अब जल शक्ति विभाग ने ली जिला की 5000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने की चुनौती

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नए अधीक्षण अभियंता राजीव महाजन ने तैयार किया योजना का रोड मैप

तूफान मेल न्यूज,नाहन।

जिला सिरमौर जल शक्ति विभाग ने जहां जल जीवन मिशन के तहत अपना लगभग टारगेट भेद दिया है तो वही जिला में उगाई जाने वाली फसलों और जमीनों को सिंचित करने का लक्ष्य भी बतौर चुनौती लिया है।
नए अधीक्षण अभियंता राजीव महाजन ने पदभार संभालते ही सिंचाई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए रोड मैप भी तैयार कर लिया है।
बड़ी बात तो यह है कि प्रारंभिक तौर पर उन्होंने जिला के 5 डिवीजन के तहत करीब 5000 हेक्टेयर भूमि को इस योजना में शामिल किया है।
अब यदि यह सिंचाई योजना प्रारंभिक स्तर पर सफल होती है तो फेस टू के तहत जिला के 17 सब डिवीजन को भी बतौर चुनौती सिंचाई योजना में शामिल कर लिया जाएगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार राजीव महाजन के द्वारा प्रति डिवीजन अधिशासी अभियंताओं को हजार, हजार हेक्टेयर भूमि को संभावनाओं के अनुसार योजना बनाने के लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
अब बड़ी बात तो यह भी है कि इसके अलावा एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर विभाग के साथ मिलकर विशेष फसलों और बागवानी को सिंचाई योजना में शामिल किया गया है। इसके लिए आईपीएच विभाग की जिला के लिए 18 करोड़ की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित हुई है। अच्छी बात तो यह भी है कि इसके लिए टेंडर कॉल भी कर दिए गए हैं।
गौरतलब हो कि जिला सिरमौर में जल जीवन मिशन के तहत विभाग को कुल 125344 वाटर कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जाने का लक्ष्य दिया गया था। अच्छी बात तो यह है कि जल शक्ति विभाग के द्वारा 122255 वाटर कनेक्शन लगा भी दिए गए हैं। इसके अलावा जिला का विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया पेयजल देश का सर्वश्रेष्ठ शुद्ध और कीटाणु रहित भी साबित हो चुका है। मजे की बात तो यह भी है कि जिला सहित नाहन शहर में लंबे अरसे से जीरो कंप्लेंट भी दर्ज की गई है। अब जहां पेयजल को लेकर जिला सिरमौर के हर नल में जल को लेकर विभाग लगभग संतुष्ट है तो वही अगला फोकस सिंचाई को लेकर किया गया है।
सोमवार को अधीक्षण अभियंता राजीव महाजन के द्वारा अधिशासी अभियंता आशीष राणा अधिशासी अभियंता डिजाइन जगबीर वर्मा तथा सहायक अभियंता जोगिंदर सिंह के साथ बैठक भी रखी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य जिला के किसान और बागवानों को सिंचाई योजना के साथ कैसे जोड़ा जाए इसको लेकर जानकारी भी जुटाई गई। जिसमें कुहलों, नैहरों नदियों नालों और बरसात के पानी से सिंचाई योजनाओं को किस तरीके से जोड़ा जाए इसको लेकर भी चर्चाएं की गई।

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