स्कूली बश्चों के पेपर तक का समय की मांग कर रहे जिला प्रशासन से
तूफान मेल न्यूज , भुंतर जिला प्रशासन द्वारा भुंतर ब्यास नदी किनारे बसे प्रवासियों को जगह खाली करने का नोटिस जारी करने के उपरांत प्रवासी यहां से जाने को तैयार है। लेकिन प्रवासी सरकार व जिला प्रशासन से स्कूली बच्चों के पेपर होने तक समय मांग रहे हैं । वहीं इनके 8वीं व 10वीं पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि 22 मार्च को हमारे पेपर समाप्त हो जाएंगे।

प्रवासियों के छोटी कक्षा से लेकर दसवीं तक के लगभग 35-40 बच्चे स्कूल जाते हैं । आठवीं में पढ़ने वाली बिना का कहना है कि सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात कर करती है तो हमें पेपर होने तक भुंतर में रहने की मोहलत दें, हमारे भविष्य का सवाल है । सभी से हमारा निवेदन है कि पेपर होने तक हमारे ऊपर सहानुभूति की दृष्टि डालें । सरकार, प्रशासन व भुंतर की जनता के हम आभारी रहेंगे । बता दें भुंतर में ब्यास नदी के किनारे बसे प्रवासियों को जिला प्रशासन ने हटाने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरु कर दी है। प्रवासियों ने ब्यास नदी के किनारे अवैध रूप झुग्गी-झोपड़ी बना रखी हैं। भुंतर में लगभग दो -अढ़ाई सौ झुग्गियां हैं। शासन द्वारा पहले भी कई बार प्रवासियों को हटाने की कोशिश हुई, लेकिन प्रवासियों ने कब्जा नहीं छोड़ा। अब प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए सभी प्रवासियों को नोटिस देकर जगह खाली करने के लिए कहा है।नौ मार्च तक इन प्रवासियों को जगह खाली करने के समय दिया गया है।

अगर यह लोग झुग्गियों में डटे रहे तो 10 मार्च से पुलिस बल की मदद लेकर प्रशासन उन्हें खदेड़ देगा। भुंतर में जिस जगह पर प्रवासी अवैध बस्ती बनाकर बैठे हैं, वह पार्वती और ब्यास नदी का संगम स्थल हैं।पार्वती और ब्यास नदी का संगम स्थल पर घाटी के देवी-देवता शाही स्नान के लिए आते हैं। मगर प्रवासियों की बस्ती बनने से संगम स्थल पर गंदगी से फैल रही है, यह लोग शौच भी खुले में ही करते हैं जिससे पवित्रता भी असर पड़ रहा है। वहीं स्थानीय जनता ने प्रशासन की इस कार्रवाई का स्वागत किया है। जनता का कहना है कि प्रवासियों की गतिविधियां बिल्कुल भी सही नहीं है आने वाले समय के लिए यह खतरा बने हुए है । वहीं अब झुग्गी बस्ती के लोग कुछ दिनों की मोहलत मांगने उपायुक्त कुल्लू से भी मिल है।
इनका का कहना है कि हमारे बच्चों के पेपर लगे हुए हैं। पेपर समाप्ति पर 22 मार्च के बाद हम स्वयं ही यहां से जगह छोड़कर चले जाएंगे।