कनौन में दिखी देव परंपरा की अनूठी मिसाल , रस्सी से खींचकर चोटी पर पहुंचाए भगवान ब्रह्मा और देवी भगवती के रथ• घाटी की रक्षा के लिए देवता बनशीरा व देवी लक्ष्मी व ब्रह्मा ने किया देव मंयन• देवता बनशीरा ने लिया बिठ देवता के रूप में अवतार


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तुफान मेल न्यूज,कुल्लू: सैंज घाटी के कनौन में बैसाखी के मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली। सुदामा को अपने इष्ट मित्र भगवान कृष्ण के साथ मिलने की चर्चा तो काफी सुनी है लेकिन वहां कनौन में ब्रह्मा ऋषि व देवी भगवती अपने अंगरक्षक देवता के पास मिलने जाना की प्रथा है।

ऊंची चोटी पर स्थित बनशीरा को जहां वनों की रक्षा का जिमा है वहीं क्षेत्र की जनता की रक्षा का जिम्मा भी ऋषि वह्मा ने बनशीरा के हाथों में दिया है।क्षेत्र की रक्षा व प्राकृतिक आपद‌ओं को टालने के लिए रविवार को सृष्टि के रचियता ब्रहमा व भगवती ने योद्धा देव वनों के अधोपति बनशीरा के साथ देव मंथन किया।

घाटी के अराध्य देव ऋषि ब्रह्मा व देवी भगवती के रथों को हजारों श्रद्धालुओं ने रस्सी से खींच कर ऊंची चोटी पर स्थित बनशीरा देवता के मंदिर पर पंहुंचाया। अपने अंगरक्षक देवता बनशीरा के साथ देवी भगवती व ऋषि ब्रह्मा ने वर्ष भर में घटने वाली प्राकृतिक अपदाओं के बारे में मवन कर भविष्यवाणी कर हारियनों को सचेत किया।उल्लेखनीय है कि रविवार को देवता ब्रहमा ऋषि के रथ को पुरे लाव-लशकर के साथ मंदिर से बाहर निकाला और देव खेल का निर्वाह कर देव हारियानों ने देवता के स्वर्ण रथ को रस्सी से खींच कर साथ लगते गांव कछैणी में देवी भगवती के मंदिर पंहुचाया। कछियानी मंदिर में ऋपि ब्रह्मा व भगवती महामाई का मिलन हुआ और औ दर्शन के लिए आए हुए सैकड़ों लोगों ने माता भगवती महामाई का आशीर्वाद लिया।बता दें कि आज के दिन महामाई भगवती का जन्म दियाड़ा भी माना जाता है और ऐसे में भूत प्रेत पिशाच व अन्य बुरी आत्माओं से प्रभावित महिलाओं का देवी देव शक्ति से इलाज कर स्वस्थ करती है और वही कई सैकड़ों महिलाओं ने पुत्र प्राप्ति के लिए भी माता भगवती के दरबार में हाजिरी लगवाई। मान्यता है कि माता लक्ष्मी पुत्र प्राप्ति का भी वरदान भी देती है और भूत प्रेत की नजर से प्रभावित महिलाओं पुरुषों का भी देव कार्य विधि से इलाज कर स्वस्थ करवाती है। देव मिलन कर पुनः देवी-देवता के रथ को रस्सी खींचते हुए हजारों श्रदालुओं ने ऊंची चोटी पर बनशीरा देवता के मंदिर पहुंचाया। वहां पर देव हारियानों ने जंगल की लचकदार लकड़ियों से एक गोल रिंग बनाया जिसे स्थानीय भाषा में चैचा कहते है।बाद में देव आज्ञानुसार देवी व देवता के हारिवन आपस में रस्सा कसी की। वहीं अंत में इसे एक ही व्यक्ति सैंकड़ों लोगों में से छुड़ा करले जाता है। मान्यता है कि बनशीरा देवता उस व्यक्ति को पुत्र और धन का वरदान देता है। इस देव प्रक्रि या को देखने के लिए कनौन गांव में सैंकडों ब्रद्धालु पहुंचे। सभी देव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद देव हारियानों ने कुल्लवी नाटी का आयोजन किया।

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