लाहौल के पटन वैली गांव जोबरंग, जसरथ आदि क्षेत्रों में भालू व शावकों ने मचाया आंतक


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लोगों के खेतो में मटर, आलू व सेव की खेती को पहुंचा रहे है भारी नुकसान , लोग डर के साए में, वन विभाग के कानों में जूं तक नही रेंग रही

ग्रामीणों ने वन विभाग से भालू व शावकों को पकड़ने का किया आग्रह

तुफान मेल न्यूज,केलांग

लाहौल घाटी के पट्टन इलाका गांव जोबरंग, जसरथ आदि क्षेत्रों में भालू व इन के शावकों ने पिछले कई सालों से आतंक मचा रखा है। इनके द्वारा गांव में फसलों और पालतू जानवरों को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है। यह जंगली जानवर इतने निडर हो गए हैं कि यह गांव के रिहाईशी मकानों के नज़दीक आ रहे हैं। जिस के कारण लोग गांव में सेहमे हुए है।

छोटे बच्चों और बुजुर्गों का वेटाइम बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। यह जानवर लोगों के खेतो में आ कर मटर, आलू व सेव की खेती को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिस से लोगों को प्रति वर्ष लाखो रुपए की हानी होती है। यह जानवर लोगों के घरों से पालतू जानवर भी उठा रहे हैं। स्थानीय निवासी सुरेश, सत्यपाल, पन्ना लाल, गणेश, राजिंद्र ओर दलीप जसपा ने बताया कि हम वन विभाग को कई वार इन को पकड़ने के लिए आग्रह कर चुके हैं।

ताकि कोई जान माल का नुकसान न हो। मगर वन विभाग के कानो में जूं तक नहीं रेंग रही है। शायद विभाग को किसी बड़े हादसे का इंतजार हो। लोगों ने बताया कि मादा भालू हर दूसरे वर्ष दो से तीन शावकों को जन्म देती है। यदि यही रफतार रही तो आने वाले समय में लोगों की कम और इन जानवरों की जनसंख्या में भारी वृद्धि होगी। जव इस वारे वन्यजीवन कुल्लू वन मंडलाधिकारी राजेश शर्मा से वात की गई तो बताया कि वन्य जीव को पकड़ना अपराध है। मगर लाहुल में इस का जिम्मा वन मंडलाधिकारी को दिया गया है। वन मंडलाधिकारी केलांग अंकित वानवे ने बताया कि हम ने मौके पर जा कर लोगों का नुकसान आकां है। और लोगों को जल्द ही खेती को बचाने के लिए उन्हें सोलर फेंसिंग वाली तारें उपलब्ध करवाई जाएगी। ताकि कोई जानवर उस इलाका में प्रवेश न कर सके। मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि इन इलाकों में धूप नही लगती है। लोगों के खेत उवड खाबड़ और बाढ़ प्रभावित हैं। सोलर फेंसिंग से जानवरों को करंट भी लग सकता है। लोगों का मानना है कि इन्हें पिंजरे में बंद कर के सुरक्षित जगह में संरक्षण दिया जाय।

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