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आज मोहल के नेचर पार्क में लाहुल स्पीती और पांगी के श्रद्धालुओं ने लला मेमे फ़ाउंडेशन के वरिष्ठ सदस्य शेर सिंह मनेपा की अध्यक्षता में एक बैठक कर के 13 फ़रवरी को कुल्लू देव सदन में होने वाले रक्तदान शिविर की तैयारियों से संबंधित मीटिंग की। इसमें तय किया गया कि रक्तदान शिविर में परंपरागत सभी संस्थाओं को निमंत्रण दे कर रक्तदान के लिए निवेदन किया जाएगा। फाउंडेशन में अध्यक्ष मंगल मेनपा ने बताया कि पिछले बारह वर्षों से फ़ाउंडेशन कुल्लू के देवसदन में इसी दिन प्रतिवर्ष रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहा है और यह अपने प्रकार का एक अनूठा रक्तदान शिविर है जिसने आईटीबीपी, एसएसबी, हिमाचल पुलिस, बी आर ओ, हिमाचल पथ परिवहन निगम, ग्रेफ, आईटीआई संस्थान, संस्कृत कॉलेज, कुल्लू कॉलेज, डाइट और लाहुल स्पीती छात्र संघ के विद्यार्थी प्रति वर्ष भाग ले कर मानवता की सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी और शिविर में सेवा से जुड़े इतने संस्थान सामूहिक रूप से रक्तदान करने नहीं आते जिसके कारण लला मेमे फाउंडेशन का रक्तदान शिविर अत्यंत विशिष्ट बनता है। बैठक में कुल्लू ढालपूर के आसपास के लाहुली महिलाओं ने भी भाग लिया और रक्तदान शिविर के दिन रक्तदाताओं तथा अन्य श्रद्धालुओं को चाय और परंपरागत भोजन की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया। सामाजिक रूप से बहुत सारे लोग इस शिविर में घर से खाने पीने की चीज़ें दिन भर लाते हैं और विख्यात कलाकार भजन और अन्य सांस्कृतिक कार्य कर के वातावरण को सकारात्मक बनाते हैं। लला मेमे फाउंडेशन के वरिष्ठ सदस्य नील चंद टेलंगवे ने कहा कि 15 फ़रवरी को लला मेमे की बारहवीं पुण्यतिथि का आयोजन भुंतर के ट्राइबल भवन में किया जाएगा जिसने प्रमुख बौद्ध लामा का प्रवचन और शिव हवन होगा और सभी श्रद्धालुओं को भंडारण भी खिलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि भुंतर के आसपास के महिला मंडलों ने भी आज की बैठक में भाग लिया और भिन्न भिन्न कामों में अपने योगदान को सुनिश्चित किया। यह महिलाएँ पुण्यतिथि के दिन पारंपरिक भोजन बना कर सभी श्रद्धालुओं को खिलायेंगे तथा भंडारे में भोजन वितरण, प्रसाद का हलवा आदि ज़िम्मेदारियों को भी निभायेंगे। नील चंद ने कहा कि लला मेमे ने आजीवन लाहूल के लोगों की सेवा की और अब उनके जाने के बारह साल बाद भी घाटी के लोग उन्हें भूले नहीं है और उनकी याद में वार्षिक रूप से पुण्यतिथि मना कआर श्रद्धांजलि देते है । उन्होंने कहा कि लला मेमे पहले महापुरुष हैं जिनकी प्रतिमा बना कर श्रद्धालुओं ने लाहूल के गौशाल गाँव में स्थापित की है और आज भी उनकी कृपा से लोगों का कष्ट निवारण होता है।