धर्मगुरु दलाई लामा ने विधायक रवि ठाकुर को दिया आशीर्वाद


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मैक्लोडगंज में आयोजित तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में की शिरकत , बेटी भुवनेश्वरी भी रही साथ,बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को जाना करीब से

तूफान मेल न्यूज ,केलांग
मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन में धर्मगुरू दलाई लामा जी का आशीर्वाद लेने और उनकी एक झलक पाने के लिए देश विदेश से बोद्ध धर्म के लाखों अनुयायियों का हुजूम इन दिनों यहां उमड़ा हुआ है। उक्त धार्मिक कार्यक्रम में विशेष तौर पर लाहुल स्पीति के विधायक एवं हिमालयन बुद्धिस्ट सोसायटी के मुख्य संरक्षक रवि ठाकुर भी शिरकत कर रहे है।

यही नहीं इस धार्मिक आयोजन में उनकी बेटी भुवनेश्वरी ठाकुर भी धर्म गुरु दलाई लामा जी के प्रवचन सुनने व उनका आशीर्वाद लेने के लिए विशेष तौर पर धर्मशाला के मैक्लोडगंज पहुंची हुई है। इस तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन के कार्यक्रम में पहले दिन मुख्य बौद्ध मठ में सुबह 8 बजे से जातक कथाओं से एक संक्षिप्त प्रवचन दिया, जिसके बाद बोधिचित्त (सेमक्ये) उत्पन्न करने का समारोह आयोजित हुआ।मैक्लोडगंज के मुख्य तिब्बती बौद्ध मठ में गंडन तेगचेनलिंग मठ, उलानबटार, मंगोलिया के साथ-साथ कई तिब्बती लामाओं के अनुरोध पर दलाई लामा लुइपा, कृष्णाचार्य और गन्धपद की 3 परंपराओं में तीन चक्रसंवर दीक्षा प्रदान की। बुधवार 8 मार्च को धर्म गुरु दलाई लामा जी लुइपा परंपरा में चक्रसंवर दीक्षा प्रदान की। गुरुवार 9 मार्च को दलाई लामा कृष्णाचार्य परंपरा में चक्रसंवर दीक्षा बौद्ध धर्म के अनुयायियों को प्रदान करेंगे। यहां बतादें कि तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जब धर्मगुरु दलाई लामा भारत में अपने अनुयायियों के साथ आए थे और उन्हें भारत सरकार ने हिमाचल के धर्मशाला में शरण दी थी। उसके बाद 1974 में लाहौल स्पीति की निवर्तमान विधायक लता ठाकुर ने जहां महामहिम धर्मगुरु दलाई लामा जी को स्पीति आने का न्योता दिया था, जिसे धर्मगुरु दलाई लामा ने खुशी-खुशी स्वीकार किया था। विधायक लता ठाकुर के प्रयासों का ही ये परिणाम था कि भारत सरकार ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए धर्म गुरु दलाई लामा जी को स्पीति जाने की अनुमति प्रदान की थी।

ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि दलाई लामा जी के भारत में शरण लेने के बाद पहली बार हिमालय क्षेत्र के दौरे की शुरुआत लाहुल स्पीति की विधायका लता ठाकुर के प्रयासों से पहली बार 1974 में स्पीति के कीह गोंपा में पहुंचने के साथ हुई थी। इसके बाद ही धर्म गुरु दलाई लामा जी कई बार हिमालय क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचे और यहां के लोगों को बौद्ध धर्म की शिक्षा व सिद्धांतों से अवगत करवाया। इसी का परिणाम था कि धर्मगुरु दलाई लामा ने पूर्व में लाहौल स्पीति के विभिन्न क्षेत्रों में वह हिमालय क्षेत्र में कालचक्र अभिषेक प्रवचन, तारादेवी, आर्य लोकेश्वर चक्रसंवर व अनकों अभिषेक व प्रवचन इस क्षेत्र में दिए हैं। धर्मगुरु दलाई लामा जी जिस्पा के बौद्ध मठ, काजा के बोद्ध मठ, ताबो के बोद्ध मठ, घुंघरी बौद्ध मठ,त्रिलोकनाथ सहित अन्य क्षेत्रों में लोगों को जहां आशीर्वाद दे चुके हैं वही बौद्ध धर्म की शिक्षा व सिद्धांतों से भी बारीकी से परिचित करवा चुके हैं। धर्मगुरु दलाई लामा ने विश्व के सबसे पुराने विश्वविद्यालय नालंदा की परंपरा से भी लोगों को रूबरू करवाया और उसे आज भी कायम रखा है और यहां मौजूद विभिन्न ग्रंथों का प्रचार प्रसार वह आज भी अपने प्रवचनों के माध्यम से देश-विदेश के लाखों-करोड़ों बौद्ध धर्म के अनुयायियों के पास कर रहे हैं। धर्मगुरु दलाई लामा जी ने दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय नालंदा की परंपरा को कायम रखते हुए भारतवर्ष के महान आचार्य धर्म कीर्ति नाग अर्जुन,शांतिदेवा,गुरु पदमासंभावा का वज्रयान,मंत्र यान, तंत्र यान पर लिखे ग्रंथ कंगयुर व तंगयुर जिसे भोटी भाषा में लिखा गया है। यही नहीं इनका पाली व संस्कृत के शलोक में वर्णन भी है। इन सभी का प्रचार प्रसार धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत के हर बौद्ध मठ के अलावा विश्व के विभिन्न देशों में भी किया है। लोगों को शांति का संदेश व महात्मा बुद्ध की शिक्षा पर प्रवचन देते हुए धर्मगुरु दलाई लामा ने दुनिया के विभिन्न देशों में जिनमें जर्मनी, इंग्लैंड, अमेरिका, मंगोलिया, ताइवान, चीन सहित अन्य देशों में बोद्ध धर्म का बढ़-चढ़कर प्रचार प्रसार किया है। यही कारण है कि आज बौद्ध धर्म के पूरे विश्व में करोड़ों अनुयाई है। धर्मगुरु दलाई लामा इस आधुनिक युग में इंटरनेट के माध्यम से भी लोगों को बौद्ध धर्म के प्रति जहां जागरूक कर रहे हैं वहीं आपसी भाईच…

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