देखें वीडियो:मणिकर्ण गांव के अस्तित्व बचाने के लिए आगे आई सरकार व प्रशासन,पार्वती में ड्रेजिंग का कार्य शुरू आपदा तो गई,छोड़ गई खतरे के निशान,पार्वती का रुख गांव की ओर


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तूफान मेल न्यूज,मणिकर्ण।

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हिमाचल में आई भयंकर आपदा से कुल्लू जिला की धार्मिक नगरी मणिकर्ण में जो तबाही मची है वह अपने निशान छोड़ गई है। यहां जहां लोगों का भारी नुकसान हुआ वहीं कई मकान भी बह गए। यह आपदा भविष्य के लिए खतरे के निशान छोड़ गई है। पार्वती नदी की ओट में बसे मणिकर्ण गांव को खतरे का खौफ सताने लगा है। पार्वती नदी ने गांव की ओर अपना रुख कर दिया है। हालांकि अभी सर्दियों में पार्वती नदी का जलस्तर काफी कम है लेकिन कम जलस्तर से नदी ने अपनी तस्वीर साफ कर दी है कि आगामी समय में उसका रुख क्या होगा। लिहाजा मणिकर्ण के अस्तित्व को बचाने के लिए समय रहते सरकार व प्रशासन जाग गया है। प्रशासन ने मणिकर्ण के अस्तित्व को बचाने के लिए पार्वती नदी में ड्रेजिंग का काम शुरू कर दिया है। इस पर ध्यान नहीं दिया होता तो भविष्य में मणिकर्ण गांव का अस्तित्व खतरे था। वहीं पार्वती नदी में ड्रेजिंग का काम शुरू होने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। ग्रामीण खुशी राम,शिशु शर्मा,निशु शर्मा आदि ने बताया कि मणिकर्ण में पार्वती नदी में ड्रेजिंग का काम शुरू हो गया है।

उन्होंने सीपीएस सुंदर ठाकुर व डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग का धन्यवाद किया है और आभार प्रकट किया है। ग्रामीणों ने बताया कि आपदा के बाद पार्वती नदी में बड़ी-बड़ी चट्टाने आ गई है और इन चट्टानों से गांव को और खतरा सताने लगा है। जैसे ही जलस्तर बढ़ेगा तो नदी का रुख गांव की ओर होगा। इसलिए यहां नदी के तटीकरण के साथ-साथ नदी के रुख को बदलने की भी आवश्यकता है। अन्यथा भविष्य में बहुत बड़ी त्रासदी की यह नदी संकेत दे रही है। गामीणों ने गुहार लगाई थी कि इसका समाधान सरकार व प्रशासन को गर्मी से पहले करना चाहिए। क्योंकि अभी जलस्तर कम होने के चलते कार्य किया जा सकता है। गर्मियों में जैसे ही जलस्तर बढ़ता है तो उसके बाद न तो कोई निर्माण कार्य होगा और न ही नदी के रौद्र रूप को कम किया जा सकता है। लिहाजा ग्रामीणों की मांग पूरी हुई है और अब ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। ग्रामीणों में आस बंध गई है कि अब मणिकर्ण का अस्तित्व बचेगा और उनके घर भी सुरक्षित रहेंगे। सनद रहे कि मणिकर्ण गांव में जहां उबलते पानी के चश्मों का भंडार है वहीं गांव के अलावा धार्मिक धरोहर भी है।

यहां शिव मंदिर,राम मंदिर,पांडवों द्वारा निर्मित शिव दवाला,नैना माता मंदिर,गुरुवार साहिब के अलावा कई छोटे-बड़े मंदिर है। यदि पार्वती नदी का रौद्र रूप गांव की ओर रुख करता है तो हजारों वर्ष पुरानी धरोहर के अलावा भारी जानी नुकसान हो सकता है। यह नगरी धार्मिक पर्यटन स्थली के रूप से भी प्रसिद्ध हैं और हर वर्ष यहां लाखों श्रद्धालु भी आते हैं। ऐसे में मणिकर्ण के अस्तित्व को बचाने की अति आवश्यकता है ड्रेजिंग का काम शुरू होने से ग्रामीणों का खौफ कम हो गया है। बॉक्स: पार्वती नदी पहले भी कई बार तबाही मचा चुकी है। वर्ष 1999 में टूरिज्म होटल पार्वती को भारी नुकसान किया। इसके बाद 2001 में तो टूरिज्म के होटल पार्वती का अस्तित्व ही खत्म कर दिया था। इसके अलावा इसी वर्ष ब्रह्मगंगा में भारी तबाही मची थी जिसमें अर्धनारीश्वर भव्य मंदिर,छह घराट व वहां की जमीन सबकुछ तबाह हो गया था। इसके बाद मणिकर्ण गांव को बचाने के लिए सुरक्षा दीवार पार्वती नदी के छोर पर लगाई गई थी। लेकिन वर्तमान में यह दीवार भी पार्वती लील चुकी है और अब बाढ़ आती है तो सीधा रुख गांव की ओर होगा। बॉक्स:तूफान मेल न्यूज ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा तूफान मेल न्यूज ने 30 दिसंबर को ग्रामीणों का यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। अब ड्रेजिंग का कार्य शुरू होने से ग्रामीणों में खुशी का माहौल है।

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