135 वर्ष पुराना है आनी मेले का इतिहास


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सांगरी रियासत के तत्कालीन राजा हीरा सिंह की याद दिलाता यह मेला

👉आनी क्षेत्र में फैली महामारी के खात्मे पर राजा ने देवताओं के सम्मान में लगाया था मेला

👉समय के साथ बदला मेले का स्वरूप

तुफान मेल न्यूज,आनी

उपमंडल मुख्यालय आनी में मंगलवार से शुरू हो रहे चार दिवसीय जिला स्तरीय आनी मेले का इतिहास 135 वर्ष पुराना है। जो यहाँ के तत्कालीन राजा हीरा सिंह की याद दिलाता है। आनी के बरिष्ठ नागरिक भाग चन्द ठाकुर का कहना है कि आनी क्षेत्र सांगरी रियासत का एक भाग था और यहाँ के तत्कालीन राजा हीरा सिंह लोगों को यहाँ बेहतर न्याय प्रदान करते थे।

कालांतर में एक समय आनी क्षेत्र में एक भयंकर महामारी फैल गई थी. जिससे सेंकड़ों लोग ग्रस्त हो गए थे। महामारी से हर तरफ हाहाकार मच गया। महामारी से बचाव के लिए लोग राजा हीरा सिंह के दरबार में पहुंचे और उनसे बीमारी से बचाव की गुहार लगाई। उस समय उपचार की कोई व्यापक व्यवस्था न होने के कारण राजा ने इस बारे में राज पुरोहित से मशविरा किया और मशविरे के अनुसार राजा यहाँ के आराध्य देवता शमशरी महादेव.

देहुरी नाग तथा पनेवी नाग के दरबार में पहुंचे और देवताओं से महामारी के खात्मे की फरियाद लगाई। देवताओं ने राजा की फरियाद सुनी और महामारी का खात्मा किया। राजा हीरा सिंह ने इस उपकार के लिए सभी देवताओं का आभार जताया और इस खुशी के मौके पर उनके सम्मान में आनी में एक मेला लगाने का ऐलान किया। राजा ने मेले के लिए राज पुरोहित से शुभ दिन मुकर्र करने को कहा, जो वैसाख की 25 प्रविष्ठे को तय हुआ। राजा हीरा सिंह ने तब निर्धारित तिथि को तीनों आराध्य देवताओं को मेले में अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया। जिस पर सभी देवता देव वादय यंत्रों की थाप पर अपने दिव्य रथ में सुसज्जित होकर कारकुनों व देवलुओं संग मेले में पधारे. जहाँ राजा ने अपने दरबार में देवताओं का भव्य स्वागत किया।

मेले में आनी व निर्मंड क्षेत्र सहित साथ लगते मंडी जिला के चवासी क्षेत्र.मगरू क्षेत्र तथा शिमला जिला के तेशन प्राशन व कुमारसैन क्षेत्र के लोगों ने बढचढ़कर भाग लिया और देवताओं के संग अपनी लोक संस्कृति का खूब लुत्फ़ उठाया। बरिष्ठ नागरिक भाग चन्द का कहना है कि राजा उस समय पालकी में सवार होकर मेले में शिरकत करने आते थे और ग्रामीणों संग नाटी नृत्य में भाग लेकर लोक संस्कृति को आत्मसात करते थे। प्राचीन समय में लोग रात भर नाटी नृत्य करते थे।

राजा हीरा सिंह के स्वर्गवास के उनके पुत्र राजा रघुबीर सिंह इस रियासत के उतराधिकारी बने और वर्षों तक यहाँ एक कुशल प्रशासक का दायित्व निभाया और भारत की आजादी के बाद हिमाचल गठन से पहले पंजाब प्रांत में पूरे कुल्लू जिला की एक ही विधानसभा क्षेत्र से विधायक व राज्य मंत्री भी बने। राजा रघुवीर सिंह के समय में भी आनी मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जाता रहा। आनी क्षेत्र की जनता अपने राजा को आज भी याद करते हैं। आज के दौर में मेले का प्राचीन स्वरूप बदल गया है। आज मेले पर आधुनिकता की परत चढ़ गई है। आनी मेला आज भी वैसाख 25 प्रबिष्ठे को मनाया जाता है। जो अब चार दिनों तक चलता है और पिछले करीब 30 सालों से मेले का स्तर जिला स्तरीय हो गया है।मेला पहले स्थानीय प्रशासन द्वारा मनाया जाता था. मगर सरकार के निर्णय अनुसार अब यह मेला स्थानीय निकाय की देखरेख में मनाया जाता है। इस वर्ष यह मेला 7 मई से 10 मई तक मनाया जा रहा है। जिसमें यहाँ के आराध्य देवता शमशर महादेव. पनेवी नाग. देहुरी नाग के अलावा कुलक्षेत्र महादेव तथा ब्युन्गली नाग शोभायमान होंगे। मंगलवार को मेले का शुभारम्भ देवी देवताओं के आगमन से होगा ।

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