तुफान मेल न्यूज, केलांग ।लाहौल-स्पीति जिले के लिंडूर गांव में वर्ष 2023 के मानसून के दौरान भू-धंसाव की गंभीर घटनाएं सामने आने के उपरांत जिला प्रशासन द्वारा त्वरित एवं समन्वित प्रयास किए गए हैं। यह जानकारी देते हुए उपायुक्त लाहौल – स्पीति किरण भड़ाना ने बताया कि प्रभावित परिवारों को तुरंत राहत प्रदान करते हुए आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त 12 मकानों को ₹1 लाख प्रति परिवार तथा एक पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकान को 4.3 लाख रूपये की पहली किस्त प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त, क्षतिग्रस्त 5 गौशालाओं को 50,000 प्रति इकाई तथा 8 किसानों को 89,000 की फसल क्षति सहायता दी गई।

स्थिति के वैज्ञानिक मूल्यांकन हेतु NHPC, IIT मंडी और भारत सरकार के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा प्रारंभिक अध्ययन किए गए। इन संस्थाओं ने पुष्टि की कि लिंडूर गांव अस्थिर मलबे (debris/talus) पर बसा है और त्वरित पुनर्वास व संरचनात्मक उपायों की सिफारिश की। इन सुझावों के आधार पर प्रशासन द्वारा गोरमा में प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय, पंचायत भवन और महिला मंडल भवन को राहत शिविरों के रूप में अधिसूचित किया गया, जहाँ भोजन, पानी, स्वच्छता और चिकित्सा सुविधाओं की समुचित व्यवस्था की गई है।

पुनर्वास हेतु मुहाल कोठी में नोरजम गोट नामक स्थान चिन्हित किया गया है तथा ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी प्राप्त किया गया है, परन्तु कुछ ग्रामीणों की आपत्तियों को देखते हुए एसडीएम लाहौल को वैकल्पिक स्थान चिन्हित करने हेतु निर्देशित किया गया है। इस बीच, लोक निर्माण विभाग द्वारा गांव में दरारों को जलरोधी सामग्री से भरने का कार्य आरंभ कर दिया गया है, और एक निगरानी समिति का गठन भी कार्यान्वयन व नियमित रिपोर्टिंग हेतु किया गया है। जहालमा नाला की चैनलाइजेशन व तटबंध निर्माण हेतु 23.70 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि (SDMF) के अंतर्गत भेजी गई है।

जल रिसाव नियंत्रण हेतु 10.11 लाख मूल्य की पाइपलाइन व स्प्रिंकलर 14 परिवारों को प्रदान की गई हैं, तथा कुफल/एफआईएस मरम्मत हेतु 20 लाख रुपए से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई है। महिला मंडल लिंडूर को अस्थायी मरम्मत कार्य हेतु 5 लाख रुपए की राशि भी जारी की गई है।लंबी अवधि के समाधान हेतु, ग्लेशियर से होने वाले जल निकास की सतत निगरानी के निर्देश दिए गए हैं तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) को लिंडूर क्षेत्र में वर्षा मापक यंत्र स्थापित करने हेतु पत्राचार किया गया है। इसके अलावा, विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन हेतु राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञ एजेंसियों की सहायता के लिए HIMCOSTE और राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें भू-वैज्ञानिक, भू-भौतिकीय, जल-वैज्ञानिक एवं रिमोट सेंसिंग अध्ययन सम्मिलित हैं। जिला प्रशासन लिंडूर गांव के निवासियों की सुरक्षा, पुनर्वास और दीर्घकालिक समाधान हेतु प्रतिबद्ध है तथा सभी आवश्यक उपायों को वैज्ञानिक, संस्थागत व सामुदायिक सहयोग से सशक्त रूप में क्रियान्वित कर रहा है।