श्री गणेश चतुर्थी आज,देखें स्थापना से लेकर विसर्जन की विधि


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तूफान मेल न्यूज,डेस्क। श्री गणेश चतुर्थी एक रंगीन और धूमधाम से मनाया जाने वाला हिंदू त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है। भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने वाले और बुद्धि, समृद्धि, और शुभता के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार भारत में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में।यह त्योहार हिंदू पंचांग के भाद्रपद महीने में आता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अगस्त या सितंबर महीने में पड़ता है। इस दौरान, भगवान गणेश की रंग-बिरंगी मूर्तियाँ घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में स्थापित की जाती हैं और भक्तजन पूरे जोश और आस्था के साथ उनकी पूजा करते हैं।

—–इतिहास और महत्व..

गणेश चतुर्थी का इतिहास बहुत प्राचीन है, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप में मनाने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को जाता है। तिलक ने इस त्योहार को जनता को एकजुट करने और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर मनाने का विचार दिया।इस त्योहार का धार्मिक महत्व भगवान गणेश की कथाओं और हिंदू दर्शन से जुड़ा है। भगवान गणेश को भगवान शिव और माता पार्वती का छोटा पुत्र माना जाता है। गणेश के जन्म से जुड़ी कई कथाएँ हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी यह है कि माता पार्वती ने अपने शरीर पर लगे चंदन के लेप से गणेश को बनाया और उन्हें दरवाजे पर पहरा देने के लिए कहा। जब भगवान शिव लौटे और गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका, तो शिव ने गुस्से में गणेश का सिर काट दिया। पार्वती को शांत करने के लिए शिव ने गणेश को हाथी का सिर लगा कर जीवनदान दिया।गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के पुनर्जन्म का उत्सव है, और उनका हाथी का सिर बुद्धि, ज्ञान और अच्छी स्मरण शक्ति का प्रतीक है। उन्हें नए कार्यों की शुरुआत और समृद्धि के लिए पूजनीय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और ज्ञान का मार्ग प्राप्त होता है।

——तैयारी और अनुष्ठान..

गणेश चतुर्थी की तैयारी हफ्तों पहले शुरू हो जाती है। कारीगर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाते हैं, जिनमें अलग-अलग आकार और मुद्राएँ होती हैं। इन मूर्तियों को फूलों, मालाओं और रोशनी से सजाया जाता है। मुख्य अनुष्ठान जो 10 दिनों तक चलते हैं।

——प्राणप्रतिष्ठा..

इस अनुष्ठान में पुजारी मंत्रों का उच्चारण करते हुए मूर्ति में जीवन का आह्वान करते हैं।

——षोडशोपचार..

यह 16 चरणों वाली पूजा है, जिसमें गणेश को चंदन, फूल, धूप, दीपक, फल और मिठाई अर्पित की जाती है।

——–उत्तरपूजा..

यह अंतिम दिन की पूजा होती है, जिसमें गणेश जी को सम्मान और आभार के साथ विदाई दी जाती है।

—–गणपति विसर्जन..

उत्तरपूजा के बाद, मूर्तियों को भव्य जुलूसों के साथ नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है। यह विसर्जन भगवान गणेश की अपने घर कैलाश पर्वत की वापसी का प्रतीक है।

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