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तूफान मेल न्यूज,कुल्लू।
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सृष्टि के रचयिता एवं तीन लोकों के पालनहार देव श्रीबड़ा छमाहूं नए देव रथ में विराजमान हुए हैं। साथ ही महाशक्ति माता तोतला भी नए रथ में विराजमान हुई है। देवता के मूल स्थान सराज घाटी के दलयाड़ा मंदिर में पिछले दो माह से देवता व देवी का घाट पड़ा हुआ था।
गुरुवार को देवता का यह कार्य पूरा हो गया है और देर रात देवता व देवी के रथ को सजा कर संपूर्ण किया गया। देवता के दर्शन के लिए यहां हजारों लोग पहुंचे हैं और करीब 60 देऊलों से देउलू देवता के लिए भेंट लेकर पहुंचे हैं। नियमानुसार रूपी के राजा महेश्वर सिंह व अठारह करडू एवं भगवान रघुनाथ जी के कारदार दानवेंद्र सिंह देव दिउस के लिए यहां पहुंचे हैं।
आज शुक्रवार को यहां विशाल भंडारे का आयोजन हुआ और हजारों लोग देवता के दर्शन व आशीर्वाद लेने के लिए यहां पहुंचे। इससे पहले गुरुवार को ही यहां अपने बड़े भाई के दर्शन के लिए पल्दी के छमाहूं व खणी छमाहूं पहुंचें हैं जबकि धामणी छमाहूं व पराशर ऋषि के अलावा खोडू -खरीडु पहले से यहां विराजमान है। बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी भी यहां देव दर्शन के लिए पहुंचे हैं। शनिवार सुवह यहां देवता को गाड़ूआ लगेगा और उसके बाद सभी देवी-देवता मंदिर से बाहर निकलकर महामिलन करेंगे। इसके बाद देवता यहां से अपनी हारयान के लिए रवाना होंगे। जैसे ही देवता यहां से रवाना होंगे तो हर गांव में बंदूकों की हवाई फायर के साथ देवता का जग शुरू होगा। सबसे पहले गांव डोगर को देवता के दर्शन जैसे ही होंगें वहां जग शुरू होगा। देवता रास्ते से जाएंगे और जिस भी गांव को देवता नजर आएंगे तो वहीं देवता का जग शुरू होगा। इस तरह सबसे पहले देवता फगवाना गांव में प्रवेश करेंगे,उसके बाद नाउली में फिर से गाडुआ लगेगा और वहां से देवता कोटला के लिए रवाना होंगे। कोटला से धाराखरी,धामण,लारजी,हुरला,,शैलउड़ी दलयाड़ा,पढ़ारनी,डोगर,लौल आदि स्थानों पर पहुंचेंगे। देवता के कारदार मोहन सिंह ने बताया कि इस तरह करीब पूरे महीने तक हर गांव में देवता की परिक्रमा होगी और जग का आयोजन होता रहेगा। देवता के पुजारी धनेश गौतम ने बताया कि यहां भव्य आयोजन हुआ है। उन्होंने कहा कि देव श्रीबड़ा छमाहूं सृष्टि के रचयिता है और ब्रह्म,विष्णु,महेश,आदी, शक्ति व शेष भगवान एक ही रथ में विराजमान है। सृष्टि की छह शक्तियां एक ही रथ में विराजमान होने से ही छमाहूं संपूर्ण होते हैं। भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए अपने में भगवान शिव,ब्रह्मा,शक्ति,आदी व भगवान शेषनाग को समाहित कर छमाहूं का रूप धारण कर सृष्टि की रचना की थी। देवों की छह सामूहिक शक्तियों से ही सृष्टि की रचना संभव हुई थी।