विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के संरक्षण एवं संवर्धन पर लोगों को किया जागरूक


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तीर्थन घाटी के शाईरोपा में जीएचएनपी प्रबंधन द्वारा क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
परस राम भारती तूफान मेल न्यूज गुशेणी।

हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू की तीर्थन घाटी विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अपना एक विशेष स्थान रखती है। अपने अदभुत प्राकृतिक सौंदर्य, ट्राउट मछली तथा ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के लिए महशूर तीर्थन घाटी में साल दर साल हजारों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों की आवाजाही देखने को मिल रही है। विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल नेशनल पार्क में पाए जाने वाली जैविक विविधता, यहां की शान्त और सुरम्य वादियाँ, प्रदूषण मुक्त वातावरण, नदियां, नाले, झरने और यहां के पारंपरिक मेले और त्यौहार सहज ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। पर्यटन यहां के लोगों के लिए आजीविका का एक मुख्य जरिया बनता जा रहा है।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज के शाईरोपा सभागार में पार्क प्रबंधन द्वारा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के तत्वाधान से स्थानीय हितधारकों व फ्रंट लाइन स्टाफ को क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया

आज से करीब तीन दशक पूर्व तक यहां के स्थानीय लोगों की आजीविका पार्क क्षेत्र पर निर्भर थी लेकिन विश्व धरोहर की अधिसूचना जारी होने के पश्चात पार्क क्षेत्र से इनके हक हकूक छीन लिए गए जिस कारण यहां के युवाओं को रोजगार की तलाश में बाहरी राज्यों में भटकना पड़ रहा है। पार्क प्रबंधन द्वारा स्थानीय लोगों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दे कर आजीविका से जोड़ने का प्रयास किए जाते है ताकि पर्यटन के माध्यम से यहां के युवा स्वरोजगार कमा सके।

इसी कड़ी में सोमवार और मंगलवार को ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज के शाईरोपा सभागार में पार्क प्रबंधन द्वारा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के तत्वाधान से स्थानीय हितधारकों व फ्रंट लाइन स्टाफ को क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आगाज ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के वन मंडल अधिकारी निशांत मांधोत्रा द्वारा किया गया जबकि समापन तीर्थन रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी परमानंद ने किया है। जिसमें प्रथम दिन पार्क प्रबंधन के फ्रंट लाइन स्टाफ और दूसरे दिन स्थानीय समुदाय को धरोहर स्थल की अहमियत के बारे जागरूक किया गया।

इस कार्यक्रम के समापन अवसर पर अवसर पर तीर्थन रेंज के वन परिक्षेत्राधिकारी अधिकारी परमानंद, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए डॉक्टर भूपेश सिंह , एडमिन सहायक डा.आनंदिता, परियोजना सहायक रेशमा दीक्षित, प्रधान ग्राम पंचायत मशीयार शकुंतला देवी, वार्ड सदस्यगण, इको टूरिज्म फैसिलिटेटर गोविंद सोनू ठाकुर, बीटीसीए अध्यक्ष गोपाल सिंह, सदस्य लाल चन्द राठौर और वन विभाग के कर्मचारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी परमानंद ने कहा कि विश्व धरोहर स्थल ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के सरंक्षण संवर्धन के लिए हम सभी को सांझा प्रयास करने होंगे। इन्होंने बताया कि स्थानीय समुदाय के लिए समय समय पर अनेकों उपयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है ताकि वे आत्मनिर्भर बनकर स्वरोजगार से जुड़ सके।
इन्होंने स्थानीय लोगों से आग्रह किया है कि पार्क क्षेत्र के अन्दर और बाहर प्राकृतिक संसाधनों, बेशकीमती जड़ी बूटियों, वन्य प्राणियों और परिंदों को संरक्षित रखने में पार्क प्रबंधन का सहयोग करें ताकि यहां के लोगों की आने वाली पीढ़ियां भी लंबे समय तक पर्यटन कारोबार से अपनी आजीविका कमा सके।

इस कार्यक्रम में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को जवाबदेह एवं दीर्घकालिक पर्यटन संचालन, पर्यावरण संरक्षण, धरोहर स्थल के प्रबंधन और इसकी अहमियत पर प्रकाश डाला। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से आए डॉक्टर भूपेश ने विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की अहमियत पर प्रतिभागियों को विस्तार से जानकारी दी है। इन्होंने बताया कि बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद इस नेशनल पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है जो अब इस धरोहर विरासत को संजोए रखना यहां के स्थानीय लोगों की जिमेबारी बनती है। इन्होंने विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की जैविक विविधता पर मंडरा रहे कुछ खतरों से भी आगाह करवाया है। इन्होंने बताया कि पार्क क्षेत्र में बढ़ता भूमि कटाव, प्रदूषण, अवैध शिकार और औषधीय जंगली जड़ी बूटियों का दोहन तथा गैर जिमेदारना पर्यटन से इस धरोहर के लिए खतरा पैदा हो गया है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर समय रहते हुए इन खतरों पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में यहां से इस विश्व धरोहर का तगमा छिन भी सकता है। इसलिए सभी की जिमेबारी बनती है कि इस इस विश्व धरोहर स्थल का वखूबी तौर पर संरक्षण एवं संवर्धन किया जाए।

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