भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय नाट्योत्सव का आगाज


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तूफान मेल न्यूज ,कुल्लू।
प्रणव थिएटर बियोंड थिएटर के नाटक ‘मैट्रिक’ के भावपूर्ण मंचन तथा आसरा संस्था,
राजग-सजय़ सिरमौर के लोक नाट्य ‘सिंहटू’ रोमांचक प्रस्तुतिकरण से कुल्लू स्थित अटट सदन के
अंतरंग सभागार में हुआ। नाट्योत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन करके उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने किया और साथ ही ज़िला लोक संपर्क अधिकारी नरेंदद शर्मा, जिला भाषा

अधिकारी सुनीला ठाकुर सहित शहर के गणमान्य व्यक्ति डाॅ. सूरत ठाकुर, दिनेश सेन, डाॅ. उरसेम
लता, डाॅ.निरंजन देव शर्मा व डाॅ. पीडी लाल आदि उपस्थित रहे। पहला नाटक ‘मैट्रिक’ जो
समकालीन नाटक था, प्रवीण पाटेकर द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन संजीव अरोड़ा ने किया था।
नाटक की कहानी एक ऐसे गांव के परिवार से शुरू होती है जिनकी बेटी मैट्रिक की पढ़ाई कर रही
है और उसके माँ बाप चाहते हैं कि वह ज़िला में प्रथम स्थान हासिल करे ताकि उसकी आगे की पढ़ाई का खर्च सरकारी योजना के अनुसार सरकार उठाए। वह अपनी पढ़ाई घर के साथ खेत में बनी
एक मचान पर बैठ कर करती है जहाँ उसके माँ बाप उसे बाहर से मेन सप्लाई की नंगी तार से तार जोड़
कर एक बल्ब का प्रबंध करते हैं।

जब उस लड़की का अंतिम पेपर उसकी पूर्व रात्रि जब उसकी माँ तार
जोड़ रही होती है तो करन्ट लगने से उसकी मौत होती है और पिता बेटी को बताता नहीं
है ताकि उसका अगले दिन का पेपर खराब न हो। बेटी से कहता है कि उसकी माँ रेणुका माता के
दर्शन के लिए गई है जबकि उसकी लाश उसने गोदाम में छुपा कर रखी होती है। जब गाँव का
लाला आता है जो पहले से ही उसकी बेटी को पढ़ाने से मना करता है और उसकी शादी करवाने
पर तुला होता है। वही लाला अपने मज़दूरों के साथ कर्ज़ वसूलने आता है तो उसके गोदाम
से आनाज़ की दो बोरियां ले जाने लगता है तो गोदाम में लाश देखते हैं तो फिर मनोहर
जो बच्ची का बाप है बताता है कि कैसे उसकी मौत हुई। नाटक वहाँ पर खत्म होता है कि बाप
गमगीन है और बच्ची माँ की जगह चुल्हे पर खाना बना रही है। दूसरे नाटक ‘सिंहटू’ जो एक
लोक नाट्य था ने अपनी भव्य प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। सिंहटू सिरमौर की 500
साल पुरानी परम्परा पर आधारित एक आदिकालीन डान्स ड्रामा है।

इस नाट्य के गीतों और
लोकवाद्यों की थाप से दर्शकों का रोमान्च देखते ही बना। कलाकारों द्वारा लकड़ी,
लकड़ी के बरादे तथा मषीठी के पारम्परिक तरीके से बनाए मुखौटों को पहन कर किए गए नृत्य ने
दर्शकों का मन मोह लिया। इसमें सुरेन्द्र कुमार, गोपाल हब्बी, विजेन्द्र, अनिल कुमार, अनुजा,
मुकेष, जोगिन्द्र हब्बी, चमन, रामलाल वर्मा, सुनील चैहान, संदीप कुमार, रविदत, सोहन लाल
आदि कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। सिंहटू का मतलब सिरमौरी बोली में शेर का
बच्चा होता है। दर्शकों के मनोरंजन के साथ साथ जहां इस लोक नाट्य ने पुरातन संस्कृति व
हमारी देव परम्पराओं का बोध कराया वहीं आज के युग में पर्यावरण और वन्य प्राणी संरक्षण का
भी संदेश दिया। मुख्य अतिथि उपायुक्त कुल्लू ने कलाकारों तथा प्रस्तुतियों की मुक्त कण्ठ से
सराहना की।

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