ किया था तथा वर्ष 2021 में उन्होंने सर्वप्रथम अपने लगभग 2 बीघा के प्लॉट में नई किस्म के लगभग 600 पौधों का रूटस्टॉक का बगीचा तैयार किया। इस वर्ष भी उन्हें विभाग द्वारा 150 पौधे उपलब्ध करवाए गए हैं तथा इस वर्ष भी उन्होंने एक 600 पौधों का नया ब्लॉक तैयार किया है।
डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर की तरफ से तथा हमारे न्यूजीलैंड से कंसलटेंट साथ में उन लोगों ने काफी
सहयोग मिल रहा है।
इस बगीचे में पिछले वर्ष सैम्पल दिया था जिसकी फ़ल की गुणवत्ता एवं रंग बहुत अच्छा है । इस वर्ष भी फ़ल की सेटिंग बहुत शानदार है। कुल मिलाकर सघन बाग़वानी के परिणाम क़ाफी लाभदायक हैं।
यह इस फॉर्मेट पर बागवानी आने वाले समय में
सभी वागवानों को लाभदायक रहेगी।

हमारा एलिवेशन समुद्र तल से 4 हज़ार फुट है जिसके किये हमने सेब की गाला किस्म का चयन किया है। अन्य नए किसमे भी अच्छी हैं जिनका चयन बगीचे की ऊंचाई के हिसाब से किया जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के बागवानों की आर्थिकी सुदढ़ करने के लिए विभाग कई योजनाएं चला रहा है, जिनका लाभ इन किसानों को लाभदायक सिद्ध हो रहा है।
तहसील भुंतर की खोखन पंचायत के प्यारा सिंह बताते हैं कि उन्होंने पहले सीडलिंग पेड़ लगाए थे, समय के साथ इसमें फ़सल की सेटिंग तथा कलर की दिक्कत आ रही थी। इन्होंने उद्यान विभाग के अधिकारियों से इस सम्बंध में कुछ जानकारी हासिल की।
उन्होंने बताया कि आप की आप सघन बाग़वानी पर काम करिए और इसमें कलर भी ठीक है और जो भी जानकारी हासिल करनी है इसके लिए विभाग की ओर से जानकारी दी।
फ़िर मैंने डेढ़ बीघा में एम -9 के लगभग 600 पेड़ लगाए हैं जिनमें कुछ अन्य वैरायटी भी हैं।
बगीचे का सपोर्ट स्ट्रक्चर भी विभाग के मार्गदर्शन से ही लगाया हुआ है इस बगीचे में फेंज़म और बिग बॉक्स के पौधे लगाए हैं इसके अतिरिक्त विभाग की तरफ से उन्हें डार्क बैरन गाला, बुकाई गाला के पौधे भी मिले हैं तथा कुल 600 पौधों का बगीचा तैयार किया है जिस पर लगभग चार लाख के करीब लागत आई है। उनका कहना है कि विभाग की तरफ से ड्रिप इरिगेशन के लिए उन्हें 60 हज़ार रुपये की सब्सिडी मिली है तथा विभाग इन्हें स्ट्रक्चर के लिए भी सब्सिडी प्रदान करेगा।

तहसील भुंतर की खोखन पंचायत के ही ही एक अन्य युवा बागवान हेमराज का कहना है कि
उन्होंने इससे पहले भी बगीचा लगाने का विचार था। पहले हम जापानी फल के बगीचे तैयार करने का विचार कर रहे थे फिर हमने उद्यान विभाग के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से रूटस्टॉक एम – 9 का चुनाव किया और जानकारी लेकर यहां के ऊंचाई एवं तापमान वातावरण इस रूट को हमने स्वयं ही कलम किया है।
अभी यह पौधे 1 साल के हैं, अभी सैंपल इस बार आ गए हैं जिनका विश्लेषण हम इस वर्ष करेंगे।
वे कहते हैं कि इस बगीचे का स्पोर्ट ढांचा खड़ा करने में काफी मेहनत लगती है और इसमें 3 से 4 लाख तक का खर्चा हमारा आया है।

वहीं उप निदेशक उद्यान विभाग डॉ बीएम चौहान कहते हैं कि जिला कुल्लू में हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत 51 क्लस्टर अप्रूव हुए हैं जिसमें 64 करोड़ स्वीकृत हुए हैं इन 51 क्लस्टर में सभी विकास खंडों में हैं। जिनमें से कुल्लू में 12, नगर में 16 , बंजार में 7 तथा निरमण्ड व आनी में 16 क्लस्टर हैं।

इसके तहत लोगों को उच्च सघनता वाले सेब की किस्मों का उत्पादन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
जिसमें अभी तक लगभग 1लाख 47 हज़ार पौधे लोगों को विभिन्न क्लस्टर में वितरित किए हैं और इन पौधों को लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि इन किस्मों में फसल जल्दी आ जाती है तथा यह कमर्शियल वराइटिस हैं जो जल्दी सैंपल देते हैं, जल्दी फसल देते हैं तथा सामान्य किस्मों से पहले इनके फल बाजार में आ जाते हैं।
इसके साथ साथ ही इन सभी क्लस्टर में इन नई किस्मों को लगाने के साथ-साथ इनको प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से जोड़कर हम छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए 85% अनुदान टपक सिंचाई के लिए लोगों को दिया जा रहा है। जो भी किसान बागवान इस के अंतर्गत अनुदान लेना चाहते हैं वे उद्यान पोर्टल पर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

बागवानी विकास योजना का मुख्य उद्देश्य किसान बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करना है क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में यहां अधिकतर लोग सेब की खेती पुरानी किस्मो जैसे कि रॉयल, गोल्डन इत्यादि की कर रहे हैं जिसमें फल के आकार बहुत छोटा रहता है तथा इनके पेड़ बड़े होते हैं, इनकी कटिंग प्रूनिंग सहित फल उत्पादन की लागत बहुत ज्यादा आती है जबकि इसकी तुलना में सघन बागवानी तकनीक में यह लागत काफी कम रहती है तथा कम क्षेत्र में अधिक पौधे लगाकर अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। अभी तक इस योजना के अंतर्गत कुल्लू जिला में कम लोगों ने पहल करने की है तथा बहुत जल्द ही हमारा उद्देश्य एक बड़े क्षेत्र में इसका विस्तार करना है।
इसमें की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी रहती है तथा सही समय पर बाजार में फसल पहुंचने से इसके दाम भी किसानों को बहुत अच्छे मिलते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!