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रंग-बिरंगे फूलों के पौधे और बीज बांटकर खुंदन में मनाई अनोखी होली
फूल सुंदरता के साथ-साथ होते हैं प्रेम और शांति के प्रतीक- गुमान सिंह.
परस राम भारती बंजार। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। होली केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि प्रकृति भी मनाती है। पतझड़ के बाद खेत खलियानो और जंगलों में टहनियों पर खिले रंग बिरंगे फूल भी यह उत्सव मनाते हैं क्योंकि पतझड़ के बाद प्रकृति फिर से हरी भरी हो जाती है। होली रंगों का त्योहार है जो आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है।
उपमंडल बंजार के विभिन्न क्षेत्रों में कहीं पर फूलों की होली खेली गई तो कहीं पर बच्चे, महिलाएं और पुरुष एक दूसरे पर रंग लगाते हुए नजर आए। बंजार क्षेत्र के दूरदराज गांवों में आजकल फाग उत्सव की धूम मची हुई है। होली के इस पर्व को हर गांव,मोहल्ले और बाजारों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। फाग उत्सव में सैकड़ों लोग पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर देवता की पालकी के साथ सामूहिक तौर पर नाच गाना करते हुए एक दूसरों पर रंगों की बौछार करते हैं।वहीं बंजार के खुन्दन में इस अवसर पर रंग बिरंगे फूलों के पौधों और बीजों का वितरण करके होली की एक अनूठी परंपरा का आगाज हुआ है। पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पर्यावरणविद एवं हिमालय नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह ने इस बार प्रकृति और फूलों के साथ होली खेलने की नई परम्परा शुरू की है। इन्होंने तीर्थन और जिभी घाटी के होमस्टे संचालकों को अपनी खुन्दन स्थित वाटिका से कई किस्म के रंग बिरंगे फूलों के पौधे और बीज वितरित किए।समाज सेवा के साथ साथ गुमान सिंह पर्यटन कारोबार से भी जुड़े हुए है। बंजार के खुंदन में इनका तीर्थन ब्लूशीप नाम से अपना होमस्टे और होस्टल भी है जिसे इन्होंने पारंपरिक और प्राकृतिक तरीके से सजाया हुआ है। इस होमस्टे की आन्तरिक और बाह्य साजो सजावट देखते ही बनती है। गुमान सिंह बंजार क्षेत्र के होमस्टे संचालकों को भी अपने घरों को पारंपरिक और प्राकृतिक तरीके से सजाने संवारने के लिए प्रेरित कर रहे है।इसी कड़ी में होली के शुभ अवसर पर गुमान सिंह ने अपने खुन्दन स्थित होस्टल ब्लूशिप वाटिका में एक सादे कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें तीर्थन और जिभी घाटी के करीब 15 होमस्टे संचालकों को रंगविरेंगे फूलों के पौधे और बीज वितरित किए गए। इन्होंने अपनी वाटिका में अनेकों किस्म के रंगबिरंगे फूलों और फलों के पौधे लगा रखे हैं।इस कार्यक्रम में जिम्मेवार एवं जवाबदेह पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण, जहर मुक्त प्राकृतिक खेती, पर्यटन के अच्छे और बुरे प्रभावों और इसमें समाज की भागीदारी पर भी चर्चा की गई। इस अवसर पर
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफेसर, लेखक एवं कवि डा.वरयाम सिंह, पर्यटन कारोबारी रंजीव भारती, ईको टूरिज्म विशेषज्ञ अंकित सूद, जिभी वैली पर्यटन विकास एसोसिएशन के पुर्व अध्यक्ष ललित कुमार, जीरो बजट प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षक ठाकुर दास, नरेश कुमार,
सेस राम आजाद, संजु नेगी, यज्ञा चन्द, रॉबिन कुमार और दलीप सिंह आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
गुमान सिंह का कहना है कि रंग बिरंगे खिले हुए फूल जहां तनाव को कम करते है वही घर की साजो सजावट, पूजा आराधना के अलावा कई औषधियों में भी काम आते हैं। फूल सुंदरता के साथ-साथ प्रेम और शांति के प्रतीक होते हैं। आपसी संबंधों को संवारने और प्रेम भाईचारा बढ़ाने में फूलों का बड़ा महत्व होता है।