पंडित भास्करानंद शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण के हाथों कंस के उद्धार का प्रसंग सुनाया


Deprecated: Creation of dynamic property Sassy_Social_Share_Public::$logo_color is deprecated in /home2/tufanj3b/public_html/wp-content/plugins/sassy-social-share/public/class-sassy-social-share-public.php on line 477
Spread the love

तूफान मेल न्यूज ,बिलासपुर।

श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन पंडित भास्करानंद शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण के हाथों कंस के उद्धार का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि जब कंस के पाप अत्यधिक बढ़ गए तो सभी भयभीत हो गए। ऐसे में कंस को भी भय था कि उसके प्राणों का घातक न सिर्फ जन्म ले चुका है बल्कि सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया है। शिशु रूप कान्हा को मारने के लिए कंस ने कागासुर, बकासुर तथा पूतना जैसे दुर्दांत राक्षकों को भेजा लेकिन शिशु रूपी ईश्वर ने उनका वध कर दिया। कंस ने अपने षड़यंत्र की पूर्ति करते एक मल युद्ध रखा जिसमें आसपास के इलाके के पहलवानों को सादर आमंत्रित किया। इस मल युद्ध में शिव धनुष को भी रखा गया। नंद बाबा अपने 11 वर्षीय कन्हैया और बलराम को लेकर युद्ध देखने के लिए पहंुच गए। वहां पर सबसे पहले इन बालकों ने जब शिव धनुष तोड़ा तो कंस का भय और बढ़ गया। क्योंकि कंस का मालूम था कि जो इस धनुष को तोड़ेगा वही उसका काल बनेगा। मलयुद्ध भूमि पर चारों ओर बड़े बड़े दुर्दांत योद्धा कंस ने तैनात कर दिए और स्वयं सबसे उपर मचान पर बैठकर युद्ध देखने लगा। इतने में नंद बाबा ने कहा कि युद्ध तो बराबर वालों में होता है फिर बच्चो केसाथ इतने बड़े योद्धाओं को लड़ाना तर्कसंगत नहीं है। इतने में कंस के सेनापति ने कहा कि जो पूतना तक का वध कर सकता है। उसे अब भय क्यों लग रहा है। कान्हा और बलराम ने नंद बाबा से शांत होकर युद्ध की गति का झुकाव

देखने को कहा। इन दोनो नौनिहालों ने कंस से सभी योद्धाओं को मार दिया। इसी दौरान एक कुबलिया पीड़ हाथी जिसको मदिरापान करवाया गया था, को भी कान्हा से लड़ने के लिए भेजा। इस दोनो भ्राताओं ने इस मदमस्त हाथी को पूंछ

से पकड़कर आसमान में फेंक दिया। इसी दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने एक छलांग लगाई और कंस को पकड़ा तथा भूमि पर पटक दिया। उन्होंने कंस को उसके बालोंसे पकड़ा तो कंस मृत्यु नजदीक देख जीवन की भीक्षा मांगने लगा। इस पर भगवान

कृष्ण ने कहा कि जिसे वह पकड़ लेते हैं उसका वे उद्धार करके ही छोड़ते हैं। और आप तो मामा हो अर्थात मां तो एक है और ज्यादा स्नेह और प्रेम का मतलब

मा मा होता है। भगवान ने कहा कि जिस प्रकार मामा आपने मेरे मां को केसों से पकड़कर उन्हें यातनाएं दी थी तो आप को भी वहीं यातनाओं से गुजरना होगा। इतने में भगवान ने एक मुष्टिका के प्रहार से कंस को प्राणमुक्त कर दिया।

पंडित भास्करा नंद ने बताया कि पापी कितना भी बलशाली क्यों न हो उसके पापों का अंत अवश्य होता है। कथा समापन पर भजन कीर्तन का आयोजन भी किया गया। आयोजक वैभव शर्मा ने बताया कि यह आयोजन उनके स्वर्गीय पिता की

स्मृति में किया जा रहा है। उन्होंने सभी धर्मप्रेमियों से आग्रह किया है कि वे प्रतिदिन दो से पांच बजे तक कथा का श्रवण करने मंदिर परिसर में अवश्य आएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!