मलाणा फागली में निकली अकबर की सोने की मूर्ति


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जमदग्नि ऋषि के सोने-चांदी के घोड़े भी बने आकर्षण का केंद्र
मलाणा में धूमधाम से मनाया फागली उत्सव
तूफान मेल न्यूज , मलाणा।
विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र वाले जिला कुल्लू के प्रसिद्ध मलाणा गांव में धूमधाम से फागली उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर अकबर की सोने की मूर्ति भी अपने लाव लश्कर के साथ सुसज्जित होकर निकाली गई जबकि जमदग्नि ऋषि के सोने-चांदी के घोड़े भी निकाले गए।

सदियों से मनाए जा रहे फागली उत्सव में 10 दिनों तक ग्रामीणों ने अपनी प्राचीन परंपरा का बखूबी निर्वहन किया। देवता जमद्ग्नि ऋषि के सम्मान में आयोजित इस फागली उत्सव के दौरान जहां रोजाना पारंपरिक पहनावे में महिला-पुरूषों की ओर से नाटी का दौर जारी रहा वहीं, ढोल नगाड़ों की थाप से भी पूरा गांव गूंजायमान रहा।रोजाना मेहमानबाजी का दौर भी लगातार जारी रहा,जिसमें जिला से रिश्तेदारों ने फागली उत्सव में भाग लिया।ग्रामीणों ने रात के समय मशालें जलाकर परिक्रमा की। फागली उत्सव में हर साल की तरह इस बार भी अठारह करडू अपने मंदिर से बाहर निकले और अकबर की सोने की मूर्ति और चांदी व सोने के हिरण और घोड़े को भी बाहर निकालकर उनकी पूजा की गई।देवता के कारदार ब्रेसतू राम ने बताया कि मलाणा में अकबर को समर्पित दो त्योहार हैं,

दोनों त्योहार फागली ही है।उन्होंने बताया कि जमद्ग्नि ऋषि और अकबर के वचन के आधार पर सभी हिंदुओं को यहां परंपरा का विधिवत निर्वहन करना पड़ता है।इस दौरान फागली के पहले दिन जहां गांव की महिलाओं ने जमद्ग्नि ऋषि की धर्मपत्नी रेणुका के दरबार में नृत्य की रस्म निभाई, वहीं 10 दिनों तक अन्य परंपराओं का भी निर्वहन किया गया।

उन्होंने बताया कि वीरवार को बड़ी फागली उत्सव का समापन हुआ जबकि मार्च के दूसरे सप्ताह से छोटी फागली का आयोजन भी होगा।

बाहर निकलते हैं अठारह करडू :

फागली उत्सव में अठारह करडू मंदिर से बाहर निकलते हैं। अकबर की सोने की मूर्ति और चांदी व सोने के घोड़े व हिरण भी बाहर निकाल कर पूजा अर्चना की जाती है।मान्यतानुसार पुराने समय में मलाणा गांव में भीक्षा मांगकर घूमते-घूमते यहां पहुंचे साधुओं को सम्राट अकबर उनकी झोली से सारी भीक्षा ले ली थी। इसके बाद जमद्ग्नि ऋषि ने स्वप्न में अकबर को यह सभी वस्तुएं लौटाने को कहा, जिस पर अकबर ने फिर से सैनिकों के हाथ यहां अपनी ही सोने की मूर्ति बनाकर दक्षिणा के रूप में उन साधुओं को वापस भेजी, तब से इस मूर्ति की पूजा होती है।

बादशाह अकबर ने जमदग्नि ऋषि को भेंट करवाई थी अपनी सोने की मूर्ति,,,
बादशाह अकबर ने देवता जमदग्नि को अपनी सोने की मूर्ति भेंट की थी। इसके पीछे इतिहास यह है कि अकबर के सिपाही मलाणा कर उगाही को पहुंचे और देवता ने कर देने से मना किया। फिर भी सैनिक एक सोने सिक्का ले गए। यह सिक्का अकबर के भंडार में उछलने लगा। तब अकबर ने देवता जमदग्नि से कहा कि यदि सच में देवता में शक्ति है तो मलाणा की तरह दिल्ली में भी बर्फबारी होनी चाहिए। कहा जाता है कि उसी दिन दिल्ली में बर्फबारी हुई और अकबर देवता जमदग्नि के पास नतमस्तक हुए। इसके बाद अकबर ने देवता को अपनी सोने की मूर्ति भेंट की। आज भी मलाणा में इस मूर्ति के साथ देवता का मिलन होता है।

मलाणा में देवता ही न्यायाधीश
मलाणा गांव में जो भी विवाद होते हैं वह पुलिस व न्यायलय में नहीं जाते। देवता ही न्याय करता है और बाकायदा लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार पर यहां न्यायालय की प्रक्रिया होती है।

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