देखें वीडियो,,,,,जिला कुल्लू में जलोड़ी दर्रा के रघुपुरगढ़ की फिजाएं पर्यटकों से गुलजार


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यहां की हसीन वादियां देशी विदेशी सैलानियों को करती है आकर्षित

तीर्थन और जीभी घाटी आने वाले पर्यटकों के लिए राघुपुर फोर्ट बना पसंदीदा सैरगाह
तुफान मेल न्यूज, बंजार

देखें वीडियो,,,,,,

https://youtu.be/XapL2oiUxyE?si=ICrgQN3y4gQcZFF6
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लु के हिमालय पर्वत की चोटी में स्थित जलोडी दर्रा और रघूपुर फोर्ट ने विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक विशेष पहचान बना ली है। यह दर्रा इनर सराज और बाह्य सराज के मध्य स्थित कुल्लु जिला के बंजार और आनी उपमण्डल को आपस में जोड़ता है। सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होने के कारण कुछ समय के लिए यह दर्रा वाहनों की आवाजाही के लिए बन्द रहता है। लेकिन सरकारी मशीनरी द्वारा सड़क से बर्फ को हटाकर कुछ ही दिनों में इसे बहाल कर दिया जाता है।

जिला कुल्लू में करीब दस हजार फीट की उंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रा, शोजागढ़, रघुपूर गढ़, खनाग, टकरासी, पनेऊ और सरेउलसर झील आदि प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज खूबसूरत स्थल बैसे तो वर्षों पहले ही अंग्रेजी शासन काल के दौरान साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके थे। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाता था जो कि अक्सर यहाँ पर इन वादियों को निहारने के लिए आते जाते रहते थे।

कुल्लू जिला में भीतरी और बाहरी सिराज क्षेत्र के संधि स्थल जलोड़ी दर्रा से करीब तीन किलोमीटर दूर समुद्र तल से 3306 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक स्थल रघुपुर गढ़ जिभी और तीर्थन घाटी में घूमने आने वाले देशी विदेशी सैलानियों के लिए एक पसंदीदा सैरगाह बन गई है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां से हिमाचल के 9 जिलों की पहाड़ियों और लगभग पूरे कुल्लू जिला के ऊंचे छोर के दर्शन एक ही स्थान से सम्भव होते हैं। राजाओं के शासनकाल से पहले यह गढ़ रघु नामक स्थानीय ठाकुर शासक ने बनाया था। रघु ठाकुर द्वारा निर्मित इस गढ़ और गढ़ स्थल को ही रघुपुर गढ़ कहा जाता है। इस गढ़ की प्राचीन सुदृढ़ स्थिति को दर्शाती गढ़ की सुरक्षा दीवारें, खाई आदि अवशेष आज भी दर्शनीय है। इस गढ़ से जुड़ी एक ऐतिहासिक घटना उल्लेखनीय है। यहां ठाकुरों का शासन समाप्त होने के उपरांत यह गढ़ मण्डी राज्य के अधिकार में था। कुल्लू के राजा राज सिंह ने (1719-1731 ई.) में इसे मण्डी राज्य से छीन कर अपने राज्य में मिलाया। इस स्थान के इतिहास को पाण्डव काल से भी जोड़ा जाता है। बाद में यहाँ पर अंग्रेजी शासन के दौरान अंग्रेज भी रह कर गए हैं। उस समय इस रियासत की हुकूमत यहीं से चलती थी इसके अलावा यहां देवता शृंगा ऋषि, देवता पांचवीर और देवता खुडीजल का छोटा सा मन्दिर और लकड़ी से निर्मित पानी का कुंआ भी इस स्थान पर है जोकि रघुपुर गढ़ की चार दिवारी के भीतर है। इसलिए यह स्थान धार्मिक आस्थाओं से भी जुड़ा है।

जलोड़ी दर्रा से काफी ऊँचाई पर होने के कारण यह स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। बंजार क्षेत्र के अन्य स्थलों की तरह यह स्थान भी अपनी एक अलग ही खुबसूरती पेश करता है। यहाँ के पहाड़ों का दृश्य मौसम के साथ साथ ही बदलता रहता है। हर मौसम में यहाँ की वादियाँ अपना अलग अलग आकर्षण व नजारा पेश करती है जो मौसम बदलते ही यहाँ की वादियों का रंग रूप भी बदल जाता है। यहां की ढलानदार वादियों और चारागाहों जैसी अछूती दृश्यावली के कारण ही यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। आजकल यहां पर सूर्यास्त और सूर्योदय देखने के आलावा रात के समय खुले आसमान में टिमटिमाते हुए तारों का नजारा देखने के लिए पर्यटकों का काफी हजूम देखने को मिल रहा है। जिस कारण यहां के स्थानीय पर्यटन कारोबारियों को रोजगार के अवसर मिल रहे है।

यहां के स्थानीय पर्यटन कारोबारी एवं रघुपुर एडवेंचर कैम्प के संचालक रॉबिन ठाकुर ने बताया कि
कोरोना काल के बाद से ही इस स्थल पर पर्यटकों ने दस्तक देनी शुरु की, हालांकि इस से पहले बहुत ही कम पर्यटक यहां तक घूमने पहुंचते थे लेकिन अब साल दर साल यहाँ पर पर्यटकों की आवाजाही में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इन्होंने बताया कि यहां पर साहसिक पर्यटन शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पैराग्लाइडिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं भरी पड़ी है।

विश्व प्रसिद्ध जलोड़ी दर्रा के साथ लगते पर्यटन स्थल रघुपुर गढ़ में गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती हैं लेकिन यहां पर अभी तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इस स्थान पर अभी तक बिजली, शुद्ध पेयजल, वर्षाआश्रय और सार्वजनिक शौचालय जैसी कई मूलभूत सुविधाओं की कमी हैं। प्रदेश सरकार द्वारा इस खुबसूरत पर्यटन स्थल में मूलभूत सुविधाएं जुटा कर पर्यटन के लिए विकसित करने की आवश्यकता है ताकि स्थानीय लोगों को घर द्वार पर रोजगार के अवसर मिल सके।

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